Mental Health

मुक्ताक्षर

बाल मन को समझना उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक

लेखक: Admin

उपशीर्षक: माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के व्यवहार और हरकतों को भूल कर भी नज़रअंदाज़ नहीं करें। कोई बच्चा अगर उदास है और शांत भी, तो माता-पिता को चाहिए की उनसे बात करें, उनकी उदासी को दूर करने का प्रयास करें। जब वे अपने बच्चों की बातों को सुनेंगे, तो उनकी भावनाओं को समझना आसान होगा, और उनके बदले व्यवहार को नियंत्रित करना इतना मुश्किल नहीं होगा

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मेरे बच्चे लड़ते ही जा रहे थे। शोर पर शोर मच रहा था। मैं यह सब देख रही थी पर चुप थी लेकिन फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनपर जोर से चिल्ला बैठी। यह कहना है आईटी कंपनी में कार्यरत सपना का, जो फिलहाल वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं। वैसे ये  केवल सपना की ही नहीं बल्कि बहुत सारी कामकाजी महिलाओं की कहानी है। एक तो ऑफिस का काम और दूसरा गृहकार्य, इन सब में उलझी महिलाओं का सब्र का बांध कभी-कभी इतना टूट जाता है कि वह बच्चों पर हाथ तक उठा देती हैं। मां ही क्या, पिता भी कमोबेश बच्चों के साथ यही व्यवहार कर रहे हैं।

 

इस बारे में बाल मनोचिकित्सक डॉ साक्षी गुप्ता कहती हैं: “दरअसल, कई बार अभिभावक यह समझ ही नहीं पाते कि आखिर उनका बच्चा क्यों एक खास प्रकार से व्यवहार करने लगा है। उसका क्रोध इतना क्यों बढ़ जाता है कि वह माता-पिता या बड़ों की बातों को अनसुना करता है? माता-पिता बिना गहराई में गए, बच्चों के ऐसे व्यवहार को दुर्व्यवहार की श्रेणी में डाल देते हैं। वे यह जानने की कोशिश भी नहीं करते कि बच्चा शायद अपने मन की कोई बात साझा करना चाह रहा हो, वह अपने माता-पिता से बात करना चाह रहा हो। बच्चों के व्यवहार में इस प्रकार का परिवर्तन कहीं न कहीं यह बताता है कि वह अपने अभिभावक से संतुष्ट नहीं हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे, माता-पिता का बच्चों को पर्याप्त समय न दे पाना, उनकी बातें न सुनना, उनके साथ न खेल पाना, स्वयं ही लड़ाई-झगड़े करना, आदि।”

वर्तमान समय में लोगों की दिनचर्या बदल गई है। अभिभावकों पर जिम्मेदारियों का दबाव बढ़ गया है। संतुलन न बना पाने के कारण उनका अपना धैर्य ही जवाब देने लगा है। उनके खुद का तनाव बच्चों के व्यवहार को प्रभावित कर रहा है। बच्चे माता-पिता को अनसुना करके पूरे दिन मोबाइल से चिपके रहते हैं या तो वीडियो गेम और टीवी देखने में समय खर्च करते हैं। कोरोना के दौर में जैसे उनकी रही-सही शारीरिक क्रियाकलाप भी कम हो गई है। पढ़ाई के लिए भी वो कम्प्यूटर के साथ ज्यादा बैठते हैं। इस कारण एक अलग प्रकार का शारीरिक एवं मानसिक असर उन पर हो रहा है।

(कोरोना के कारण हर 6 में से 1 बच्चा मानसिक विकार से पीड़ित http://mentalhealthcare.in/corona-affecting-mental-health-of-every-sixth-kids/)

समस्याएं आने पर या मन की बात न होने पर, उनमें क्रोध एवं चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। अभिभावकों को बच्चों की ऐसी मनःस्थिति को समझना होगा। जब एक प्रकार की दिनचर्या निश्चित होती है तब बच्चे भी अपना सर्वोत्तम देने की कोशिश करते हैं। मगर वर्तमान दौर में बच्चों का तो छोड़ो, बड़ों की भी दिनचर्या स्थिर नहीं हो पा रही है। गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर भले ही आ रही हो लेकिन दिनचर्या अभी तक सुधरी नहीं है। ऐसे में बच्चों को लेकर माता-पिता को कुछ ज्यादा ही सावधान रहना होगा।

(किसी भी तरह का भेदभाव मानसिक समस्याएं पैदा करती है http://mentalhealthcare.in/any-type-of-discrimination-begets-mental-problems-category/)

माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के व्यवहार और हरकतों को भूल कर भी नज़रअंदाज़ नहीं करें। कोई बच्चा अगर उदास है और शांत भी, तो माता-पिता को चाहिए की उनसे बात करें, उनकी उदासी को दूर करने का प्रयास करें। जब वे अपने बच्चों की बातों को सुनेंगे, तो उनकी भावनाओं को समझना आसान होगा, और उनके बदले व्यवहार को नियंत्रित करना इतना मुश्किल नहीं होगा। इसके लिए सर्वप्रथम माता-पिता को अपना ख्याल रखना होगा। इसके लिए उनको कुछ खास बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।

इन सुझावों को आजमाएं:

  • बच्चों की अच्छी नींद, पौष्टिक आहार का विशेष ध्यान रखें
  • उन्हें रोजाना शारीरिक व्यायाम व योग करवाएं, खुद भी बच्चों के साथ बैठ योग करें
  • बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा क्वालिटी टाइम बिताने का प्रयास करें
  • उनके साथ खेलें, पढ़ें, साथ खाना खाएं।
  • जब कभी बच्चा अच्छा व्यवहार या काम करे तो उसकी प्रशंसा जरूर करें।
  • बच्चों की एक दिनचर्या निर्धारित करें। स्क्रीन टाइम सीमित करें।
  • बच्चों के सामने हमेशा नकारात्मक बातें न करें
  • बच्चों के सामने झगड़ा भूल कर भी न करें
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