लेखक: Admin
उपशीर्षक: एक सीमा तक ही खाली समय किसी व्यक्ति के लिए अच्छा साबित हो सकता है। जब यही समय बहुत बढ़ जाये तो यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में आराम विलासिता की वस्तु बन गई है। आराम सबको पसंद है और थके-हारे लोग आराम की खोज में तो रहते ही हैं। जनमानस यह जानते हैं की स्वस्थ तन और मन के लिए थोड़ा खाली समय बहुत जरूरी है। मगर यह आराम अगर दिमाग को शुन्य कर दे तो वो बहुत नुकसानदायक हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम के अध्ययन के मुताबिक बहुत ज्यादा खाली समय बिताना लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को फायदे पहुंचाने की बजाए नुकसान पहुंचा सकता है। जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित हुई इस शोध के मुख्य लेखक मारिया शरीफ के अनुसार, खाली वक्त वैसे तो किसी इंसान के लिए अच्छा साबित हो सकता है लेकिन एक समय तक ही। उसके बाद अगर ये समय बढ़ने लगे तो फिर चिंता का विषय बन जाता है।
यूं हुआ अध्ययन:
अमेरिकन यूज ऑफ टाइम के इस सर्वेक्षण में 21,736 अमेरिकियों पर शोध की गई थी। जिसमें प्रतिभागियों ने पिछले 24 घंटों के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों का एक विस्तृत विवरण प्रदान किया। इसमें हर गतिविधि का समय और प्रतिभागियों की भलाई की भावना पर भी नजर रखी गई। पाया गया कि जैसे-जैसे खाली समय बढ़ा, वैसे-वैसे प्रतिभागियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ। लेकिन, यह सुधार करीब 2 घंटे में बंद हो गया और 5 घंटे के बाद घटने लगा।
घटना की और जांच करने के लिए, शोधकर्ताओं ने 6,000 से अधिक प्रतिभागियों पर दो ऑनलाइन प्रयोग किए। पहले प्रयोग में, उनको कम से कम 6 महीने के लिए प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में खाली समय की कल्पना करने के लिए कहा गया। इसके लिए उनको तीन समय सीमा — कम (प्रतिदिन 15 मिनट), मध्यम (प्रतिदिन 3.5 घंटे) और ज्यादा (प्रतिदिन 7 घंटे) — का विकल्प दिया गया। प्रतिभागियों को यह बताने के लिए कहा गया कि वे किस हद तक खुशी और संतुष्टि का अनुभव करेंगे। शोधकर्ताओं ने अंत में यह पाया कि कम और ज्यादा समय सीमा वाले लोग खुश नहीं थे। माध्यम वर्ग के समय सीमा वालों ने सबसे अधिक आनंद और संतुष्टि का अनुभव किया।
दूसरे प्रयोग में, प्रतिभागियों को प्रति दिन एक मध्यम (3.5 घंटे) या ज्यादा (7 घंटे) खाली समय की कल्पना करने के लिए कहा गया था। उस समय को उत्पादक कार्य जैसे व्यायाम, हॉबी या अनुत्पादक गतिविधियों जैसे, टीवी देखना, कम्प्यूटर गेम खेलना आदि में खर्च करने की कल्पना करने के लिए कहा गया। यह देखा गए कि ज्यादा खाली समय वाले व्यक्ति अनुत्पादक गतिविधियों को कर रहे थे।
निष्कर्ष:
शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को अगर ज्यादा खाली समय मिलता है तो वह दुखी हो सकता है। इसलिए लोगों को मध्यम मात्रा में खाली समय रखने का प्रयास करना चाहिए जिसको वह अपने मनचाहे तरीके में खर्च कर सकें। सेवानिवृत्त लोगों को ज्यादा खाली समय मिलता है तो उन्हें उस वक्त को एक उद्देश्य के साथ बिताने से लाभ होगा।