Mental Health

मुक्ताक्षर

मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी अमृत से कम नहीं है नवरात्र पर्व

लेखक: Admin

उपशीर्षक: नवरात्र उत्सव अवसाद सहित तमाम मनोवैज्ञानिक रोगों की ताकत को कम करने की क्षमता रखता है। विश्वविख्यात मनोवैज्ञानिक बर्नी सीगल इस प्रकार के उत्सवों और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के संबंधों को उजागर करते हुए एक किताब लिख चुके हैं

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चैत्र नवरात्र धार्मिक आस्था और विश्वास से जुड़ा पर्व तो है ही, इसका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से भी विशेष संबंध है। इस पवित्र पर्व पर जब सारे वातावरण में पवित्रता और पूजा-प्रार्थना का दौर चलता है तो वह हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी अनुकूल असर डालता है। नवरात्र में लोग श्रद्धा और विश्वास के साथ अनुशासित और संयमित जीवन का पालन कर मन की चंचलता को नियंत्रित करते हैं। नवरात्र पर हम आंतरिक शक्ति, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान इन तीनों शक्तियों को प्राप्त करने की प्रतिज्ञा लेते हैं।

मानसिक रोगों की घटती  है ताकत:

विश्वविख्यात मनोवैज्ञानिक बर्नी सीगल इस प्रकार के उत्सवों और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के संबंधों को उजागर करते हुए एक किताब लिख चुके हैं। इसमें उन्होंने ऐसे अवसरों पर लोगों के मन में जागृत होने वाली आशा और आंतरिक शक्ति की बढ़ोतरी पर प्रकाश डाला है।

आंतरिक शक्ति की बढ़ोतरी और मनोबल बढ़ाने की बात करें तो नवरात्र पर्व का नाम इसमें सबसे ऊपर आता है। कुछ शोधों में यह भी कहा गया है कि नवरात्र जैसे त्योहार तनाव और अवसाद सहित कई प्रकार के मनोवैज्ञानिक रोगों की ताकत को कम करने की क्षमता रखते हैं।

वातावरण शुद्ध तो मन भी शुद्ध:

नवरात्र में अग्नि, जल, घी, कपूर, लौंग, गुगल आदि सामग्रियों को समर्पित किया जाता है। लोग शंख नाद, गायन कीर्तन, हवन, मंत्र, पूजा-पाठ आदि करते हैं तो सामूहिक रूप से सात्विक जीवनशैली के पालन का असर वातावरण पर पड़ता है। जब वातावरण शुद्ध होता है तो लोगों के मन पर भी इसका असर होता है।

जाने नवरात्र का कमाल:

  • नवरात्र में लोगों के दिमाग पर पड़ता है अच्छा असर
  • तन और मन से होता है सकारात्मक रसायनों का स्राव
  • इस प्रकार के रसायनों के स्त्राव से बढ़ जाती है सकारात्मक ऊर्जा
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में होता है इजाफा
  • मन के दुरुस्त होने पर शरीर पर रोगों का कम असर  होता है
  • अवसाद के असर को कम करने में मिलती है मदद
  • मंत्र, हवन और पूजा-पाठ के माहौल से वातावरण में प्रवाहित होती है सकारात्मक ऊर्जा
  • जीवन के प्रति बदलने लगता है नजरिया
  • उदासीनता और एकरसता से निकल उमंग-उत्साह की ओर बढ़ने लगती है जीवन की पटरी
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