Mental Health

मुक्ताक्षर

आपके दांत-मसूड़ों की समस्या का कारण आपकी मानसिक स्थिति भी हो सकती है

लेखक: एस आनंद

उप-शीर्षक: आपका मानसिक स्वास्थ्य आपके मौखिक स्वास्थ्य सहित आपके पूरे शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। चिंता, अवसाद, सिज़ोफ्रेनिया और मनोविकृति के रोगियों में ऐसा देखने को मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर, मुँह या जीभ का जलन या मुँह के छाले खराब पोषण के भी संकेत हो सकता है और अवसाद के भी।

————————————————————————————————

बात जुलाई 2020 की है जब कोरोना की पहली लहर में थोड़ी कमी आई थी और मैं अपने दांत की परेशानी से निदान के लिए अपने पुराने परिचित और जामिया डेंटल कॉलेज के भूतपूर्व निदेशक से सलाह लेने उनके कक्ष में पहुंचा था। वहाँ पर पहले से दो लोग, एक महिला और एक युवती, मौजूद थे जो डॉक्टर साहब का इंतजार कर रहे थे। उन दिनों कोरोना लॉकडाउन में ढील देने के बावजूद सरकार ने डेंटल हॉस्पिटल को एहतियात के तौर पर सिर्फ आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने का आदेश दिया था।

यह डॉक्टर साहब दांतों की सुंदरता से संबंधित इलाज करते हैं जो कि किसी भी तरह आकस्मिक सेवा नहीं है और इसी कारण मुझे उन लोगों का वहाँ होना थोड़ा आश्चर्यचकित कर दिया। मैं संभावनाओं के बारे में सोच ही रहा था कि तभी महिला के साथ आई युवती के व्यवहार ने मेरा ध्यान आकर्षित किया। वह दंत चिकित्सा से संबंधित मेज पर रखे एक पत्रिका को बार-बार उठाती और अनमने ढंग से पन्ने पलट रही थी।

अपने कौतूहल को शांत करने के लिए और बातचीत की शुरुआत के लिए मैंने एक सामान्य सी समसामयिक टिप्पणी की, “कोरोना ने काफी भूचाल मचाया है।”

इसके पहले कि मैं कुछ और बोल पाता उस महिला ने तपाक से कहा मानो वह मेरे कुछ कहने का इंतज़ार कर रही हो, “हां तभी तो हम यहाँ हैं। इस महामारी के दौरान इसे दांत की ‘भी’ समस्या शुरू हो गई है।”

“भी” शब्द पर मेरे सिकुड़ते भृकुटी द्वारा व्यक्त जिज्ञासा को देखते हुए, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एन आई एफ टी) के तृतीय वर्ष की छात्रा की माँ ने, अपनी पुत्री की ओर इशारा करते हुए, आगे कहा, “वैसे तो डिप्रेशन इसे पिछले साल हुआ था मगर कोरोना लॉकडाउन के दौरान यह थोड़ा बढ़ गया। इसके साइकेट्रिस्ट का कहना है कि डिप्रेशन के कारण डेंटल कैविटी हो रहा है। डॉक्टर साहब हमारे पड़ोसी हैं और इसलिए हम यहाँ मशवरा लेने आए हैं।”

हमारी बात अभी चल ही रही थी कि इसी बीच डॉक्टर साहब अपने चेंबर में आ गए। हमें इस तरह बात करते देख वो भी इस चर्चा में शरीक हो गए। हालाँकि उनके मरीज़ ने अपनी समस्या के बारे में पहले ही चर्चा कर ली थी, फिर भी वह चिकित्सकीय सलाह की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अपने कक्ष के अंदर ले गए।

और फिर उस महिला और युवती के चले जाने के बाद, हमने दंत स्वास्थ्य पर अवसाद या किसी अन्य मानसिक बीमारी के प्रभाव के बारे में डॉक्टर साहब से थोड़ी चर्चा की। हमारे बातचीत से यही निष्कर्ष निकला कि एन आई एफ टी की वह छात्रा अकेली नहीं थी जिसे मानसिक समस्याओं के कारण दांत और मसूड़ों की समस्या का सामना करना पड़ा था।

आपका मानसिक स्वास्थ्य आपके मौखिक स्वास्थ्य सहित आपके पूरे शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। चिंता, अवसाद, सिज़ोफ्रेनिया और मनोविकृति के रोगियों में ऐसा देखने को मिल सकता है। उदाहरण के तौर पर, मुँह या जीभ का जलन या मुँह के छाले खराब पोषण के भी संकेत हो सकता है और अवसाद के भी।

“आंत एक दूसरा मस्तिष्क है जो अत्यधिक सघन समृद्ध तंत्रिका आपूर्ति से समृद्ध है। इसके साथ जो कुछ भी होता है वह मस्तिष्क को प्रभावित करता है, और इसके विपरीत प्रतिक्रिया में आंत प्रभावित होता है। अधिकांश मानसिक समस्याओं में पेट-मस्तिष्क अक्ष पर कुप्रभाव पड़ता है,” एम्स के मनश्चिकित्सा विभाग के डॉक्टर (प्रो) नन्द कुमार ने कहा।

 व्यवहार में बदलाव के कारण दांतों की समस्या:

मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोग कभी कभी ऐसे व्यवहार में संलग्न हो सकते हैं जो उनके मौखिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जैसे सिगरेट, शराब और बहुत अधिक मीठा पदार्थ का सेवन करना। बहुत अधिक शराब पीने से मसूड़ों की बीमारी हो सकती है।  मीठा पदार्थ थोड़ी देर के लिए बेहतर महसूस कराते हैं लेकिन दांतों की सड़न और कैविटी का कारण बन सकते हैं। मानसिक रोगियों में खराब पोषण से कैल्शियम का स्तर कम हो सकता जो उनके दांतों की सतह के इनेमल को कमजोर कर सकती है।

कुछ मानसिक समस्या वाले लोगों को चिंता विकार होता है जिसके कारण वो दंत चिकित्सक से मिलने से बचते रहते हैं और समस्या बढ़ती रहती है ।

मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं शुष्क मुँह जैसे दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं जो मसूड़ों की बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोग दांतों की समस्या से कैसे बचें:

  1.  दिन में दो बार ब्रश करें
  2.  धूम्रपान बंद करें
  3.  शराब का सेवन कम करें या शराब पीना बंद करें
  4.  शक्करयुक्त खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में कटौती करें
  5.  स्वस्थ, संतुलित आहार लें
  6.  अपने दंत चिकित्सक से नियमित रूप से मिलें

आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चिंता है तो अपने डॉक्टर से अपनी समस्या पर चर्चा करने में देरी न करें। साथ ही देखभालकर्ता के रूप में यह आपका ​दायित्व है की मानसिक रूप से बीमार लोगों को तंबाकू, धूम्रपान, अधिक शराब पीने और नशीली दवाओं के उपयोग के हानिकारक प्रभावों को समझने में मदद करें।

Share on

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *