Mental Health

मुक्ताक्षर

दिवाली का उत्सव मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है

लेखक: एस आनंद

उप-शीर्षक: रोशनी का त्योहार हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक ऊर्जा लाती है लेकिन सभी के लिए नहीं। त्योहारों के मौसम में तनाव से थोड़ा अभिभूत होना सामान्य बात है और उत्सव की संपूर्णता की अपेक्षा करना चिंता और अवसाद का कारण बनती है। त्योहार उत्सव सामाजिक चिंता विकार वाले लोगों के लिए विशेष रूप से तनावपूर्ण हो सकती है।

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दिवाली एक ऐसा त्योहार है जहाँ आप चाहते हैं कि सब कुछ शाही अंदाज में हो। त्योहार की शुरुआत कई दिन पूर्व से सफाई से लेकर मिठाई बनाने, खरीदने, घर की सजावट तक होती है। दीये जलाने से न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक ऊर्जा आती है, बल्कि हम शांत महसूस करते हैं। दिवाली के अवसर पर पकवान बनाना, खाना और खिलाना बहुत से लोगों के लिए अपने आप में सुकून देने वाला होता है। हम अपने घरों को सजाते हैं और अच्छे कपड़े पहनते हैं, और ऐसा करना एक प्रकार से ख़ुशी देने वाला चिकित्सीय व्यवहार होता है। और इन सब के केंद्र में होता है पारिवारिक और सामाजिक बंधन। भले ही हम सालों तक परिवार, दोस्तों से न मिले हों, हम इस दिन साथ आते हैं। उत्साह से भरे उत्सव के अवसर पर अपने परिवार के साथ रहना अपने आप में खुशी का एक तरीका है।

दिवाली की शुरुआत आमतौर पर सफाई से होती है। हम उन चीजों को बाहर निकालते हैं जिन्हें लंबे समय तक छुआ नहीं गया है और जिसकी जरुरत अब नहीं है। अक्सर इन चीजों से हमारी यादें जुड़ी होती है। मगर फिर भी हम अपने विवेक के अनुसार इन वस्तुओं से छुटकारा पाते हैं। उन्हें धीरे-धीरे हटाना और उन्हें साफ करना खुद को आराम देने और अपने आप को नयेपन का अहसास कराने जैसा होता है। इस प्रक्रिया में हम न केवल अपने घरों को बल्कि खुद को भी साफ करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखें तो त्योहारों का उत्सव और विशेष रूप से दिवाली व्यक्ति को बहुत प्रभावित करता है। लेकिन कुछ लोगों को कंपल्सिव होर्डिंग डिसऑर्डर होता है जिसमें व्यक्ति बड़ी संख्या में ऐसी वस्तुओं का भंडारण करता है जिनकी उन्हें आने वाले दिनों में सामान्य रूप से आवश्यकता नहीं होती। ऐसे पीड़ित लोगों को उन वस्तुओं को वर्गीकृत करने में भी कठिनाई होती है और इस वजह से वे बहुत अव्यवस्थित होते हैं। ऐसे लोगों को इन बेकार की वस्तुओं से छुटकारा पाने से और ज्यादा दुख होता है।

त्योहारों के मौसम में तनाव से थोड़ा अभिभूत होना सामान्य बात है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि उत्सव की संपूर्णता की अपेक्षा करना चिंता और अवसाद का कारण बनती है। त्योहार उत्सव सामाजिक चिंता विकार वाले लोगों के लिए विशेष रूप से तनावपूर्ण हो सकती है।

त्योहारों के दौरान घर से दूर रहने वालों के लिए, उदासी, चिंता और अवसाद सामान्य समय की तुलना में बहुत तेजी से प्रहार कर सकता है। सोशल मीडिया के दौर में जब वे अपने दोस्तों को उनके जश्न की खुशनुमा तस्वीरें अपलोड करते हुए देखते हैं, तो वो खुद को उनसे तुलना करने लगते हैं और उदास हो जाते हैं। सोशल मीडिया नकारात्मक भावनाओं को उजागर करता है जो आपको अपर्याप्त महसूस कराता है जिससे आप हीन महसूस करते हैं। एक संतुलित जीवन बनाए रखना जरूरी है और इसकी तुलना सोशल मीडिया पर दोस्तों की चित्रित जीवन से नहीं करना चाहिए। मानसिक विकार से पीड़ित लोगों में “मुझे जश्न मनाने का कोई औचित्य नहीं है” ऐसी भावना उमड़ती है और यह उन्हें और ज्यादा अवसाद या चिंता दे सकती है। चिकित्सकीय रूप से इसे ‘फेस्टिवल ब्लूज़’ कहा जाता है।

यदि आप किसी संकट को झेल रहे हैं या किसी प्रियजन को खो जाने का शोक मना रहे हैं तो त्यौहार के दौरान उनकी अनुपस्थिति का एहसास बढ़ जाता है और यह मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोरोना महामारी के बाद तो ऐसा कई लोगों के साथ होना स्वाभाविक है।

दीपावली के बाद उदासी महसूस करना सामान्य बात है:

आखिर इतने दिनों से आपका ध्यान अपनों से मिलने, अच्छा खाना खाने और रोशनी का त्योहार मनाने पर ही था और जब यह अचानक समाप्त हो जाता है तो आपको दिन-प्रतिदिन के जीवन की ऊब और सांसारिकता से तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लग सकता है।

पोस्ट-फेस्टिवल विदड्रॉल सिंड्रोम से बचने के उपाय :

– परिवार और दोस्तों से जुड़े रहें। मिलने जुलने के लिए त्योहारों के मौसम का इंतजार करना छोड़ दें। यह आपको अकेलापन महसूस करने से रोकेगा।

– हर कुछ दिन पर दिवाली जैसे जश्न मनाएं।

– पूर्णता की तलाश मत करें। दूसरों से तुलना करना या पूर्णता का पीछा करना मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होता है

– दिवाली के बाद सर्दी का मौसम आता है। छोटे दिन और लंबी रातें मौसमी अवसाद का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए घर के बाहर समय बिताने का उपाय करें। धुप में बैठना आपको विटामिन डी भी देगा और मनोदशा को भी अच्छा करता है।

– पूरी नींद लें। लंबी रातों का फायदा उठायें। त्योहारों के मौसम में खोयी हुई नींद को पूरा करें।

– अपने शौक को पूरा करें। समूह में किये गए गतिविधि से सामाजिक दायरे का भी विस्तार होता है और आपको अपनी भावना को व्यक्त करने का अवसर भी मिलता है।

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