Mental Health

मुक्ताक्षर

अनजान से बातचीत और उससे मिली तारीफ अवसाद से बाहर निकाल सकती है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: किसी अनजान का अनुभव हमारी समस्या से मिलाजुला भी हो सकता है जिससे भी हमें फायदा हो सकता है लेकिन हम अनजान लोगों से बातचीत न करके बहुत कुछ खो देते हैं। यह अलग बात है कि आजकल लोगों को अनजान से बातचीत में झिझक होती है।

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वर्तमान समय ऐसा है कि किसी अनजान व्यक्ति से बात करने में लोग डरते हैं। आपसी विश्वास और भय भी अब हमें किसी से वार्तालाप करने से रोक देता है हालांकि, किसी अनजान व्यक्ति से बात करना और उससे मिले प्रशंसात्मक शब्द किसी अवसाद पीड़ित व्यक्ति को अवसाद से भी बाहर निकाल सकते हैं। हाल ही में आई एक शोध तो कुछ ऐसा ही कह रही है। जबकि आजकल बस, ट्रेन, मेट्रो आदि में सफर करते लोगों को मोबाइल-लैपटॉप, अखबार-किताबें आदि पढ़ते ही ज्यादा देखा जा सकता है। लोग अनजान लोगों से बातचीत करना जैसे छोड़ते ही जा रहे हैं।

परिचित की तारीफ से ज्यादा असरदार:

वैसे तो प्रशंसा हर किसी को प्रिय होती है कोई परिचित जब आपकी तारीफ करता है तो अच्छा महसूस होता है लेकिन फिर भी किसी अनजान से मिली प्रशंसा जान-पहचान वाले की तारीफ से ज्यादा असरदार साबित होती करती है। शोध में यह भी बताया गया है कि अनजान से मिली तारीफ आत्मविश्वास बढ़ाती है और लंबे समय तक खुश भी रखती है। यह इतनी असरदार होती है कि एक अवसादग्रस्त व्यक्ति को उसके अवसाद से बाहर निकाल सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भीड़ या समूह में अलग-थलग रहना एक तरह की विकृति का सूचक है।

अनजान की प्रतिक्रिया का डर बातचीत से रोकता है:

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के वैज्ञानिकों ने इस प्रकार का अध्ययन किया है और कहा है कि लोगों से मिलना-जुलना, उनसे बातचीत करना लोगों को ज्यादा खुश बनाता है ज्यादातर को नए-नए लोगों से बातचीत करने का मन भी करता है, लेकिन लोग किसी अनजान से वार्तालाप शुरू करने में संकोच करते हैं। उनको डर होता है कि बातचीत की पहल करने पर अनजान व्यक्ति की प्रतिक्रिया क्या होगी।

गैजेट्स की लत नहीं है बातचीत न करने की वजह:

शोध में यह भी सामने आया कि जब लोग अनजान से बातचीत की प्रतिक्रिया से डरकर बात करने में कतराते हैं तो वह फिर ऐसे में सार्वजनिक जगहों जैसे ट्रेन, वेटिंग रूम, पार्क आदि में खुद को मोबाइल-लैपटॉप जैसे गैजेट्स के साथ व्यस्त रखने का प्रयास करते हैं। हकीकत में लोगों से बात न करने का मुख्य कारण मोबाइल-लैपटॉप आदि गैजेट्स की लत नहीं है। शोधकर्ताओं का कहना है लोग इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाते कि आपस में बात करके वे कितना कुछ सीखेंगे और जानेंगे।

मैसेज से ज्यादा कॉल का असर:

अध्ययनकर्ताओं का कहना है अलग-अलग लोगों की अलग विशेषज्ञताएं होती हैं, साथ ही कुछ विशेष अनुभव भी जिनकी जानकारी भी हमें फायदा पहुंचा सकती है। किसी अनजान का अनुभव हमारी समस्या से मिलाजुला भी हो सकता है जिससे भी हमें फायदा हो सकता है लेकिन हम अनजान लोगों से बातचीत न करके बहुत कुछ खो देते हैं। भले ही अनजान लोगों से औपचारिक बातें बहुत ज्यादा न सिखा पातीं हों, लेकिन आपको खुश जरूर रखती हैं। शोध में यह भी उजागर हुआ कि फोन पर संदेश भेजने के बजाय सीधे कॉल का असर ज्यादा होता है। इसको आधार बनाते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि यह बातचीत के कारण ही होता है।

क्या कहता है सर्वे?

  • वेटिंग रूम में करीब 7 प्रतिशत लोग ही अनजान लोगों से बात करते हैं।
  • ट्रेन-मेट्रो में सफर करते समय केवल 24 प्रतिशत लोगों ने ही अपरिचितों का हालचाल पूछा या उनसे बातचीत की।

भावनाएं रहतीं सकारात्मक:

हाल ही में पिट्सबर्ग में कार्नेगी मेलॉन विश्वविद्यालय की एक शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि सामाजिक समर्थन और वार्तालाप हमें तनाव से दूर रख सकता है। विगत तीन दशकों से भी अधिक समय से रिश्तों और स्वास्थ्य के बीच संबंधों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने इस बात को उजागर किया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि लोगों के जितने अधिक विविध सोशल नेटवर्क और जितने अधिक प्रकार के रिश्ते थे वो विषम परिस्थितियों का भी आसानी से सामना करने में सक्षम थे और अवसाद में आने की संभावना उनमें न के बराबर थी। इस बात के प्रमाण मिले हैं कि अधिक प्रकार के रिश्ते वाले लोगों की भावनाएं भी अधिक सकारात्मक होती हैं जिससे वह तनाव की चपेट में नहीं आते।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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