Mental Health

मुक्ताक्षर

ज्यादा दिमाग चलाने वाले लोग जल्दी थकते हैं

लेखक: Admin

उपशीर्षक: ज्यादा थका हुआ दिमाग आपको साधारण निर्णय लेने में भी दिक्कत कर सकता है

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वैसे तो आपने सुना होगा “दिमाग से काम लो”, कुछ काम गलत हो जाए तो सुनना पड़ता है “दिमाग से काम लिया करो”, कुछ समझ न आए तो भी सुनना पड़ता है “दिमाग नहीं है क्या जो समझ नहीं आता, जरा दिमाग भी दौड़ा लिया करो”… आदि-आदि। यानी की हमें ये तो बताया जाता है कि दिमाग से काम लो, लेकिन दिमाग से कैसे और कितना काम लिया जाए यह इंसान नहीं समझ पाया है।

यही कारण है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति भी थका-थका सा नजर आता है। आजकल के बच्चे और युवा भी बहुत जल्दी थक जाने की शिकायत करते दिखते हैं और उनके चेहरे भी मुरझाए से लगते हैं। इसका कारण है कि उनका शरीर भले ही स्वस्थ दिखता हो, लेकिन दिमाग बहुत ज्यादा चल रहा होता है।

दिमाग और थकान के बीच है संबंध:

अब एक ताजा अध्ययन ने बता दिया है कि आखिर दिमाग के प्रयोग और शरीर की थकान के बीच क्या संबंध है? पेरिस के पिटी-सालपेट्रियर यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में बताया है कि अगर दिमाग का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो व्यक्ति को थकावट होने लगती है। इसका असर यह होता है कि बहुत ज्यादा दिमाग चलाने वाले व्यक्ति के लिए एक साधारण सा निर्णय लेना भी मुश्किल हो जाता है।

ज्यादा दिमाग का कार्य करने वाले लोगों में नजर आए ये लक्षण:

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने काम करने वाले 2 अलग तरह के लोगों का समूह बनाया। इसमें से एक समूह को किसी काम का आसान हिस्सा और दूसरे समूह के प्रतिभागियों को इसी कार्य का कठिन हिस्सा पकड़ाया गया। जिन लोगों को जटिल, पेचीदा और मुश्किल कार्य दिए गए थे उनमें थकान और आंखों की पुतलियों में फैलाव जैसे लक्षण सामने आए। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि कठिन, जटिल और जिन कामों की सबसे ज्यादा मांग है वह करने से ग्लूटामेट नामक केमिकल बनता है जिसका इस्तेमाल नर्व सेल्स सहित दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में सिग्नल पहुंचाने वाली कोशिकाओं में होता है।

इस केमिकल के बढ़ जाने और इसे नियंत्रित करने की प्रक्रिया के चलते दिमाग की निर्णय लेने की शक्ति प्रभावित होने लगती है जिस कारण थकावट जैसी स्थिति पैदा होती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति के लिए एक साधारण सा निर्णय ले पाना भी बहुत कठिन हो जाता है।

इस अध्ययन की एक लेखिका माथियास पेसिग्लिओन के कहा कि हमने अपने अध्ययन के बाद पाया कि सचमुच संज्ञानात्मक या कठिन कार्य करने से दिमाग में कार्यात्मक परिवर्तन होता है जिससे हमें थकान होने लगती है।

अब सच आया सामने:

आपको बता दें कि इससे पहले जितने भी सिद्धांत थे उसके मुताबिक कहा जाता रहा है कि थकावट एक तरह का संकेत है जो हमें बताता है कि हमें काम करना रोक देना चाहिए। लेकिन अब नए अध्ययन ने बता दिया है कि थकावट की वजह दरअसल हमारा दिमाग ही है। असल वजह है कि दिमाग को ठीक तरह से काम करने देने के लिए हमें रुक जाना है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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