Mental Health

मुक्ताक्षर

अचानक सोशल मीडिया छोड़ने पर तनाव का शिकार हो सकते हैं आप

लेखक: Admin

उपशीर्षक: सोशल मीडिया लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। सोशल मीडिया एक लत है और लत को धीरे-धीरे ही समाप्त किया जा सकता है

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सोशल मीडिया को लेकर कई अध्ययन सामने आ चुके हैं जो गवाही देते हैं कि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितना गंभीर खतरा बन चुका है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में मानसिक व्याधियां बढ़ने की मुख्य वजह सोशल मीडिया को ही माना जाने लगा है। लोग तनाव, चिंता और अवसाद से खुद को बचाने के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाना भी चाह रहे हैं लेकिन वह यह नहीं जानते कि इससे एकदम से पीछा छुड़ाना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। जी हां, अध्ययनों की मानें तो अचानक सोशल मीडिया छोड़ने से आप तनाव और चिंता का शिकार हो सकते हैं।

डोपामाइन का स्तर से है संबंध:

यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक शोधकर्ता के मुताबिक, सोशल मीडिया एक प्रकार की लत के समान है। जैसे नशे के आदि लोगों में नशे की लत अचानक नहीं छुड़ाई जा सकती, ठीक वैसा ही सोशल मीडिया छोड़ने के बारे में भी है। जिस व्यक्ति को इसकी लत लग चुकी हो वह जैसे ही सोशल मीडिया का प्रयोग करता है उसके शरीर में खुशी पैदा करने वाले डोपाइन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। सोशल मीडिया का प्रयोग न करने पर उसका यह हार्मोन कम होने लगता है और उसमें तनाव बढ़ सकता है। यानी की अगर एकदम से सोशल मीडिया छोड़ दिया जाएगा तो ऐसा व्यक्ति तनाव और अवसाद का शिकार हो सकता है।

इस बारे में मनोरोग चिकित्सक डॉ अनिल गर्ग बताते हैं कि सच यह है कि सोशल मीडिया छोड़ने के आगे जाकर प्रभाव सकारात्मक ही होते हैं। लेकिन अगर कोई इसका लती है तो फिर वह एकदम से सोशल मीडिया से दूरी न बनाए। ऐसा करने से उसमें तनाव का स्तर बढ़ सकता है। वह कहते हैं कि धीरे-धीरे सोशल मीडिया छोड़ना एक फायदेमंद विकल्प है। वह कहते हैं कि पहले इसे देखने का समय कम करना होगा। उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक दिन इसे छोड़ना होगा। ऐसा करते-करते एक दिन ऐसा आएगा जब आप सोशल मीडिया को पूरी तरह से छोड़ पाएंगे और तनाव भी आपको नहीं होगा।

मानसिक परेशानियों का कारण बन रहा सोशल मीडिया:

लगातार ऐसे अध्ययन सामने आ रहे हैं जिसमें सोशल मीडिया के मन पर होने वाले बुरे प्रभावों का जिक्र है। बच्चे और युवा तो मानसिक तौर पर इससे काफी प्रभावित हो रहे हैं। सोशल मीडिया का लती होने पर आत्मविश्वास में कमी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा बढ़ना, नींद में कमी आदि तो होती ही हैं तनाव और अवसाद होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। लोगों के संबंधों में दरार आना, परिवार के सदस्यों में संवाद कम हो जाना, भावनात्मक और बौद्धिक स्तर में कमी आना आदि सोशल मीडिया के बड़े दुष्प्रभाव हैं जिनका सीधा असर हमारे मन और जीवन पर पड़ता है।

डराने वाले हैं अध्ययन:

‘जनरल ऑफ ग्लोबल इनफॉरमेशन मैनेजमेंट’ में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, सोशल मीडिया न केवल मानसिक रूप से तनाव और चिंता की वजह बन रहा है, बल्कि उसके शारीरिक दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने से चिंता, सुरक्षा संबंधी खतरे, प्रदर्शन में कमी, सामाजिक लेनदेन के नुकसान, साइबर बुलीइंग जैसे जोखिम शामिल हैं जो लोगों को चिंता, अवसाद में तो ले ही जाते हैं आत्महत्या तक के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

अवसाद का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म:

प्यू रिसर्च की एक शोध बताती है कि सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग अवसाद की सबसे बड़ी वजह साबित हो रहा है। सोशल मीडिया के कारण लोगों में एक खास किस्म की मानसिक बीमारी ‘सोशल मीडिया एंग्जायटी डिसऑर्डर’ हो जाता है जो लोगों को अवसाद में धकेल देता है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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