लेखक: Admin
उपशीर्षक: जो महिलाएं लगातार चिंता और तनाव से घिरी रहती हैं उनको गर्भावस्था में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान तनाव का अनुभव होना यूं तो सामान्य है और इससे गर्भपात नहीं होता है, लेकिन अगर तनाव और चिंता बढ़ने लगे और लगातार दिमाग पर हावी रहे तो महिलाओं के लिए यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान मुसीबत का कारण बन सकती है। अध्ययनों की मानें तो महिलाओं को गर्भावस्था की स्थिति में किसी भी तरीके से चिंता और तनाव लेने से बचना चाहिए अन्यथा ज्यादा तनाव गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में ही गर्भपात का कारण बन सकता है। दरअसल गर्भावस्था में अत्याधिक तनाव लेने से जटिलता बढ़ सकती है और महिला गर्भपात का शिकार हो जाती है। जानकारों का कहना है कि गर्भवती होने के दौरान महिलाओं के लिए तनाव को नियंत्रण में रखना सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक होना चाहिए ताकि उनकी गर्भावस्था को सामान्य बनाया जा सके।
बहुत सारे अध्ययन ये बताते हैं कि जो महिलाएं लगातार तनाव में रहती हैं उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है, खासकर गर्भधारण के वक्त और गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में। शोधकर्ताओं का मानना है कि तनाव किसी महिला के शरीर में एक श्रृंखला प्रतिक्रिया (चेन रिएक्शन) शुरू कर सकता है। इस कारण उनके शरीर में कुछ ऐसे रसायन उत्पन्न होने लगते हैं जो बढ़ते हुए भ्रूण पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
इस बारे में स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ मंजू सूद कहती हैं कि तनाव महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान किसी अभिशाप से कम नहीं है। यही कारण है कि बहुत सारे मामले हमारे पास ऐसे भी आते हैं जिनमें बगैर किसी स्वास्थ्य जटिलता के महिलाओं में गर्भपात हो जाता है। वो कहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान तनाव का बढ़ा हुआ स्तर गर्भावस्था की संभावित जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
वहीं अगर अध्ययनों की बात करें तो फिलहाल ऐसे कोई पुख्ता सबूत जुटाए नहीं जा सके हैं जिससे यह साबित हो सके कि गर्भावस्था के दौरान तनाव की वजह से गर्भपात होता है, लेकिन चिकित्सक भी यह मानते हैं कि तनाव गर्भावस्था में गैरजरूरी जटिलता को जन्म देता है। इससे बचने के लिए तनाव पर काबू रखना बहुत जरूरी है।
भ्रूण को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन होते उत्पन्न:
एक अध्ययन की मानें तो जब कोई महिला अत्यधिक तनाव में होती है, तो मस्तिष्क सीआरएच (कॉर्टिकोट्रॉफिन-रिलीजिंग हार्मोन) हार्मोन सहित कई अन्य हानिकारक हार्मोन उत्पन्न करने लगता है। प्रसव के दौरान भी यह हार्मोन स्त्रावित हो सकते हैं जो कि यूट्रस को नुकसान पहुंचा सकते हैं इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे करें बचाव:
डॉ मंजू सूद कहती हैं कि यह सच है कि गर्भावस्था के दौरान पूरी तरह तनाव से बच पाना किसी भी महिला के लिए संभव नहीं है। लेकिन कुछ तरीके अपनाकर हम तनाव को उस स्तर तक तो रोक ही सकते हैं जिससे गर्भ को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।
निम्न तरीकों को अपनाकर गर्भावस्था के दौरान तनाव से निपटा जा सकता है:
- योग, और ध्यान को प्राथमिकता दें
- माइंडफुलनेस प्रक्रिया या किसी अन्य प्रक्रिया के माध्यम से वर्तमान में रहते हुए सकारात्मक सोच बनाए रखने का अभ्यास करती रहें
- गर्भावस्था के दौरान भावनात्मक सहयोग लेने में संकोच न करें।
- अपने परिवार या दोस्तों से पूरी मदद लें
- मैं बिना किसी की मदद के कर लूंगी इस प्रकार की सोच के दायरे में खुद को ना बंधने दें
- जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारी से खुद को बचा कर रखें
- आवश्यक नींद के साथ कोई समझौता नहीं करें
- कामकाजी महिला हैं तो अपने अधिकारी से बात कर इस परिस्थिति को आसान बनाने की कोशिश करें। यथासंभव मदद उनसे ले सकती हैं।
- नेचुरोपैथी, आयुर्वेद थेरेपी आदि की मदद भी ले सकती हैं
- तनाव के स्तर को कम करने के लिए एक विशेषज्ञ के साथ मनोवैज्ञानिक सहायता भी लिया जा सकता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)