Mental Health

मुक्ताक्षर

क्यों आदतों के आगे हार जाते हैं हम पता चल गया कारण

लेखक: Admin

उपशीर्षक: यह सच है कि आदतें बदलने में मनोबल या इच्छाशक्ति का हाथ है। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है क्योंकि आदतें इच्छाशक्ति से ज्यादा ताकतवर होती हैं। एक हालिया शोध में यह बात सामने आई है।

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अक्सर हम वादे करते हैं कि हम अपनी फलां आदत बदलेंगे। ऐसा नहीं करेंगे, वैसा नहीं करेंगे। या नए साल पर हर बार नया संकल्प लेते हैं लेकिन दूसरे ही दिन उसे तोड़ देते हैं या यों कहें कि पूरा करने में नाकामयाब हो जाते हैं। कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है? वैसे इसका जवाब हमें यही मिलता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति या मनोबल कमजोर है। हम खुद भी जान जाते हैं कि हमारा मन ही आदतों से हार जाता है। हालिया अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि हमारी आदतें हमारे मनोबल या इच्छाशक्ति से ज्यादा ताकतवर होती हैं। इसलिए ही हम अपनी किसी आदत को चाहकर भी नहीं छोड़ पाते या अगर छोड़ भी देते हैं तो कुछ दिनों बाद फिर उस आदत को वापस ले आते हैं।

उजागर हुआ इच्छाशक्ति और आदतों के बीच संबंध:

यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के शोधकर्ताओं ने इंसान की इच्छाशक्ति और आदतों के बीच संबंध पर अध्ययन किया है जिसमें पता चला है कि आदतें किसी इंसान की इच्छाशक्ति से कहीं ज्यादा ताकतवर होती हैं। यही कारण है कि इंसान चाहते हुए भी अपनी किसी आदत को बदलने में नाकामयाब हो जाता है। शोध में देखा गया कि चाय-कॉफी के लती को थकने पर इनकी जरूरत महसूस होती है। वह सोचता है कि थकान के कारण उसे चाय-कॉफी की जरूरत महसूस हो रही है लेकिन सच में ये उसकी आदत है, जो थकान की वजह से उस पर हावी हो जाती है।

जो पाना चाहते हैं उसकी आदत डालें:

शिकागो की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च एंड पॉलिसी के अध्ययनों में यह पाया गया कि दुकानों में सिगरेट के पैकेट कम दिखने पर उसकी बिक्री भी कम हुई। यानी लोगों को उसकी तलब भी कम हुई। वैज्ञानिकों ने पाया कि आदतों का सीधा संबंध हमारी इच्छाशक्ति से है। किसी भी आदत को बदलने के लिए इच्छाशक्ति जरूरी है लेकिन इंसान इच्छाशक्ति से ज्यादा आदतों का मोहताज है क्योंकि आदतें अधिक ताकतवर होती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि आप जैसा बनना चाहते हैं, वैसी आदत अपनाएं तो मनोबल या इच्छाशक्ति के कमजोर होने पर भी लक्ष्य से नहीं चूकेंगे।

कमजोर मनोबल के बाद भी लक्ष्य तक पहुंचा देगी आदत:

इस बारे में मनोवैज्ञानिक सुनीता बत्रा कहती हैं कि यह सच है कि आदतों के आगे मनोबल हार जाता है लेकिन अगर हम जो बनना चाहते हैं या जो करना चाहते हैं उसकी दिखावटी आदत भी बना लें तो कमजोर मनोबल होते हुए भी एक दिन हम वैसे ही बन जाएंगे। उदाहरण के लिए यदि हमें अंदर से किसी पर बहुत गुस्सा आ रहा है लेकिन ऊपर से हम उससे रोज प्यार से ही बात करते रहें तो सच में कुछ दिनों के बात हम सचमुच सौम्य वाणी वाला व्यक्ति बन जाएंगे। क्योंकि हमें अच्छा ही बोलना है यह आदत हमने बना ली। इस बारे में लॉ ऑफ अट्रैक्शन का सिद्धांत भी कहता है जो हम पाना या बनना चाहते हैं उसकी एक्टिंग करना शुरू कर दें यह आदत हमें हमारी मंजिल तक पहुंचा देगी।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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