Mental Health

मुक्ताक्षर

बागवानी ने मुझे अवसाद से उबरने में मदद की

लेखक: Admin

उपशीर्षक: कभी मानसिक सेहत से पीड़ित रहने वाली तेजस्विनी ठाकुर बताती है: “मैंने अपनी बालकनी को एक खूबसूरत छोटे से पेड़-पौधों के कार्नर में बदल दिया है। जब भी कभी उदासी या तनाव घेरता है इस स्थान पर बैठते ही मानो छूमंतर सा हो जाता है।”

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अगर कोई चिंतित है, अवसाद में है तो बागवानी करना उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। वैसे भी पेड़-पौधों के साथ रहने से मानसिक सेहत में सुधार होने की बात को अब सब मानने लगे हैं, इस बारे में कई अध्ययन भी हो चुके हैं। अब एक नया अध्ययन बागवानी को लेकर किया गया है जिसमें बागवानी और मानसिक सेहत में सुधार से जुड़ा राज बड़ा ही निराला है।

मानसिक समस्याएं होती कम:

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के शोधकर्ताओं ने हाल में एक नया अध्ययन किया है जो जर्नल पीएओएस वन में प्रकाशित हुआ है। इसमें यह पाया गया है कि बागवानी से लोगों की मानसिक सेहत को फायदा हो सकता है। बागवानी से तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं भी कम होती हैं। बागवानी करने वाले लोगों को फूल-पत्तियों की देखभाल करने में ना केवल खुशी मिलती है, बल्कि वे अपनी समस्याओं को भी कुछ देर के लिए भूल जाते हैं।

खुला अनोखा राज:

शोधकर्ताओं ने पाया कि बागवानी और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार से जुड़े संबंध बेहद अनोखे हैं। दरअसल, बागवानी करते वक्त लोग मिट्टी में हाथ डालते हैं और यह मिट्टी अवसादरोधी (एंटी-डिप्रेशन) दवा की तरह असर करती है। इससे तनाव, चिंता, और अवसाद के लक्षण दूर होते हैं।

इसके अलावा बागवानी सीखने की एक कला जैसी है जिसमें बहुत ज्यादा क्रियात्मकता भी है जो दिमाग को सकारात्मक तौर पर सक्रिय रखती है। बागवानी में गतिविधियां लोगों को शारीरिक और मानसिक व्यायाम जैसा करवा देती हैं जिससे चिंता, तनाव, और अवसाद को दूर करने में सहायता मिलती है।

मेरे मन को बागवानी ने दुरुस्त किया:

अब जो शोध आई है उसका व्यावहारिक परिणाम जांचने के लिए कुछ लोगों से बात की जो बागवानी के शौकीन है इनमें से कुछ ने बागवानी से उनके दिमाग में सुधार होने की बात को स्वीकारा। नोएडा के सेक्टर 55 में रहने वाली शकुंतला देवी ने बताया कि वह पिछले 15 सालों से नियमित बागवानी कर रही हैं उन्होंने अपने घर के टैरिस को खूबसूरत बगीचे जैसा तब्दील कर दिया है। वह कहती हैं ऐसा भी दौर आया था जब वह चिंता और तनाव का शिकार हो रही थीं। चिकित्सकों ने उनको योगा, व्यायाम और प्रकृति के करीब रहने की भी सलाह दी। ऐसे में मेरा बागवानी की ओर रुझान बढ़ा। बाद में मैंने पाया कि इसने सच में असर डाला और मेरी मानसिक सेहत सुधारने में खासी मदद की।

गाजियाबाद की एक सोसाइटी में रहने वाली तेजस्विनी ठाकुर ने बताया कि “मैंने अपनी बालकनी को एक खूबसूरत छोटे से पेड़-पौधों के कार्नर में बदल दिया है। जब भी कभी उदासी या तनाव घेरता है इस स्थान पर बैठते ही मानो छूमंतर सा हो जाता है।”

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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