लेखक: Admin
उपशीर्षक: किशोरवय दिमाग के लिए नींद की अहमियत को समझना बहुत जरूरी है।विकास संबंधी कई हार्मोन किशोरों में नींद के दौरान ही बनते हैं इसलिए नींद को लेकर किशोर और उनके माता-पिता किसी प्रकार की कोताही न बरतें।
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एक स्वस्थ दिमाग के लिए नींद की पर्याप्त मात्रा बहुत जरूरी है। किशोरों के लिए तो नींद की अहमियत कुछ ज्यादा ही खास है। एक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ दिमाग के विकास के लिए किशोर अवस्था बहुत ही खास मानी जाती है। इसी अवस्था में नींद की भूमिका भी बहुत अहम होती है। नींद की कमी से तनाव, चिंता और अवसाद होते हैं। वर्तमान में यह देखने को मिल रहा है कि अनिद्रा की समस्या अवसाद और तनाव का मुख्य कारण बन गई है। किशोरों के मामलों में भी ऐसा ही हो रहा है। अधिकतर किशोर मोबाइल और गैजेट की दुनिया में खोकर अपनी नींद की दुनिया उजाड़ रहे हैं जो उनके लिए खतरे की घंटी बन सकती है।
स्पेन के स्पैनिश नेशनल सेंटर फार कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च के वैज्ञानिकों ने अपने हालिया अध्ययन में दावा किया है कि किशोर अगर हर रात आठ घंटे से कम सोते हैं तो उनमें मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही साथ, उच्च रक्तचाप, असामान्य ब्लड लिपिड व ग्लूकोज जैसी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। जानकारों के मुताबिक ये समस्याएं उनमें तनाव और अवसाद का कारण भी बन सकती हैं। यह तो है हालिया अध्ययन की बात, लेकिन कई ऐसे अध्ययन हैं जो नींद की कमी से किशोरों में होने वाली उन परेशानियों से जुड़े हैं जिनका सीधा संबंध मानसिक परेशानी से है।
कम रह जाती है किशोरों की लंबाई:
कुछ अध्ययन और व्याख्यानों में चिकित्सकों ने यह भी साफ किया है कि आठ घंटे से कम नींद लेने वाले किशोरों की लंबाई कम रह जाती है। यह आगे जाकर उनको हीन भावना का शिकार बना सकती है और किशोरों में अवसाद का कारण बन सकती है।
नींद में ही किशोरों में बनते हैं विकास संबंधी हार्मोन:
कुछ अध्ययनों व सेमिनारों में चिकित्सक यह भी कह चुके हैं कि किशोरों के बेहतर मानसिक व शारीरिक विकास के लिए कम से कम 9 से 9.30 घंटे की नींद आवश्यक है क्योंकि विकास संबंधी कई हार्मोन किशोरों में नींद के दौरान ही बनते हैं इसलिए नींद को लेकर किशोर और उनके माता-पिता किसी प्रकार की कोताही न बरतें। यानी अगर बेहतर विकास और तनाव रहित दिनचर्या चाहते हैं तो दिमाग के लिए नींद को भोजन की तरह मानना होगा।
नींद पूरी न होने से रहता मनोदशा खराब:
किशोर अगर नींद पूरी न करें तो उनमें तनाव, चिड़चिड़ापन, मनोदशा खराब रहने की शिकायत आम हो जाती है जिसका उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ तारा शर्मा ने बताया कि यह सच है कि किशोरों की नींद का चक्र वर्तमान में सबसे ज्यादा बिगड़ा हुआ है। नींद की समस्या को लेकर कई युवा हमारे पास आते हैं। अवसाद वाले मामलों में भी मुख्य वजह नींद पूरी न हो पाना पाई जाती है।
नींद को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े:
85 प्रतिशत से अधिक किशोर रोजाना 9 घंटे से कम की नींद लेते हैं। इनमें 20-25 प्रतिशत किशोर जरूरी नींद भी पूरी नहीं कर पाते, पढ़ाई का दबाव, कई ट्यूशन, टीवी, मोबाइल का अत्याधिक प्रयोग भी इसके कारण हो सकते हैं।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)