Mental Health

मुक्ताक्षर

गाना गाने से कम हो सकता है मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का प्रभाव

लेखक: Admin

उपशीर्षक: क्या आप जानते हैं कि दिन में एक बार गाना गाने से मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के प्रभाव को कम किया जा सकता है? द न्यूयार्क  एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित एक शोध तो यही दावा कर रही है।

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सोशल मीडिया पर मनोभ्रंश (डिमेंशिया) एक चर्चित विषय है। हाल ही में रणबीर कपूर ने अपने एक साक्षात्कार में दावा किया कि उनके चाचा रणधीर कपूर भूलने की बीमारी यानी मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का शिकार हो गए हैं, तब से मनोभ्रंश (डिमेंशिया) की चर्चा और भी ज्यादा बढ़ गई है।

आपको बता दें कि मनोभ्रंश (डिमेंशिया) दिमाग की ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति से उसकी यादें छीन लेती है। यही नहीं अपने शिकार को यह नई यादें बनाने का मौका भी नहीं देती। ऐसे में मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से बचने या इसके कुप्रभाव को कम करने के उपाय भी लोंगो तक पहुँचाना अति-आवश्यक है। गीत-संगीत भी उनमें से एक कारगर उपाय है।

द न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक गीत-संगीत का भावनाओं से सीधा संबंध है। यह केवल मनोरंजन ही नहीं बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखने में सक्षम हैं। संगीत, विशेष रूप से गाना गाना, मस्तिष्क में याददाश्त वाले हिस्से को सीधे प्रभावित करता है। यह प्रभाव बहुत अच्छा होता है इससे मनोभ्रंश (डिमेंशिया)  जैसी गंभीर बीमारी का प्रभाव कम हो जाता है।

परिवार से साथ गाना गाना और भी अच्छा:

एक अन्य शोध बताती है कि मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से पीड़ित व्यक्ति जब परिवार, दोस्तों या अपने किसी करीबी के साथ मिलकर गाना गाता है तो इससे उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से पीड़ित व्यक्ति को सामाजिक सहयोग का अहसास होता है। उसकी  जीवन की गुणवत्ता सुधरती है, साथ-साथ लोगों से बेहतर संबंधों का भी अनुभव होता है।
द न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित एक  शोध के अनुसार दिन में एक बार गाना गाना भी असरदार हो सकता है।

गाना और नाचना मतलब दोगुना फायदा:

शोध में बताए गए कुछ और तरीकों में नाचने को भी जगह दी गई है। अगर कोई नाचे और गाए तो उसे और भी फायदा हो सकता है। नाचना भी मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है। नाचने से दिल की धड़कन सकारात्मक रूप से बढ़ती है साथ ही मस्तिष्क की कार्य प्रणाली में सुधार होता है। इसके परिणामस्वरूप न्यूरोप्लास्टिसिटी मजबूत होती है।

ये तरीके भी लाभकारी:

  • खाने में ऐसे पदार्थों को शामिल करें जो मस्तिष्क को पोषण पहुंचाए। इसमें फाइबर, स्वस्थ वसा और मशरूम को रोजाना के भोजन में शामिल किया जा सकता है। चीनी और संसाधित खाद्य पदार्थ (प्रोसेस्ड फूड) को भोजन में बिल्कुल ही न के बराबर जगह दें तो अच्छा रहेगा।
  • व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पैरों में विशेष रूप से संवेदनशील माना गया है। ऐसे में ऐसा व्यायाम करना चाहिए जो नंगे पैर किया जा सकता है।

डराने वाले हैं मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के आंकड़े:

आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 में वैश्विक स्तर पर मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के करीब 5.7 करोड़ मामले आए थे। जिनके बारे में कहा जा रहा है कि यह आंकड़ा 2050 तक 166 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 15.3 करोड़ हो जाएगा। मालूम हो कि हर साल मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं। 2050 तक भारत में मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के मरीजों में 197 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिससे देश में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 1.14 करोड़ से ज्यादा हो जाएगा। गौरतलब है कि वर्तमान में मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के कुल मरीजों की संख्या करीब 38.4 लाख है। यह जानकारी हाल ही में जर्नल लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध में बताई गई है।

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