Mental Health

मुक्ताक्षर

बुजुर्गों को खुद रखना होगा अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल

लेखक: Admin

उपशीर्षक: एक शोध में सामने आया है कि कोरोना महामारी ने बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। कोरोना के कारण कम आयु वाले भी अवसाद की चपेट में हैं। इसलिए, जरूरी है की बुजुर्ग वर्ग अब अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा गंभीर हो।

बुजुर्ग कुछ छोटे-छोटे बदलाव करके अपने उबाऊ दिनचर्या में बदलाव ला सकते हैं

———————————————————————

यूं तो कोरोना महामारी ने हर उम्र के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है लेकिन बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसने सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव डाला है। हाल ही में कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी ने अपनी एक शोध के परिणाम पेश की जो कि “नेचर एजिंग” नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई। इसमें सामने आया कि महामारी की वजह से बुजुर्गों में कई तरह की मानसिक समस्याओं के लक्षण पाए गए।

शोधकर्ताओं ने पाया कि 50 या इससे अधिक आयु के 43 फीसदी वयस्कों ने कोरोना की शुरुआत में मध्यम या तीव्र स्तर के अवसाद संबंधी लक्षणों का सामना किया। पारिवारिक झगड़े और अकेलापन जैसे कारक अवसाद के प्रमुख कारण के रूप में उभरे।

(कोरोना काल में बुजुर्गों की मानसिक सेहत बिगड़ी http://mentalhealthcare.in/elders-felt-mental-health-issues-during-covid/)

भारत में बुजुर्गों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। अध्ययनों के अनुसार भारत में बुजुर्गों की जनसंख्या 1961 से लगातार बढ़ती हुई 2021 में 13.8 करोड़ पर पहुंच चुकी है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान कहता है कि 2050 तक भारत की कुल जनसंख्या में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 19 प्रतिशत हो जाएगी। कुछ अन्य अध्ययनों में यह वृद्धि 20 प्रतिशत बताई गई है।

कोरोना के कारण कम आयु वाले भी अवसाद की चपेट में हैं। इसलिए, जरूरी है की बुजुर्ग वर्ग अब अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा गंभीर हो।

अवसाद के कुछ लक्षण:

  • हमेशा चिंताग्रस्त रहना
  • उदास रहना, निराशावादी बातें करना और बात-बात में रो जाना
  • भविष्य के प्रति निराशावादी हो जाना
  • भय भरे पूर्वानुमानों के साथ जीना
  • हमेशा खालीपन और अपराध बोध से ग्रस्त रहना

मनोवैज्ञानिक इंदु गुप्ता कहती हैं कि ऐसी कई विधियां हैं जिनको अपनाकर बुजुर्ग अपने मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत कर सकते हैं और अकेलेपन और उदास जीवन से स्वयं को दूर कर सकते हैं। वैसे भी भागदौड़ भरी इस जिंदगी में लोगों के पास अपने लिए ही समय नहीं है, वे मानसिक तौर पर भी कमजोर हो रहे हैं। फिर वो दूसरों पर कैसे ध्यान दें। मगर घर के बुजुर्ग यह उम्मीद रखते हैं कि वह जिन लोगों पर आश्रित हैं (घर के लोग) वे उनको समय दें, पास बैठें, और उनका मन बहलाएं। इस दौर में तो ये अब होता नहीं दिख रहा इसलिए बुजुर्ग कुछ छोटे-छोटे बदलाव करके अपने उबाऊ दिनचर्या में बदलाव ला सकते हैं, इससे उनको फायदा होगा। बढ़ती आयु में शारीरिक बीमारियां भी बढ़ती हैं, लेकिन मन तंदुरुस्त हो तो शारीरिक बीमारी भी ज्यादा परेशान नहीं कर पाती।

इंदु गुप्ता इस विषय में कुछ सुझाव आजमाने को कहती हैं जो इस प्रकार हैं:

पौष्टिक आहार खाएं:

अपने खानपान का ज्यादा ध्यान रखें। हल्का-फुल्का खाना ही लें इससे पाचन ठीक रहेगा जो मन स्थिति पर भी असर डालता है। भोजन में फाइबर युक्त आहार को जरूर शामिल करें।

तनाव को रखें दूर:

वृद्धावस्था में तनाव होना स्वाभाविक है। लेकिन तनाव देने वाली बातें और ऐसे माहौल से स्वयं को दूर रखने का प्रयास करें।

शारीरिक सक्रियता का रखें ख्याल:

हल्का-फुल्का व्यायाम अगर कर सकें तो जरूर करें। बैठे नहीं रहें, अगर जाने लायक हों तो टहलने जरूर जाएं। प्रकृति के समीप रहें। खुद को व्यस्त रखने के लिए अपनी रुचि अनुसार कार्य करते रहें।

ध्यान (मेडिटेशन) और योग:

योग और ध्यान (मेडिटेशन) को दिनचर्या में जरूर शामिल करें, क्योंकि ध्यान मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में आपकी मदद करता है। साथ ही किसी विशेषज्ञ से पूछ योगा भी करें।

कुछ अच्छा सुनें या पढ़ें:

दिन में जरूर कुछ अच्छा सुनने या पढ़ने का प्रयास करें ताकि मानसिक रूप से आप मजबूत बने रहें। प्रेरणादायक गीत, कहानियां और अनुभव अधिक से अधिक सुनने, पढ़ने का प्रयास करें। ईश्वर को रोज धन्यवाद दें। इससे आप में अकेलेपन की भावना घर नहीं करेगी और आप बड़ी से बड़ी समस्या को भी हल्का में ही अनुभव करेंगे।

Share on

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *