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मुक्ताक्षर

अवसाद से मुक्ति दिला सकता है प्राणायाम

लेखक: Admin

उपशीर्षक: प्राणायाम ऐसा ही एक सहज योग है जो न केवल रोग निरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) स्तर को बढ़ाता है बल्कि मानसिक तनाव, अवसाद (डिप्रेशन) से भी छुटकारा दिला सकता है। अवसाद से जूझ रहे लोगों के लिए प्राणायाम किसी वरदान से कम नहीं है।

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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक अशांति और तनाव कोई असामान्य बात नहीं है। इस ऊहापोह से बचना सबके लिए आसान नहीं है मगर इसके दुष्परिणाम से खुद को बचाना कतई असंभव नहीं है। दुनिया भर के आयुर्विज्ञान (मेडिकल साइंस) भारत की देन योग और ध्यान (मेडिटेशन) की महत्ता को स्वीकार करने लगे हैं।

 

प्राणायाम ऐसा ही एक सहज योग है जो न केवल रोग निरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) स्तर को बढ़ाता है बल्कि मानसिक तनाव, अवसाद (डिप्रेशन) से भी छुटकारा दिला सकता है। अवसाद से जूझ रहे लोगों के लिए प्राणायाम किसी वरदान से कम नहीं है। अगर सही विधि और नियमित तौर पर इसका अभ्यास किया जाए तो अवसाद कभी आपको छू भी नहीं सकता।

 

बेहतर स्वास्थ्य के लिए यह बहुत जरूरी है कि शरीर में ऑक्सीजन का सही तरीके से संचार हो। हम इस बात से अंजान रहते हैं और ऑक्सीजन के पर्याप्त संचार के अभाव में कई बीमारियों को पाल लेते हैं। अवसाद भी इसमें से एक है, लेकिन प्राणायाम इस मानसिक रोग को जड़ से खत्म कर सकता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है और व्यक्ति खुद को तरोताजा और मानसिक स्तर पर काफी हल्का महसूस करता है।

 

योग प्रशिक्षिका पूनम अवाना कहती हैं वैसे तो सभी प्राणायाम फायदेमंद हैं परंतु तनाव और अवसाद को दूर करने में अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उद्गीत प्राणायाम (ऊँ ध्वनि का उच्चारण) विशेष रूप से लाभदायक हैं। अनुलोम-विलोम इसमें सर्वोपरि है। मानसिक तनाव होने पर इसको करने से नकारात्मक विचार कम होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लग जाती है। भ्रामरी प्राणायाम भी काफी असरदार है। भ्रामरी करने से नींद ना आने की समस्या भी दूर हो सकती है। कई लोग ऐसे हैं जो गलत तरीके से प्राणायाम करते हैं इसलिए उनको सही परिणाम नहीं मिल पाता। खासतौर पर सांस लेने और छोड़ने की सही विधि न मालूम होने के कारण लोग इसका समुचित लाभ नहीं ले पाते।

 

हर कार्य को विधि पूर्वक करना आवश्यक होता है अगर ऐसा नहीं करते तो इच्छित प्राप्ति नहीं होती। ऐसा ही कुछ प्राणायाम के साथ भी हो रहा है। कई बार लोग प्राणायाम शुरू तो करते हैं परंतु बीच में ही इसे छोड़ देते हैं। इसके अलावा दिनचर्या व खानपान में भी बदलाव नहीं करते जिसके कारण इसके पूर्ण लाभ से वंचित रह जाते हैं और फिर बाद में कहते हैं कि इतने दिन प्राणायाम किया पर कोई फायदा नहीं हुआ। अगर हम समय निकाल कर प्राणायाम को अपने जीवन का हिस्सा बना लें तो हम कभी भी अवसाद का शिकार नहीं बनेंगे। अगर हो भी गए हैं तो इससे जड़ से छुटकारा पाया जा सकता है।

 

जाने ये जरूरी बातें:

– किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही प्राणायाम की शुरुआत करें

– शुरू में कम से कम 10 से 15 मिनट करने का ही प्रयास करें, धीरे-धीरे समय को बढ़ायें

– प्राणायाम से पहले हमेशा कुछ आसन अवश्य करें

– आसन के बाद प्राणायाम करने से ज्यादा फायदा मिलता है

– निरंतर अभ्यास करते रहें

– प्राणायाम को बना लें दिनचर्या का जरूरी हिस्सा

– सुबह के वक्त प्राणायाम करना सर्वाधिक उपयोगी है

– समय नहीं है तो शाम का वक्त भी कर सकते हैं

– प्राणायाम से पूर्व पेट को खाली रखें

– खानपान व जीवनशैली में भी बदलाव करें

– अवसाद की दवाइयां चल रही हों तो इनको एकदम न छोड़ें, फायदा मिलने पर डॉक्टरों की सलाह पर ही दवा धीरे धीरे बंद करें

 

अवसाद से संबंधित आंकड़े:

– दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग अवसाद से जूझ रहे हैं।

– देश का हर 21वां इंसान है अवसाद का शिकार

– भारत में 6 करोड़ से अधिक लोग हैं अवसाद की चपेट में

– पूरी दुनिया के अवसाद से पीड़ित लोगों के 18 फीसदी से ज्यादा हैं अकेले भारत में है

– पिछले 10 सालों में 50 फीसदी से अधिक अवसाद के मरीज बढ़े हैं

– 15 से 29 साल की उम्र के लोगों में आत्महत्या की दूसरी सबसे बड़ी वजह अवसाद है

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