लेखक: Admin
उपशीर्षक: अध्ययन में यह पाया गया कि तनाव एपीजेनेटिक प्रोफाइल को प्रभावित करता है जिससे जीन की गतिविधियों पर असर पड़ता है। इसके चलते प्रतिभागियों में संकट, चिंता और अवसाद के लक्षणों में वृद्धि हुई।
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यह तो सभी जानते हैं कि तनाव हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। अध्ययनों के मुताबिक तनाव 90 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है, पर कम ही लोग जानते हैं कि तनाव हमारे जीन की गतिविधि और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करने वाले परिवर्तनों का कारण बन सकता है।
तनाव ‘एपीजेनेटिक’ परिवर्तनों के माध्यम से ऐसा करता है, जो कि हमारी कुछ जीन को चालू और बंद करता है। राहत की बात यह है कि तनाव डीएनए कोड को नहीं बदलता। जर्नल ऑफ़ साइकियाट्रिक रिसर्च में छपी एक शोध के मुताबिक तनाव और हमारे जीन की गतिविधियों के बीच एक खास संबंध है। यह भी सामने आया है कि सहायक एपिजेनेटिक टैग की प्रक्रिया द्वारा हमारे जीन और स्वास्थ्य पर तनाव के कुछ हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सकता है।
क्या है एपीजेनेटिक प्रोफाइल?
हमारे जीन हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। हर व्यक्ति को डीएनए कोड उसके माता-पिता से विरासत में मिलता है, जो पूरे जीवनकाल में नहीं बदलता है। एपिजेनेटिक टैग डीएनए के शीर्ष पर निर्देशों की एक अतिरिक्त परत है। यह निर्धारित करती है कि जीन शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं। एपिजेनेटिक टैग डीएनए कोड को बदले बिना रासायनिक रूप से डीएनए को संशोधित कर सकता है है। इससे हमारा स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। कई कारकों जैसे तनाव, व्यायाम, खानपान, नशीली वस्तुओं के कारण हमारे पूरे जीवन में एपीजेनेटिक परिवर्तन होते हैं। तनाव हमारे जीन को एपीजेनेटिक परिवर्तनों के माध्यम से प्रभावित कर सकता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य विकारों की दर बढ़ सकती है।
क्या था अध्ययन?
यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया में किया गया जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों कारक जो कि तनाव के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रिया को प्रेरित करते हैं कि जांच की गई। यह भी देखा गया कि यह कैसे जीन के एपीजेनेटिक प्रोफाइल को बदलते हैं। शोध में 40 पैरामेडिकल छात्रों का किसी तनावपूर्ण घटना के संपर्क में आने से पहले और बाद में अध्ययन किया गया। छात्रों ने डीएनए के लिए लार के नमूने प्रदान किए और अध्ययन से जुड़ी जीवनशैली और स्वास्थ्य का विवरण देने वाली प्रश्नावली भरी। शोधकर्ताओं ने तनाव के संपर्क में आने से पहले और बाद में एपीजेनेटिक परिवर्तनों की जांच की। पाया गया कि तनाव ने एपीजेनेटिक प्रोफाइल को प्रभावित किया जिससे जीन की गतिविधियों व कार्य पर असर पड़ा। इसके चलते प्रतिभागियों में संकट, चिंता और अवसाद के लक्षणों में वृद्धि हुई। इसमें यह भी पाया गया कि जिन छात्रों के पास मजबूत सामाजिक समर्थन था, उनके स्वास्थ्य पर तनाव ने उतना गंभीर असर नहीं किया। छात्रों के इन दोनों समूहों ने जीन में कम एपीजेनेटिक परिवर्तन दिखाया जो तनाव के परिणामस्वरूप बदल गए थे।