Mental Health

मुक्ताक्षर

नफरत और प्यार दोनों में दिमाग एक ही जैसा काम करता है, फिर परिणाम विपरीत क्यों?

लेखक: Admin

उपशीर्षक: इस रहस्य से पर्दा हट चुका है। कुछ अध्ययनों में यह बताया गया है कि प्यार और नफरत में दिमाग के साथ आखिर क्या होता है जिससे परिणाम बिलकुल विपरीत होते हैं

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आपने ऐसे कई मामले देखे होंगे जिसमें एक ही व्यक्ति किसी से प्यार कर बैठता है और उसके लिए ही जीने-मरने लगता है। लेकिन यही रिश्ता किसी कारणवश नफरत में बदल जाता है तो वही व्यक्ति जिससे प्यार करता था उसके साथ दुश्मन से भी बदतर व्यवहार करने से नहीं चूकता। जबकि उसका दिमाग तो एक ही है और दिमाग का स्वरूप भी एक, फिर प्यार और नफरत के परिणाम अलग-अलग क्यों? इस बात से पर्दा हट चुका है। कुछ अध्ययनों में यह बताया गया है कि प्यार और नफरत में दिमाग के साथ आखिर क्या होता है।

दिमाग के हिस्सों से जुड़ा है गणित:

अध्ययनों की माने तो नफरत और प्यार में दिमाग का एक ही जैसा स्वरूप होता है। चाहे प्यार हो या नफरत, दोनों भावनाओं में दिमाग के काम करने का तरीका एक ही है। फर्क बस इतना होता है कि जब कोई व्यक्ति प्यार में होता है तो उसके दिमाग में निर्णय और तर्क से संबंध रखने वाला बड़ा हिस्सा निष्क्रिय हो जाता है। जबकि नफरत में फ्रंटल कॉर्टेक्स का छोटा हिस्सा ही निष्क्रिय होता है। इस कारणवश व्यक्ति नफरत में दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना, चोट पहुंचाना, उसका अहित करना या उससे बदला लेना चाहता है।

तस्वीर देखते ही आया गुस्सा:

यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के शोधकर्ताओं ने नफरत और प्यार में दिमाग की भूमिका को जानने के लिए एक अध्ययन किया था। इसमें प्रतिभागियों को उन लोगों की तस्वीर दिखाई गई जिनसे वह नफरत करते थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि तस्वीर दिखाते ही प्रतिभागियों के दिमाग में मेडियल फ्रंटल गाइरस, राइट पुटामेन, प्रीमोटर कॉर्टेक्स, फ्रंटल पोल और मेडियल इंसुला जैसे कई क्षेत्र सक्रिय हो गए। कई अन्य अध्ययनों ने भी इस बात पर मुहर लगाई।

ऑक्सीटोसिन का अहम रोल:

मनोचिकित्सक डॉ गिरीश पाटिल बताते हैं कि जिस तरह से प्यार में शरीर के अंदर ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्त्राव होता है, नफरत में भी इसी हार्मोन की भूमिका होती है। जब इंसान को प्यार, हमदर्दी और प्यार करने वाले का स्पर्श मिलता है तो यह लव हार्मोन बनता है। वहीं जब आप किसी को नापसंद करते हैं तो यही ऑक्सीटोसिन हेट हार्मोन में बदल जाता है।

नफरत के परिणाम भयानक:

जानकारों का मानना है कि अगर लंबे समय तक किसी से नफरत की जाए तो उसका असर नफरत करने वाले के शरीर पर दिखने लगता है। नफरत की यह खतरनाक भावना इंसान को चिंता, बेचैनी, तनाव और शक से घेर कर उसे मानसिक रूप से बीमार कर देती है। कई बार तो व्यक्ति नफरत की भावनाओं के कारण पागलपन तक का भी शिकार हो जाता है। इसे पैरानोया बीमारी भी कहते हैं जिसमें इंसान को भ्रम रहता है कि कोई उसे मारना या नुकसान पहुंचाना चाहता है। वह किसी पर भी यहां तक की अपने परिवार पर भी विश्वास नहीं कर पाता।

नफरत एक शक्तिशाली नकारात्मक एहसास है जो अपने साथ डर, गुस्से या चोट पहुंचाने की भावना को जन्म देती है और व्यक्ति को मानसिक तौर पर खोखला बना देती है। यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के एक प्रोफेसर अपने एक लेख में नफरत को मानव प्रवृत्ति के इतिहास में सबसे विनाशकारी भावना बता चुके हैं।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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