लेखक: Admin
उपशीर्षक: योगीश्वर श्री कृष्ण की हर बात निराली थी। उनकी बांसुरी में मानव को शांत और तनावमुक्त करने का संदेश छिपा था। तभी तो बांसुरी बजाने से आज भी मन को शांत और तनाव मुक्त किया जा सकता है।
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श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार आते ही लोग खुशी से सराबोर हो जाते हैं। हों भी क्यों ना, आखिर कृष्ण ही तो वो भगवान हैं जिन्होंने गीता के माध्यम से लोगों को तनावमुक्त रहने के उपाय बताएं, वही लोगों को अपनी बांसुरी की धुन पर सुध-बुध भुलाने पर मजबूर कर दिया करते थे। तभी तो गोपियां इस बांसुरी की धुन पर अपनी सभी चिंता और तनाव भुला कर इसे सुनने के लिए भागी चली आती थीं।
लेकिन क्या आप जानते हैं की कान्हा जी का यह प्रिय वाद्य यंत्र आज भी आपको तनावमुक्त करने का माद्दा रखता है। यानी अगर आप चाहें तो अपने इष्ट श्री कृष्ण के इस प्रिय वाद्य यंत्र को तनावमुक्ति के उपायों के रूप में आजमा कर देख सकते हैं। बांसुरी की सुरीली आवाज आज भी लोगों के मन को अपनी ओर खींचने का काम करती है इसकी मधुर ध्वनि से मन को शांति व सुकून का एहसास होता है। इसे बजाने या सुनने से कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं और कई प्रकार की बीमारियों से खुद को बचाया जा सकता है।
ध्यान और योग में भी आती काम:
बांसुरी की धुन आपको ध्यान केंद्रित करती है। जब कोई मधुर ध्वनि में इसे बजा रहा होता है तो लोग इसकी आवाज पर अपने मन को स्थिर करने में सक्षम हो जाते हैं। इसलिए आपने देखा होगा कि विभिन्न प्रकार के योग कार्यक्रमों में बांसुरी वादन से ध्यान योग भी कराया जाता है। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था से जुड़े गगन बताते हैं कि वे संस्था के कई कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। जहां भी बांसुरी का प्रयोग हुआ मन अपने आप ही शांति से उसे सुनने लगा।
स्मरण शक्ति बढ़ती:
बांसुरी बजाने से मन तो शांत होता ही है स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है। जानकारों की माने तो मन स्थिर व शांत होने से वह ध्यान केंद्रित करने लगता है। इससे एकाग्रता बढ़ जाती है साथ ही याददाश्त भी बेहतर होती है। इससे बातें व चीजें लंबे समय तक याद रहने लग जाती है। इसलिए स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए बांसुरी बजाना कारगर उपायों में से एक माना जाता है। बच्चों को अगर बांसुरी बजाने की आदत डाल दी जाए तो उनकी स्मरण शक्ति में इजाफा हो सकता है।
मन को मिलती शांति, तनाव होता कम:
इस बारे में योग प्रशिक्षक मनोज राणा कहते हैं कि निश्चय ही बांसुरी बजाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे कई शारीरिक और मानसिक लाभ मिलते हैं। अगर रोज बांसुरी बजाई जाए तो मन शांत रह सकता है। यह मनोदशा को सुधार देती है। इसके अलावा बांसुरी बजाने से मांसपेशियों में मजबूती आती है, फेफड़ों की क्षमता में सुधार आता है। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है जिससे कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियां हमसे दूरी बना लेती हैं। ऐसे में अगर आप अपनी मनोदशा सही रखना चाहते हैं और शांति का अनुभव करना चाहते हैं तो इस जन्माष्टमी पर मुरली बजाने का संकल्प कर लें।
वातावरण में बढ़ती सकारात्मकता:
जानकारों का कहना है कि बांसुरी बजाने से मन शांत होने के अलावा वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे नकारात्मकता खत्म होने लगती है और मन खुशियों से भर जाता है। मथुरा में रहने वाले बांसुरी कलाकार कन्हैया गोस्वामी कहते हैं कि सच में बांसुरी बजाना मन को शांति और खुशी देता है। वो कहते हैं कई कार्यक्रमों में बांसुरी बजाई है यह लोगों को बांधे रखती है और मेरा मन तो सदा प्रसन्न ही रहता है क्योंकि मैं रोज ही बांसुरी बजाता हूं और रियाज करता हूं।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)