लेखक: Admin
उपशीर्षक: अकेलापन एक प्रकार का मानसिक विकार है जो कई प्रकार की मानसिक और शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी आपको परेशानी में डाल सकता है। अकेलापन अगर हावी हो जाये तो यह भविष्य में नौकरी भी छूटवा सकता है
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अकेलापन अविश्वसनीय रूप से एक सामाजिक समस्या है। दुनिया के साथ-साथ भारत में भी अकेलेपन की समस्या तेजी से फैल रही है। परिवार विघटन, वर्तमान परिस्थितियां इसके कुछ मुख्य कारण हैं। अकेलेपन को अक्सर इसी नजरिए से समझा जाता है कि इससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। लेकिन अकेलेपन का इस दायरे के बाहर भी व्यापक असर होता है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। अकेलापन लोगों को बेरोजगार तक कर सकता है। एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है।
क्या कहता है अध्ययन?
इस नई शोध में बताया गया है कि जिन लोगों को अकेलेपन का अहसास होने लगता है वो न केवल मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं बल्कि आगे चलकर उनमें बेरोजगारी का भी जोखिम बढ़ जाता है। शोध के मुताबिक, अकेलापन महसूस करने वाले लोगों को भविष्य में नौकरी छूटने जैसी घटनाओं का भी ज्यादा सामना करना पड़ता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के शोधकर्ताओं ने यह शोध की है जो ‘बीएमसी पब्लिक हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित हुई है।
आपको बताते चलें कि पहले के अध्ययन यह बताते हैं कि बेरोजगार लोग अधिक अकेलेपन का शिकार होते हैं, लेकिन अब जो अध्ययन सामने आया है उसमें पहली बार इस बात की पड़ताल की गई है कि क्या कामकाजी लोगों में अकेलापन बेरोजगारी को बढ़ाता है।
शोध के अग्रणी लेखक निया मारिश बताती हैं कि अकेलापन और बेरोजगारी दोनों का ही मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए देश की सरकारों को चाहिए कि वह अकेलेपन की स्थिति दूर करने के लिए खास ध्यान दे।
15 हजार से अधिक लोगों पर की शोध:
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 2017-2019 के बीच 15 हजार से अधिक लोगों के जवाब के आधार पर आंकड़ा एकत्रित किया। तत्पश्चात 2018-2020 के बीच प्रतिभागियों की उम्र, जाति, लिंग, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, घर-परिवार की जानकारी जुटाई। अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका प्रोफेसर एंटोनिएटी मेडिना-लारा कहती हैं कि “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि अकेलापन लोगों के व्यक्तिगत और आर्थिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।”
काम के दौरान किसी भी चरण में ला सकता है संकट:
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में हेल्थ इकोनॉमिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर रूबेन मुजिका-मोता ने यह भी दावा किया कि यह पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें यह निष्कर्ष निकल कर आया है कि कामकाजी उम्र के किसी भी चरण में अकेलापन बेरोजगारी का खतरा बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि अब जरूरी है कि अकेलापन का कामकाजी उम्र के लोगों के जरिये समाज पर होने वाले प्रभाव को गंभीरता से लिया जाए।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)