लेखक: Admin
उपशीर्षक: जिस प्रकार शारीरिक बीमारियों के बारे में जानने के लिए खून की जांच की जाती है, उसी प्रकार रक्त जांच मानसिक बीमारी की भी जानकारी देगी।
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मालूम हो कि अवसाद पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। आधी से अधिक आबादी किसी न किसी रूप में मानसिक बीमारी से जूझ रही है। बात करें अवसाद की तो कई बार इसके लक्षणों को पहचान पाना आसान नहीं होता। कई बार खुद अवसाद से पीड़ित व्यक्ति तक को इसका पता नहीं चल पाता। ऐसे में रक्त जांच (ब्लड टेस्ट) से अवसाद की जांच होना अवसाद की समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
बायोलॉजिकल मार्कर का होगा प्रयोग:
अवसाद का पता लगाने के लिए होने वाली खून की यह जांच अन्य जांच जैसी ही होगी। इस ब्लड टेस्ट के दौरान आरएनए मार्कर का इस्तेमाल किया जाएगा। आरएनए मार्कर एक प्रकार का बायोलॉजिकल मार्कर है जो अवसाद है या नहीं यह जानकारी देगा।
अलग-अलग बीमारियों को जांचने के लिए जितनी भी तरह के रक्त जांच किए जाते हैं, उसमें अलग-अलग तरह के बायोलॉजिकल मार्कर की जांच की जाती है। इन बायोलॉजिकल मार्कर का कम या ज्यादा होने से पता चलता है कि मरीज को कौन सा रोग हुआ है। इसके अलावा यह भी कि यह किस स्तर पर है।
शारीरिक समस्या के तौर पर मिली पहचान:
गौरतलब है कि अवसाद तेजी से बढ़ती एक ऐसी समस्या है जिसकी समय पर पहचान होना अत्यंत आवश्यक है। इस शोध के बाद, शोध और अध्ययनों की दुनिया में अब अवसाद को एक शारीरिक समस्या के तौर पर भी पहचान मिल गई है जो कि अच्छी बात है। ऐसा होने से अवसाद पीड़ितों को समय पर बीमारी का पता चल सकेगा और वक्त पर इलाज होने पर वह बीमारी से पीछा छुड़ा सकेंगे।
शारीरिक समस्या होने पर चिकित्सक कुछ जांच के माध्यम से बीमारी और उसके स्तर का पता लगाते हैं, लेकिन अवसाद के बारे में अब तक ऐसा नहीं था। अवसाद की समस्या का पता लगाने में अक्सर बहुत देर हो जाती है, जिससे पीड़ित को मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार से काफी नुकसान हो जाता है। न तो मरीज और न ही उसके करीबी अवसाद के बारे में जान पाते हैं। ऐसे में यह शोध बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।
ऐसे तैयार किया रक्त जांच:
इंडिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने यह शोध कि है और रक्त जांच बनाया है। इस रक्त जांच को बनाने में शोधकर्ताओं के 15 सालों के अनुभव और अध्ययनों की सहायता ली गई। प्रमुख शोधकर्ता डॉ एलेक्जेंडर निकुलेस्कु के मुताबिक, “हमारा अध्ययन बताता है कि रक्त जांच के जरिए अवसाद और बायपोलर डिस्ऑर्डर के बारे में पता लगाया जा सकता है।”
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने मनोदशा से जुड़े बायोलॉजिकल आधारों का अध्ययन किया। इसके बाद ऐसे टूल विकसित किए जिनसे अवसाद और बायपोलर डिसऑर्डर के अलग-अलग प्रकारों का पता करने में सफलता मिली। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि हमारी सोचने की क्षमता भी हमारे रक्त जीन से जुड़ी होती है।
अमेरिका में यह रक्त जांच उपलब्ध:
शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारे शरीर का हर तन्त्र चाहे वो मस्तिष्क, इम्यून या तंत्रिका तंत्र हो, सबका एक उभय विकास पथ (कॉमन डेवलपमेंटल रूट) होता है। उदाहरण के तौर पर, जब हम अवसाद में होते हैं, तो कुछ साइको न्यूरोलॉजिकल मैकेनिज्म या हार्मोन स्त्राव होते हैं जो व्यक्ति के रक्त और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं। यानी कि इम्यून एक्टिवेशन या इंफ्लेमेशन का मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है। शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए इस जांच को अमेरिका में मान्यता मिल चुकी है जिसके बाद वहां उन रोगियों के लिए यह जांच उपलब्ध है जिनमें अवसाद और बाइपोलर डिस्ऑर्डर की संभावना लग रही है। पूरी दुनिया में इस रक्त जांच को उपलब्ध कराए जाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)