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मुक्ताक्षर

चिंता आपको नर्वस ब्रेकडाउन का शिकार बना सकती है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: अगर आप हद से ज्यादा चिंता करते हैं तो जरा सावधान हो जाइए। अपने व्यवहार पर तनिक ध्यान दीजिए। चिंता के कारण अगर उसमें बदलाव आ रहा हो तो यह नर्वस ब्रेकडाउन के लक्षण हो सकते हैं।

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कहा जाता रहा है कि चिंता चिता समान है, लेकिन वर्तमान में चिंता करना जैसे लोगों के व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा बन चुका है। भागदौड़ भरी जीवनशैली में अधिकतर लोग हर वक्त चिंता ही करते रहते हैं। बात छोटी हो या बड़ी, चिंता करना उनकी आदत बन जाती है। लेकिन लोगों को इस बात का पता ही नहीं चलता कि कब चिंता करने की यह आदत उनके व्यवहार में बदलाव ले आती है। वे हर वक्त खुद को परेशानी में पाते हैं। व्यवहार बदलता जाता है। इस स्थिति को नर्वस ब्रेकडाउन कहते हैं।

यानी कि चिंता की अधिकता कब उनको नर्वस ब्रेकडाउन का शिकार बना देती है उनको आभास ही नहीं होता। ऐसे लोगों का दैनिक जीवन कठिन हो जाता है।

नर्वस ब्रेकडाउन को समझें:

वैसे तो नर्वस ब्रेकडाउन कोई चिकित्सीय शब्द नहीं माना गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नर्वस ब्रेकडाउन शब्द को कई प्रकार की मानसिक परेशानियों को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इनमें अवसाद, चिंता, तनाव आदि शामिल होते हैं। यानी कि कहा जा सकता है कि जब कोई व्यक्ति किसी भी कारणवश ज्यादा चिंता या अवसाद की स्थिति में होता है लेकिन इसे स्वीकार नहीं कर पाता तब वह नर्वस ब्रेकडाउन का शिकार कहलाता है।

कभी भी आ सकता है नर्वस ब्रेकडाउन की स्थिति:

नर्वस ब्रेकडाउन की स्थिति कभी भी आ सकती है, ऐसा नहीं कि इसके लिए लंबे समय से कोई कारण चल रहा हो। उदाहरण के लिए किसी परीक्षा में असफल हो जाने पर, एकदम से नौकरी चले जाने पर, अपने किसी करीबी की मौत होने पर, जीवनसाथी के साथ अलगाव होने पर, तलाक होने पर आदि। इसके अलावा अगर पारिवारिक पृष्ठभूमि में मानसिक रोग का इतिहास रहा है तो भी नर्वस ब्रेकडाउन हो सकता है।

लक्षण:

नर्वस ब्रेकडाउन के लक्षण शरीर, मन और व्यवहार के स्तर पर दिखाई दे सकते हैं। इसमें शामिल हैं:

  • लगातार उदास रहना, अकेला महसूस करना
  • खुद को किसी काबिल नहीं समझना, हीनता की भावना से ग्रसित रहना
  • थकान और सुस्ती
  • बुखार महसूस होना
  • किसी भी काम में मन न लगना, कार्यों के प्रति रुचि खत्म हो जाना
  • आत्महत्या के ख्याल आना
  • मांसपेशियों में अकड़न एवं कड़ापन आना
  • चिड़चिड़ापन
  • पेट-संबंधी परेशानियां
  • कब्ज होना
  • नींद न आना
  • डरावने सपने आना
  • हर वक्त डर में जीना
  • भय भरे पूर्वानुमान
  • लोगों से कटे-कटे रहना
  • सफाई से न रहना

ऐसे करें बचाव:

  • नशीली वस्तुओं का सेवन न करें
  • चाय, कॉफी से भी दूर रहें
  • रोजाना व्यायाम के लिए समय निकालें
  • कम से कम आधा घंटा टहलें
  • खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, अंकुरित दालें, मेवा आदि पोषक चीजों को शामिल करें।
  • सोने से पहले स्नान करें
  • मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी देखना बिल्कुल कम कर दें। इसके बजाए प्रेरणादायक किताबें पढें।
  • एक्यूपंक्चर, मसाज थेरेपी, योगा, प्राणायाम आदि के आधार पर तनाव कम करें।
  • खुद को तनावमुक्त रखने के लिए ध्यान (मेडिटेशन) का सहारा लें।
  • काम या पढ़ाई की चिंता दूर करने के लिए बीच-बीच में  विश्राम लें और कुछ देर खुद को शांत करने का प्रयास करें। अपने काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर करें।
  • नर्वस ब्रेकडाउन होने पर चिकित्सक से संपर्क करने में जरा भी न कतराएं। मनोचिकित्सीय सलाह और दवा से नर्वस ब्रेकडाउन को दूर करने में मदद मिलती है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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