लेखक: Admin
उपशीर्षक: शोधकर्ताओं ने यह पहली बार पता लगाया है कि कैसे दो अलग तरह के दमनकारी कड़ियों में विविधता आ सकती है और उसके साथ ही उनकी ताकत भी बढ़ाई जा सकती है।
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तेरे दर्द से दिल आबाद रहा कुछ भूल गए कुछ याद रहा…बातें भूल जाती हैं यादें याद आती हैं…याद न जाए बीते दिनों की…
यादों को लेकर जाने ऐसे कितने ही गीत आपने सुने होंगे लेकिन कैसे कुछ यादें लंबे समय तक दिमाग में साफ और सुरक्षित रह सकती हैं ये गीत नहीं बल्कि हम आपको बताएंगे एक अध्ययन के आधार पर।
हाल ही में एक अध्ययन किया गया है जिसके तहत हुई एक खोज ने इस बात से पर्दा हटाया है कि आखिरकार दिमाग में कुछ यादें कैसे लंबे समय तक सुरक्षित रह पाती हैं। कुछ तो ऐसी भी होती हैं जो मरते वक्त तक इंसान के दिमाग में ताजा रहती हैं।
लंबे समय तक यह अध्ययन का विषय रहा है कि आखिर क्यों इंसान को कुछ यादें हमेशा के लिए याद रह जाती हैं और कुछ को वह भूल जाता है। नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित इस शोध में दिमाग के सीखने या याद करने की प्रक्रिया को समझाते हुए बड़ी बात बताई गई है कि कैसे दिमाग की यह प्रक्रिया याददाश्त को स्थायी रूप देती है, साथ ही कैसे यादों में दखलंदाजी भी कम करती हैं।
दमनकारी कड़ियों का है मुख्य रोल:
शोधकर्ता बताते हैं यादें तब बनती हैं जब दिमाग में संकेत भेजने और प्राप्त करने वाले नर्व सेल के बीच सामन्जस्य स्थापित होते-होते आपस में बहुत ही मजबूत कड़ियां बन जाती हैं। अब इस बात को समझिए कि दिमाग के स्वस्थ तौर से काम करने के लिये उत्तेजना पैदा करने वाली इन कड़ियों को दमनकारी कड़ियों के साथ सामंजस्य स्थापित करना होता है। दमनकारी कड़ियां नर्व से की गई गतिविधियों को मंदा करती हैं। लंबे समय से यह प्रक्रिया याददाश्त के लिए जिम्मेदार दिमाग के महत्वपूर्ण क्षेत्र हिप्पोकैम्पस में पास की नर्व सेल्स को उत्तेजित करने वाले कड़ियों में बदलाव से संबंधित मानी जाती थीं। लेकिन, दमनकारी कड़ियां, जिनको न्यूरोन भी कहा जाता है, में इस प्रकार मजबूती वाले बदलावों पर पहले गौर नहीं फरमाया गया था।
इसलिए आता याददाश्त में स्थायित्व
शोधकर्ताओं ने पाया कि दमनकारी कड़ियों को भी मजबूत किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने यह पहली बार पता लगाया है कि कैसे दो अलग तरह के दमनकारी कड़ियों में विविधता आ सकती है और उसके साथ ही उनकी ताकत भी बढ़ाई जा सकती है जैसा कि उत्तेजना पैदा करने वाली कड़ियों के साथ होता है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन के कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंटिस्ट के साथ काम करते हुए शोधकर्ताओं ने यह भी प्रदर्शित किया कि किस प्रकार याददाश्त में स्थायित्व आ सकता है।
नए अनुभव के साथ ही गायब नहीं होतीं सभी यादें:
शोधकर्ता इस बात से बेहद खुश हैं कि उन्होंने इस तरह के दमनकारी न्यूरॉन्स को खोजा जो अपने संबंधों में बदलाव करने के अलावा सीखने की क्रिया में भी भागीदारी कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि सभी याद्दाश्त नए अनुभव के साथ ही गायब नहीं हो जातीं।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)