Mental Health

मुक्ताक्षर

ऊंची आवाज में कहानी सुना कर कम कर सकते हैं बच्चों का मानसिक तनाव

लेखक: Admin

उपशीर्षक: अगर यह शोध काम कर जाती है तो बच्चों को मानसिक अवसाद में जाने से बचाया जा सकता है।


शोधकर्ताओं ने हाल ही में ऐसा दावा किया है कि बच्चों को ऊंची आवाज में कहानी या कविता सुनाने से बच्चों के मानसिक दबाव और तनाव को कम किया जा सकता है। एकेडमिक जर्नल चाइल्ड एब्यूज एंड नेगलेक्ट में प्रकाशित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं का दावा है कि ऊंची आवाज में बच्चों को कहानी या कविता सुनाने का उन पर सकारात्मक असर पड़ता है जिससे उनमें मानसिक दबाव के स्तर को कम किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, बचपन में विद्यालय में बच्चों को जोर से कविताएं और कहानियां सुनाई जाती हैं इसका बच्चों पर सकारात्मक असर दिखता है इसी बात को जांचने के लिए हमने प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले 5 से 6 साल के करीब 65,000 बच्चों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया। इसमें से करीब 3,415 उच्च जोखिम वाले बच्चों की पहचान की गई, जो दुर्व्यवहार का शिकार हो चुके थे। इसमें पाया गया कि ऊंची आवाज में कहानी या कविता सुनाने से बच्चों की मानसिक अवस्था बहुत सकारात्मक हो गयी। वो बच्चे जो दुर्वव्हार का अनुभव कर चुके थे, ऊंची आवाज में कविता व कहानी सुनने के बाद एकदम खुश और तनावमुक्त नजर आए।

शिक्षकों और बच्चों ने माना शोध सही:

नोएडा सेक्टर 12 स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले गौरव ने बताया, “जब कक्षा में मास्टर जी कहानी सुनाते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। ऐसा लगता है बस सुनता ही जाऊं।”

नोएडा में ही स्थित एक अन्य प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षक श्याम कुमार बताते हैं कि शोध में सच बात छिपी मालूम पड़ती है। “जब हम छोटे थे तब विद्यालय में कविता या कहानी सुनाने या सुनते वक्त घर पर हुई पिटाई या हाथ पर मास्टर साहब द्वारा छड़ी से खाया हुआ मार जरा भी याद नहीं रहता था।” उन्होंने बताया, “आज भी विद्यालय में जब बच्चों को ऊंची आवाज में कहानी सुनाई जाती है तो वो बहुत एकाग्र, ध्यानमग्न और मुस्कुराते हुए नजर आते हैं। हालांकि, पहाड़े सुनाते वक्त ऐसा नहीं होता। यह सच में कहानी और कविता सुनाने के बाद ही होता है।”

माताओं को मिला आसान रास्ता, हो गई खुश:

इस बारे में बच्चों की मम्मियों को मानो बच्चों का मानसिक दबाव दूर करने का आसान रास्ता मिल गया। गाजियाबाद की एक सोसाइटी में रहने वाली रीता चौधरी ने कहा, “अब तो मैं जरूर अपने बच्चे को तेज आवाज में कहानी सुनाया करूंगी। छोटेपन में उन पर असर हो भी जाएगा।”

नोएडा के सेक्टर 26 में रहने वाली दीप्ति गर्ग के अनुसार, जब वो छोटी थी तब सच में तेज आवाज में कहानी सुनना बांध कर रखता था। “हमें नहीं पता था यह इतनी आसान तकनीक है बच्चों को तनावमुक्त रखने की। अब जब भी मेरा बच्चा थोड़ा परेशान दिखेगा, मैं तेज आवाज में कहानी सुना उस पर हुए असर को देखूंगी।”

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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