लेखक: Admin
उपशीर्षक: अवसाद और तनाव केवल ज्यादा सोचने से या किसी विकट परिस्थिति के आने से ही नहीं होता, बिना किसी कारण तनाव मोल लेने की समस्या आपको अपने पूर्वजों से सौगात में मिली हो सकती है।
—————————————————–
कभी-कभी अचानक से किसी घटना के कारण तनाव जायज है। कभी-कभी हार्मोन में गड़बड़ी होने से भी तनाव हो सकता है। कभी-कभी किसी दूसरे के कारण आप तनाव का शिकार हो सकते हैं। ये सारी परिस्थितियां तनाव को हवा देने के लिए काफी है। लेकिन उनका क्या जो अकारण ही तनाव मोल लेते हैं। मानो कि यह उनकी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन गया हो और कारण चाहे कुछ न भी हो लेकिन वो तनाव के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढ ही लेते हैं। तो इसे क्या कहेंगे? हो सकता हो आप ऐसे तनाव का कारण समझ ही ना पाएं।
ऐसे तनाव और अवसाद आपको आपके पूर्वजों द्वारा सौगात में मिली एक समस्या हो सकती है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक हालिया शोध में यह बात सामने आई है कि तनाव लेने की ऐसी परेशानी वंशानुगत हो सकती है।
इस अध्ययन में उन गुणसूत्रीय जोड़े की पहचान कर गई जो तनाव का खतरा बढ़ा देते हैं। मुश्किल हालात में यह और ही मुश्किल मानसिक समस्या खड़ी कर सकते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष का स्पष्ट आशय यह है कि पीढ़ियों से मिले ये गुणसूत्र हममें मानसिक तनाव और अवसाद बढ़ाने की परेशानी भी पीछे की पीढ़ियों से ले आते हैं।
शोध के मुख्य लेखक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं अर्मेन गोए जियान ने बताया कि मस्तिष्क के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन दोनों गुणसूत्रों को सीओएमटी और टीपीएच-2 नाम से जाना जाता है। गोए जियान के मुताबिक, “हमें अपने इस अध्ययन में तनाव और अवसाद बढ़ने की समस्या और सीओएमटी तथा टीपीएच-2 गुणसूत्रों के बीच महत्वपूर्ण संबंधों का पता चला।” उन्होंने बताया कि यह गुणसूत्र ही मानसिक तनाव और अवसाद की बीमारी को लगातार बढ़ाए रखने के लिए जिम्मेदार है।
मानसिक अवसाद का जोखिम अधिक:
गोए जियान ने स्पष्ट किया कि अध्ययन के परिणाम संकेत देते हैं कि जिन लोगों में ये गुणसूत्र मौजूद होते हैं उनमें मानसिक तनाव और गंभीर अवसाद बढ़ने का जोखिम अधिक हो सकता है। यह अध्ययन इफेक्टिव डिसऑर्डर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन मानसिक अवसाद से ग्रस्त लोगों के लिए बेहतर उपचार और निदान में मददगार साबित हो सकता है।
200 लोगों के डीएनए जांचे:
देखा जाता है कि दुष्कर्म, युद्ध, या प्राकृतिक आपदा जैसी जीवन को हिला देने वाली घटनाओं के बाद ज्यादातर लोग इस तरह के मानसिक तनाव और गंभीर अवसाद से पीड़ित हो जाते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी पीड़ित व्यक्तियों को यह समस्या हो। शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन के लिए 200 लोगों के डीएनए इकट्ठा किए। उनका उद्देश्य इस मानसिक समस्या के आनुवंशिक लक्षणों का पता लगाना था। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए मुख्य रूप से आर्मेनिया के लोगों को चुना क्योंकि 1988 में वहां 6.8 तीव्रता का विध्वंसकारी भूकंप आया था जिसमें 26,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। मरने वालों में एक-तिहाई संख्या बच्चों की थी।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)