लेखक: Admin
उपशीर्षक: सेल्फ थेरेपी हमें भीतर से मज़बूत बना सकती है और जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करती है।
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वर्तमान में तनाव, चिंता और अवसाद हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। हर कोई किसी न किसी प्रकार की उलझन में है। अब इस उलझे मन को भला दूसरा उलझा मन कैसे संभाल सकता है। ऐसे में अब खुद का डॉक्टर बनने का समय आ चुका है। विशेष रूप से मन को संभालने का जिम्मा तो हमें खुद ही लेना पड़ेगा क्योंकि हमारे मन को हम ही सबसे बेहतर समझ सकते हैं, कोई दूसरा नहीं।
ऐसे में सेल्फ थेरेपी या स्व-चिकित्सा की मदद से हम अपने को ज्यादा बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं और अपने आत्मविश्वास और मनोबल को बढ़ा अवसाद की गर्त में जाने से खुद को बचा सकते हैं।
कई अध्ययन बता रहे हैं कि मानसिक तनाव भारत में भी गहरी जड़ जमा चुका है। धीरे-धीरे यह तनाव अवसाद में बदल जाता है। सेल्फ थेरेपी की मदद से हम ख़ुद को बचा सकते हैं। सेल्फ थेरेपी हमें भीतर से मज़बूत बना सकती है और जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करती है।
जाने सेल्फ थेरेपी के बारे में:
सेल्फ थेरेपी यानी कि स्व-चिकित्सा में बगैर किसी मनोचिकित्सक की मदद से स्वयं का उपचार किया जाता है। इस थैरपी में कुछ छोटे-छोटे अभ्यास होते हैं जिन्हें रोजाना करने से हमारे मन को बहुत फायदा मिलता है। हम ऐसा कह सकते हैं कि सेल्फ थेरेपी में मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए मन को व्यायाम कराया जाता है और जब मन सही तो सब सही होता है।
हीन भावना को दूर करती:
सेल्फ थेरेपी ऐसे लोगों के लिए भी बहुत कारगर है जिनमें हीन भावना है और उनका आत्मविश्वास कम हो चुका है। हीन भावना तनाव का एक बहुत बड़ा कारण होता है। ऐसे लोग ख़ुद की दूसरों से तुलना करते रहते हैं और खुद को बहुत कम आंकने लगते हैं। वह अपनी कमियों को पहचान नहीं पाते या मानने से इंकार कर देते हैं। ऐसे में सेल्फ थेरेपी ही उनकी मदद कर सकती है।
नकारात्मक सोच को हटाती:
सेल्फ थेरेपी के लिए आप ऑनलाइन मदद भी ले सकते हैं। ऑनलाइन कोर्स की वेबसाइट पर आत्मविश्वास और स्व-निखार से संबंधित कोई भी कोर्स चुन सकते हैं। ये कोर्स आपकी नकारात्मक सोच और आदतों में सुधार लाने में मदद कर सकते हैं। ये आपको रोजाना के व्यायाम करवाएंगे जिससे आपको बहुत फायदा होगा।
सेल्फ थेरेपी की इन रणनीतियों को अपनाएं:
क्लीनिकल साइक्रेटिस्ट सपना गुप्ता बताती हैं कि सेल्फ थेरेपी हमारे मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने की बहुत ही कारगर तकनीक है। इसके लिए कुछ रणनीति अपनानी पड़ती है। कुछ छोटी-छोटी बातें होती हैं जिन पर अगर अमल किया जाए तो आपका जीवन पूरी तरह से बदल सकता है।
इन बातों पर ध्यान दें:
- रोज अपने विचारों का विश्लेषण करें। आपको खुशी व दुख देने वाली भावनाओं को पहचानें। सुख–दुख देने वाली परिस्थितियों व अपने अनुभवों को डायरी में लिखें।
- अपनी कमियों व गलतियों पर ध्यान दें व रोज इनको डायरी में नोट करें। इन कमियों को स्वीकारें और इनमें सुधार लाने की मेहनत करें।
- अगर कोई आपकी कमियां बता रहा है तो चिढ़े नहीं बल्कि उनको स्वीकार करें व उनको भी डायरी में लिखें
समस्या को दो भागों में बांटें:
- अपने मन और मस्तिष्क का विश्लेषण करें। समस्याओं को व्यावहारिक और भावनात्मक दो भागों में बांटे। इनकी जांच करें और जहां गलतियां हो रही हैं उसको ठीक करने की कोशिश करते रहें।
- उस समस्या के बारे में पहले सोचें जो आपको ज्यादा परेशान कर रही है। समस्या का अध्ययन करें और इसको दूर करने पर काम करें
- अगर थेरेपी में आप किताब पढ़ रहे हैं या लिख रहे हैं तो उसका प्रतिदिन अभ्यास करें।
- पूरा ध्यान एक अभ्यास में लगाएं मल्टीटास्किंग न करें।
प्रेरणादायक किताबें:
सेल्फ थेरेपी में किताबों से आपको बहुत मदद मिल सकती है। कई अध्ययन भी यह बता चुके हैं कि प्रेरणादायक किताबें हमारे मन को कितना ताकतवर बना सकती हैं। दिमाग के लिए किताबें सबसे बेहतरीन व्यायाम हैं। ऐसी पुस्तकें पढ़ सकते हैं जो सेल्फ-हेल्प पर आधारित हों जिनको पढ़ने में आपको रुचि आती हो।
सेल्फ थेरेपी आधारित एप्स करें डाउनलोड:
ऐसे कई ऐप्स हैं जो सेल्फ थेरेपी पर आधारित हैं। ये माइंड गेम्स भी हो सकते हैं या तनाव को जांचने पर आधारित हो सकते हैं। इन ऐप्स को खोजें व इनको अपने मोबाइल में डाउनलोड करें। इनकी मदद से भी आपको सहायता मिल सकती है।
लिखना है फायदेमंद:
रोज़ अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को एक डायरी में लिखें। ऐसा करने से आप अपने विचारों, सोचने का तरीक़ा और चुनौतियां को जान सकेंगे। कहां आप कमजोर हैं और कहां मजबूत यह भी आप समझ पाएंगे। इसके अलावा आप जो बातें किसी से कह नहीं सकते उन्हें लिखने से आपका मन भी हल्का होगा।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)