Mental Health

मुक्ताक्षर

रंगों का त्योहार होली आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: मानसिक तनाव भगाने में रंगों की खास भूमिका है। रंगों पर आधारित यह चिकित्सा सदियों पुरानी थी जो कलर थेरेपी के नाम से आज फिर चर्चा में आ गई है।

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होली का त्योहार उमंग और उत्साह का पर्व है जिसमें रंगों का खास महत्व है। कहा जाता है कि गिले-शिकवे दूर भगा कर दुश्मन भी होली पर आपस में गले मिलते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। लेकिन,अगर हम गौर से देखें तो पाएंगे कि होली पर रंग खेलने का राज कहीं न कहीं लोगों के मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। लेकिन, आज शायद हमने इसे केवल होली पर रंग खेलने और जश्न मनाने तक सीमित कर लिया है।

आज मनोविज्ञान भी रंगों के चमत्कार को मानने लगा है और रंगों की मदद से मानसिक व्याधियों को ठीक करने का दावा कर रहा है। रंगों पर आधारित यह चिकित्सा सदियों पुरानी थी जो कलर थेरेपी के नाम से आज फिर चर्चा में आ गई है। वैज्ञानिक कई अध्ययनों के बाद कहने लगे हैं कि कलर थेरेपी शरीर की परेशानियों के अलावा भावनात्मक दिक्कतों को भी ठीक करने में सक्षम है। विशेष रूप से इसका प्रयोग मानसिक तनाव दूर करने में ही किया जाता है।

कहीं हम ही तो नहीं भूल गए रंगों का संदेश:

कलर थेरेपी विदेश में भी प्रसिद्ध हो रही है। भारत में भी इसका चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। लेकिन, होली जैसा पर्व बताता है कि सनातन धर्म में तो बहुत पहले से ही रंगों का स्थान रहा है शायद भारतवासी ही इसे भुला बैठे हैं और होली जैसे त्योहार पर जश्न मनाने के बाद भी नकारात्मकता का रंग खुद से हटा नहीं पा रहे और अवसाद का शिकार हो रहे हैं।

रंगों के जादू को समझें:

विशेषज्ञों के अनुसार कलर थेरेपी से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी राहत मिलती है। इंसान को शांति और सुकून महसूस होता है। कलर थेरेपी में व्यक्ति के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्तर को संतुलित किया जाता है।

उदासी से निकाल लेता हरा रंग:

कलर थेरेपी में हरे रंग का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। इस रंग को बाकी रंगों की तुलना में सबसे संतुलित रंग माना जाता है। हरे रंग से ही कलर थेरेपी की शुरुआत की जाती है। यदि कोई खुद को उदास, हताश या निराश महसूस करता है तो यह रंग उसकी मानसिक स्थिति को सुधार देता है।

गंभीर मानसिक अवस्था में करते लाल रंग का प्रयोग:

लाल रंग भावनात्मक प्रभाव को बढ़ा देता है। कलर थेरेपिस्ट इसका प्रयोग तब करते हैं जब व्यक्ति की मानसिक अवस्था बहुत ज्यादा गंभीर हो। ऐसा माना गया है कि इस रंग से लाल रक्त कोशिकाओं का भी निर्माण होता है।

शांत रखने में मदद करता नीला रंग:

कलर थेरेपी में नीले रंग का प्रयोग शांति और आराम देने के लिए किया जाता है। इससे व्यक्ति को आराम मिलता है और उसका मानसिक तनाव काफी हद तक दूर हो जाता है।

एकाग्रता बढ़ाने को बैंगनी रंग:

कलर थेरेपी में बैगनी रंग का प्रयोग माथे और गर्दन पर किया जाता है। जब मन बहुत भटक रहा होता है तो व्यक्ति को शांत करते हुए उसको एकाग्र करने में मदद करता है।

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