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मुक्ताक्षर

मानसिक रूप से कमजोर डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों को आपके प्यार की जरुरत है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों के माता-पिता हताश हो स्वयं को कोसते रहते हैं और बच्चे के साथ भी बुरा बर्ताव करने लग जाते हैं, जो कि गलत है। डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों को प्यार और देखभाल की जरूरत है। कई उदाहरण हैं जिनमें डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे और वयस्क सही देखरेख और प्यार की बदौलत अच्छी जिंदगी बिता पा रहे हैं।

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डाउन सिंड्रोम के साथ जन्मे बच्चे शारीरिक रूप से तो देखने में अलग लगते ही हैं इनका मानसिक विकास भी बहुत धीमी गति से होता है। जानकारों का कहना है कि ऐसे बच्चों के साथ प्यार से पेश आने की जरूरत है, न कि उनके साथ बुरा बर्ताव करने की।

अध्ययनों की मानें तो भारत में जन्म लेने वाले प्रत्येक 800 से 1,000 बच्चों में से किसी एक न एक को डाउन सिंड्रोम होता है। ऐसे बच्चों में कुछ विशेष तरह की सेहत संबंधी समस्याओं का खतरा भी बना रहता है लेकिन यह जरूरी नहीं हैं। कई बच्चे एकदम स्वस्थ भी होते हैं। मगर यह जरूर है कि ऐसे बच्चों का मानसिक विकास काफी धीमी गति से होता है।

स्वयं को कोसें

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अनिल अग्रवाल बताते हैं इस स्थिति में माता-पिता हताश हो स्वयं को कोसते रहते हैं और बच्चे के साथ भी बुरा बर्ताव करने लग जाते हैं, जो कि गलत है। वो कहते हैं कि डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों को प्यार और देखभाल की जरूरत है, साथ ही ऐसे बच्चों में अगर कोई रोग दिखाई दे तो किसी उच्च संस्थान या दक्ष विशेषज्ञ की देखरेख में उसका इलाज करवाना हितकर है।

क्या है डाउन सिंड्रोम?

सामान्य बच्चा 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है। जिनमें से आधे-आधे उसे माता और पिता दोनों से मिलते हैं लेकिन जब बच्चे के माता या पिता अतिरिक्त क्रोमोसोम का योगदान करते हैं तो ये अतिरिक्त क्रोमोसोम बच्चे के शरीर में क्रोमोसोम की संख्या बढ़ाकर 47 कर देता है यही डाउन सिंड्रोम की स्थिति कहलाती है। इस प्रकार के बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता जन्म से ही कमजोर होती है। साथ ही बोलने, श्वास संबंधी रोगों से भी ये दो चार होते हैं। जन्मजात ह्रदय रोग और ब्लड कैंसर जैसे रोगों का भी इनको सामना करना पड़ सकता है।

डाउन सिंड्रोम के लक्षण

  • जोड़ों व मांसपेशियों का ढीलापन
  • सिर का आकार सपाट होना
  • आंखों में अजीब सा तिरछापन
  • मानसिक रूप से कमजोर होना
  • हाथ चौड़ा लेकिन उंगलियां छोटी होना
  • बुद्धि स्तर काफी कम होना जिससे ऐसे बच्चे अलग ही हरकतें करते दिखने लगते हैं
  • शारीरिक और मानसिक विकास धीमा होना

इनकी तकलीफों को समझें
ह्रदय रोग से ग्रसित डाउन सिंड्रोम के तकरीबन 50 फीसदी बच्चों की एक वर्ष की उम्र पहुंचने से पहले मृत्यु हो जाती है। भौतिक व मानसिक विकास कम होता है। डाउन सिंड्रोम पीड़ित 13 से 55 फीसदी बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म पाया जाता है। 20 फीसदी को पेट संबंधी रोग होते हैं। सुनने संबंधी परेशानियां भी इनमें हो सकती हैं। तो जरा सोचिए इतनी तकलीफ से गुजर रहे बच्चे के साथ भला दुर्व्यवहार करने की सोच भी कैसे सकते हैं।

प्यार दें तो कट जाएगा सही जीवन

कई उदाहरण ऐसे भी हैं जिनमें डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चे और वयस्क सही देखरेख और प्यार की बदौलत अच्छी जिंदगी बिता पा रहे हैं।

ऐसे करें व्यवहार

  • डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चे या व्यस्क को परिवार के सदस्यों से भावनात्मक सहायता मिलनी चाहिए
  • स्पीच या फिजियोथेरेपी का भी ले सकते हैं सहारा
  • ऐसे बच्चों पर भूल कर भी हाथ न उठाएं
  • माता-पिता स्वयं भी अपनी काउंसलिंग कराएं
  • अगर समर्थ हैं तो ऐसे बच्चों या व्यस्क का मन बहलाने या उसका ख्याल रखने के लिए किसी योग्य प्रशिक्षक की व्यवस्था करें
  • माता-पिता ध्यान (मेडिटेशन) व योग का सहारा ले, खुद के मन को शांत व सकारात्मक विचारों से भरें ताकि वह खुद भी मानसिक तौर पर मजबूत होकर डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चे की अच्छे से देखभाल कर पाएं
  • नकारात्मक बातें करने वालों से बचें और स्वयं भी बच्चे को लेकर नकारात्मक बातें न करें
  • ऐसे बच्चे भावनात्मक तौर पर बेहद कोमल होते हैं, आपकी कोसने वाली बातें उनके मानसिक विकास में और ही बाधा उत्पन्न कर सकती है
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