Mental Health

मुक्ताक्षर

दो बार नवरात्र पड़ना यानी मानसिक स्वास्थ्य को दोगुना फायदा

लेखक: Admin

उपशीर्षक: साल में दो बार नवरात्र पर्व मनाने के पीछे पौराणिक कारणों के अलावा कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो हमारे मानसिक और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं

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साल में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्र को देश में बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इनमें से सितंबर-अक्टूबर मास में पड़ने वाली नवरात्रि को आश्विन या शारदीय नवरात्रि तो वहीं मार्च-अप्रैल के महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि या गुप्त नवरात्रि कहते हैं। वैसे तो उत्सवों और पर्व मानसिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम माने ही जाते हैं लेकिन फिर भी नवरात्र का पर्व विशेष रूप से आंतरिक मनोबल और भीतरी ऊर्जा जाग्रत करने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसे में इसका साल में दो बार पड़ना हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी दोगुना लाभ अर्जित करने का अवसर लेकर आता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में दुर्गा माता की पूजा

विशेष रूप से की जाती है जिसमें प्रत्येक दिन माता के नौ स्वरूपों की पूजा और वंदना की जाती है। इस दौरान लोग कई प्रकार से व्रत भी करते हैं जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है, इसके अलावा अन्य कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं जो बताते हैं कि यह पर्व क्यों हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर है।

मानसिक बल अर्जित करने की बटोरते शक्ति:

नवरात्र को दौरान आम तौर पर पहले तीन दिनों में स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करने वाली महाकाली, अगले तीन दिनों में धन (आंतरिक और बाहरी) का प्रतिनिधित्व करने वाली महालक्ष्मी और अंतिम तीन दिनों में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करने वाली महासरस्वती की पूजा करने की परंपरा है। आंतरिक धन, स्वास्थ्य (मानसिक और शारीरिक) और आध्यात्मिक ज्ञान जीवन की वो पूंजी हैं जिनके बिना खुश होना मुश्किल है। खुशहाल जीवन के लिए केवल बाहरी धन, स्वास्थ्य और ज्ञान अकेले पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि हम सभी को आंतरिक धन, आंतरिक स्वास्थ्य और आंतरिक ज्ञान की भी जरूरत पड़ती है। आंतरिक धन में सत्य, धर्म, दया, प्रेम और करुणा जैसे गुणों की पूंजी शामिल है तो आंतरिक स्वास्थ्य का तात्पर्य मानसिक स्वास्थ्य से है, जिसमें मन में अच्छे और महान विचार आते हैं तो वहीं आंतरिक ज्ञान यानी की आध्यात्मिक ज्ञान है खुद की अंतर चेतना को बहुत ऊंचा ले जाना। और हम इन तीनों ही शक्तियों को अर्जित करने का प्रयास नवरात्र में करते हैं। यानी साल में दो बार ऐसा शानदार मौका नवरात्र पर्व हमें देता है।

मानसिक समस्याएं होती दूर:

आयुर्वेद की मानें तो नवरात्र के नौ दिन व्रत रखने वाले लोग दूसरों की तुलना में कम बीमार होते हैं। यह व्रत लोगों के अंदर रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं। इसके अलावा नवरात्र के व्रत रखने से शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है जिससे हमारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

प्रकृति बदलने पर मानसिक संतुलन बनाए रखने में मददगार:

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो दोनों नवरात्रि के समय ही मौसम में बदलाव होता है। गर्मी और सर्दी के रूप में प्रकृति में एक बड़ा बदलाव होता है। प्रकृति में आए इस परिवर्तन के चलते हमारे शारीरिक और मानसिक गतिविधि में संतुलन बना रहना भी बहुत जरूरी होता है और नवरात्र में रखे जाने वाले व्रत और साधना इसमें बहुत मददगार साबित होते हैं।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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