लेखक: Admin
उपशीर्षक: छात्र पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालयों में लौट कर बहुत खुश हैं और अच्छा महसूस कर रहे हैं। छात्रों ने यह भी माना है कि घरों में रहकर पढ़ने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। एक नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
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कोरोना के कारण कक्षा भी आभासी होने लगी थी। शुरू में तो छात्रों को इसमें मजा आया, लेकिन कैंपस से दूर होने के कारण धीरे-धीरे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ने लगा। वो विश्वविद्यालय खुलने का इंतजार करने लगे। विश्वविद्यालय का माहौल और दोस्तों को सामने से मिलने का मजा उनको लगातार कैंपस की ओर खींच रहा था। अब जब विश्वविद्यालय खुल गए हैं तो इसका सकारात्मक असर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
स्नातक छात्रों की मानसिक स्थिति को जाना:
‘चेगडॉटओआरजी’ के ‘ग्लोबल स्टूडेंट सर्वे 2022’ में सामने आया है कि ज्यादातर भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालयों में लौट कर बहुत खुश हैं और अच्छा महसूस कर रहे हैं। छात्रों ने यह भी माना है कि घरों में रहकर पढ़ने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा लेकिन विश्वविद्यालय खुलते ही मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।
77 प्रतिशत भारतीय छात्रों ने माना है कि कोरोना ने उनको विद्यालय और विश्वविद्यालय का अनुभव नहीं करने दिया। करीब 55 फीसदी छात्रों ने कहा है कि विश्वविद्यालय आने के बाद उनका मानसिक स्वास्थ्य सुधर गया है। 20 देशों के छात्रों पर यह सर्वेक्षण किया गया जिनमें भारतीय छात्रों की संख्या सर्वाधिक थी। इस नए वैश्विक सर्वेक्षण में स्नातक छात्रों से उनकी पूरी मानसिक स्थिति के बारे में पूछा गया था। इसमें उनके डर, चिंता के कारणों और उम्मीदों को लेकर उनके विचारों पर जानकारी जुटाई गई थी। चेग के अध्यक्ष और सीईओ डैन रोसेनस्विग के अनुसार, शिक्षा के क्षेत्र में आए अब तक के सबसे बड़े व्यवधान के बाद छात्र कैंपस जीवन के साथ तालमेल बैठा रहे हैं।
सामने हैं कई नई चुनौतियां:
डैन के मुताबिक, छात्र खुश तो नजर आ रहे हैं पर इसके साथ ही उनके सामने असमानता, जलवायु परिवर्तन जैसी सामाजिक चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। डैन का कहना है कि ये सर्वेक्षण कोरोना के इस दौर में और आगे भी छात्रों की बेहतरी के लिए सरकारों के लिए नीति बनाने में मददगार साबित हो सकता है।
मालूम हो कि कोरोना काल में देश-दुनिया का माहौल और परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई। कोरोना अभी भी पूरी तरह से गया नहीं है और इसके फलस्वरूप हुए परिणामों को लेकर कई प्रकार के अध्ययन लगातार सामने आ रहे हैं।
सर्वे के मुख्य बिंदु:
- 77 प्रतिशत भारतीय छात्रों ने माना कि कोरोना ने उनको विद्यालय और विश्वविद्यालय का अनुभव नहीं करने दिया।
- 55 फीसदी छात्रों ने कहा है कि विश्वविद्यालय आने के बाद उनका मानसिक स्वास्थ्य सुधर गया
- 20 देशों के छात्रों पर यह सर्वेक्षण किया गया
- सर्वेक्षण में सर्वाधिक रही भारतीय छात्रों की संख्या
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)