Mental Health

मुक्ताक्षर

मानसिक शांति की तलाश में बुजुर्गों की तुलना में युवा हो रहे ज्यादा धार्मिक

लेखक: Admin

उपशीर्षक: अशांति के इस दौर में हर कोई मानसिक शांति की तलाश में है। योग, धर्म, ध्यान हर रीति से लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने का प्रयास कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि मानसिक शांति की तलाश बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं को है


इंग्लैंड में हुए एक सर्वे में उजागर हुआ है कि मुश्किल समय में युवा बुजुर्गों से ज्यादा भगवान को याद कर रहे हैं। जी हां, वर्तमान में मानसिक शांति की तलाश में युवा बुजुर्गों से ज्यादा धार्मिक हो रहे हैं। चर्च ऑफ इंग्लैंड ने हाल ही में एक शोध की है। इस शोध में उजागर हुआ है कि पिछली पीढ़ी की तुलना में युवा पीढ़ी में ध्यान और अध्यात्म के प्रति रुझान कहीं ज्यादा बढ़ा है।

युवा ज्यादा कर रहे प्रार्थना:

शोधकर्ताओं ने इस सर्वे में 18 से 34 साल और 55 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर अध्ययन किया। इस आयु वर्ग के लोगों के बीच तुलना की गई कि पिछले एक महीने में ईश्वर के प्रति उनका क्या रवैया रहा और उन्होंने धार्मिक स्थलों पर जाकर कितनी बार प्रार्थना आदि धार्मिक कार्य किए। सामने आया कि 18 से 34 साल तक के एक तिहाई यानी कि तकरीबन 33 फीसदी लोगों ने पिछले महीने धार्मिक स्थलों में जाकर प्रार्थना की। इस तुलना में 55 साल से ज्यादा उम्र के सिर्फ 26 प्रतिशत लोग ही प्रार्थना करने इन जगहों पर पहुंचे।

अनिश्चितता के माहौल ने बनाया धार्मिक:

अध्ययन बताता है कि 56 फीसदी युवाओं ने किसी न किसी समय पर ईश्वर से प्रार्थना की तो वहीं 55 साल से ज्यादा के केवल 41 फीसदी लोगों ने प्रार्थना करने की बात स्वीकार की। यॉर्क के आर्कबिशप मोस्ट रेव स्टीफेन कॉटरेल ने कहा कि चारों ओर अनिश्चितता के माहौल ने युवाओं को आध्यात्म की ओर ज्यादा आकर्षित किया है। ग्लोबल वार्मिंग, महंगाई, जंग, प्राकृतिक आपदा जैसी वजहें उन्हें ईश्वर के ज्यादा करीब ले आई हैं। कई धर्म गुरुओं का मानना है कि युवा पीढ़ी पिछली पीढ़ी से कहीं ज्यादा आध्यात्मिक हो चुकी है।

यह सर्वे ऐसे समय में आया है जब पिछले एक दशक में, साल 2010 से 2019 तक में ही इंग्लैंड में 423 चर्च हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि सर्वे के नतीजे आम धारणा को बदलने वाले हैं। अब तक यही समझा जाता रहा है कि पढ़े-लिखे युवा धर्म में विश्वास नहीं रखते, लेकिन सर्वे ने बता दिया है कि ऐसा नहीं है।

कोरोना भी बड़ी वजह:

कोरोना महामारी का भी युवाओं को धार्मिक बनाने में बड़ा हाथ है। इस महामारी ने लोगों को वो दिन दिखाए जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकते थे। कोरोना के बाद दुनिया भर में अकेलापन और भय बढ़ा है ऐसे में उन्हें किसी के सहारे की जरूरत थी जो युवाओं को ध्यान और धर्म की ओर ले आई। भारत में भी युवाओं का धर्म और आध्यात्म में रुचि बढ़ी है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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