Mental Health

मुक्ताक्षर

बचपन में संगीत वाद्य यंत्र बजाने वालों का दिमाग बूढ़ा होने पर भी तेज बना रह सकता है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: बचपन में संगीत वाद्य यंत्र बजाने के शौकीन लोगों के बारे में गजब का खुलासा हुआ है। सामने आया है कि ऐसे लोगों का दिमाग लंबी उम्र तक तेज बना रहता है साथ ही जोखिम भरे फैसले लेने में भी ऐसे लोग ज्यादा सक्षम होते हैं।

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यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि बचपन में संगीत वाद्य यंत्र बजाने वालों का दिमाग बूढ़ा होने पर भी तेज बना रह सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने बचपन में वाद्य यंत्र बजाने और न बजाने वाले लोगों पर शोध की। इस शोध के बाद वैज्ञानिकों ने दिमाग के लंबे समय तक तेज बने रहने और वाद्य यंत्र बजाने के बीच संबंध के बारे में यह नतीजा निकाला है।

दिमाग को पहुंचाते फायदा:

हम में से कुछ ने बचपन में शायद कभी न कभी कोई न कोई संगीत वाद्य यंत्र बजाया हो या शायद नहीं भी। तो जिन्होंने संगीत वाद्य यंत्र बजाया था या उसका बकायदा प्रशिक्षण लिया था उनके लिए यह शोध खुश होने की वजह बन सकती है। और अगर किसी ने संगीत वाद्य यंत्र नहीं बजाया था वह अपने बच्चों को संगीत वाद्य यंत्र का प्रशिक्षण दिलाकर उनके दिमाग को तेज कर सकते हैं। संगीत वाद्ययंत्र जैसे पियानो, तबला, गिटार, बैंजो या वॉयलिन आदि के बजाने से दिमाग को बहुत फायदा पहुंचता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के शोधकर्ताओं ने देखा कि जो बुढ़े लोग बचपन में कभी न कभी कोई वाद्य यंत्र बजाते रहे हैं उनका दिमाग ऐसे बुढ़े लोगों की तुलना में जो अपने बचपन में संगीत वाद्य यंत्र नहीं बजाते थे से ज्यादा तेज होता है।

जोखिम उठाने की क्षमता भी ज्यादा:

यह भी पाया गया कि ऐसे लोग निर्णय लेने में भी काफी तेज हो सकते हैं। यह विषम परिस्थितियों में जल्दी हार नहीं मानते और विपत्तियों का डटकर सामना करने का हौसला रखते हैं। इसके अलावा इनमें सोच समझ कर जोखिम उठाने और जोखिमपूर्ण निर्णय करने की क्षमता भी ज्यादा होती है।

तर्क क्षमता भी ज्यादा:

अपनी इस शोध में वैज्ञानिकों ने 70 साल से ऊपर के करीब 368 बुजुर्गों को शामिल किया। इनमें से तकरीबन 118 वो लोग थे जिन्हें अपने बचपन या किशोरावस्था में कोई न कोई वाद्ययंत्र बजाने का अनुभव था। अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों से गणित, रीजनिंग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे गए। संगीत वाद्ययंत्र बजाने वाले लोगों में तर्क क्षमता और बोलचाल में शब्दों का चयन दूसरे प्रतिभागियों से ज्यादा पाया गया। सामने आया कि जिन लोगों को अपने बचपन में कभी न कभी किसी संगीत वाद्ययंत्र बजाने का अनुभव था उनकी मानसिक क्षमता उन लोगों से बेहतर थी जिन्हें किसी भी प्रकार के संगीत वाद्य यंत्र बजाने का कोई अनुभव नहीं था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ:

इस बारे में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ स्वर्ण गुप्ता कहते हैं संगीत वाद्य यंत्र बजाना एक प्रकार से मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए व्यायाम जैसा काम करते हैं। संगीत वाद्य यंत्र बजाना रचनात्मक कार्य तो है ही यह मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण काम भी है जिससे हमारा दिमाग व्यस्त रहता है और मन को परेशान करने वाले विचारों से दूर रखता है। बचपन में वाद्य यंत्र बजाना अगर शौक बन जाए तो यह सचमुच दिमाग के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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