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मुक्ताक्षर

रजोनिवृत्ति के दौर से गुजर रहीं महिलाओं में बढ़ रहे अवसाद के लक्षण

लेखक: Admin

उपशीर्षक: महिलाओं के लिए रजोनिवृत्ति बहुत ही कष्टकारी अवस्था होती है, लेकिन समय रहते कुछ उपायों को आजमा लें तो अवसाद की चपेट में आने से बचा जा सकता है

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वर्तमान में रजोनिवृत्ति (मेनोपोज) के दौर से गुजर रहीं महिलाओं में तनाव और अवसाद की समस्या बहुत ज्यादा देखी जा रही है। महिलाओं के लिए रजोनिवृत्ति बहुत ही कष्टकारी अवस्था होती है, लेकिन समय रहते कुछ उपायों को आजमा लें तो अवसाद की चपेट में आने से बचा जा सकता है।

रजोनिवृत्ति यूं तो एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे हर महिला को एक पड़ाव पर गुजरना पड़ता है। लेकिन, इस दौरान कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ उनको झेलनी पड़ती हैं। वर्तमान में इस दौर से गुजर रहीं महिलाओं में कई प्रकार की मानसिक समस्याएं देखी जा रही हैं जिनमें शामिल है अनिद्रा, बेचैनी, तनाव, चिड़चिड़ापन, अवसाद आदि।

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शशि रानी बताती हैं कि रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। रजोनिवृत्ति की स्थिति से गुजरने वाली महिलाओं में इन दिनों अवसाद बड़ी समस्या बन रही है। वर्तमान समय और जीवनशैली की इसमें खास भूमिका है। पहले की महिलाएं भी इस दौर से गुजरती थीं लेकिन तब अवसाद का सामना करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम हुआ करती थी। लेकिन, अब हर 5 में से 4 महिलाएं रजोनिवृत्ति के दौरान अत्याधिक तनाव और अवसाद का शिकार हो रही हैं। महिलाओं का मन अशांत और विचलित रहता है, जिसके कारण उनमें उदासी, खालीपन, बेचैनी सी छाई रहती है और वो अवसाद में चली जाती हैं। हर बात पर चिड़चिड़ापन, बार-बार जोर का गुस्सा आना उनके लिए सामान्य सा हो जाता है। कभी-कभी अवसाद इतना बढ़ जाता है कि महिला खुदकुशी के बारे में भी सोचने लगती हैं। वो अकेले रहना चाहती हैं।

डॉ शशि की माने तो अगर इस दौरान उपरोक्त किसी भी प्रकार के मानसिक समस्याओं के लक्षण दिखाई दें तो मनोचिकित्सक से सलाह लेने की अत्यंत जरूरत है। ये भी सच है कि समय रहते ही अगर कुछ उपायों को आजमा लिया जाए तो रजोनिवृत्ति के दौर को बिना किसी घबराहट और अवसाद का शिकार हुए बिना आसानी से पार किया जा सकता है। असल में रजोनिवृत्ति के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं को सेहत का सही तरह से ख्याल रखने की जरूरत है। इससे वो मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रह सकती हैं।

क्या है रजोनिवृत्ति?

महिलाओं में कुदरती रूप से जब मासिक धर्म चक्र पूरी तरह बंद हो जाता है तो वो स्थिति रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) कहलाती है। रजोनिवृत्ति में महिला मां बनने की क्षमता खो देती है। यह अवस्था महिलाओं में शारीरिक और मानसिक तौर पर कई सारे बदलाव लाती है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि रजोनिवृत्ति कोई बीमारी नहीं बल्कि उम्र के साथ आने वाली शरीर की सामान्य गतिविधि है। इसे बिना किसी तनाव लिये समझदारी से संभालने की जरूरत होती है।

धीरे-धीरे होती है यह प्रक्रिया:
रजोनिवृति में महिलाओं का अंडाशय, अंडा निष्कासित करना बंद कर देता है, इससे उनमें मासिक धर्म भी नहीं होता है। रजोनिवृत्ति कभी भी अचानक से नहीं होती। ये वो प्रक्रिया है जो धीरे-धीरे होती है और जब पूरी तरह मेनोपॉज का समय आता है तब मासिक धर्म का होना बिल्कुल बंद हो जाता है। आमतौर पर रजोनिवृत्ति की उम्र 45-50 के बीच होती है। लेकिन, सर्जरी या किसी अन्य कारणों से अगर गर्भाशय को निकालना पड़ा तो समय से पहले भी रजोनिवृत्ति हो सकती है।

लक्षणों को पहचाने:

  • नियमित मासिक धर्म के चक्र में परिवर्तन आना
  • अचानक हद से ज्यादा गर्मी महसूस होने लगना, गर्मी न होने पर भी काफी ज्यादा पसीना आना
  • मूड स्विंग होना
  • अवसाद
  • चिड़चिड़ापन
  • चिंता और तनाव
  • अनिद्रा और बेचैनी
  • एकाग्रता में कमी आ जाना
  • याददाश्त कम हो जाना, भूलने लगना
  • थकान और सिरदर्द

उपाय ताकि न हो अवसाद:

रजोनिवृत्ति के कष्टकारी लक्षणों को जीवनशैली और खानपान में बदलाव लाकर काफी हद तक नियंत्रण में लाया जा सकता है।

इन उपायों को आजमाएं:

  • योगाभ्यास या ध्यान (मेडिटेशन) अवश्य करें इससे मन को शांत करने में मदद मिलती है।
  • थायराइड, ब्लड लिपिड, लिवर प्रोफाइल, किडनी प्रोफाइल, विटामिन और मिनरल, टेस्टोस्टेरोन, प्रोजेस्टेरोन, प्रोलैक्टिन आदि जांच महिलाएं अवश्य करवाएं। इनको करवाने से कुछ ऐसी बातें पता चलेंगी जिसकी कमी से भी अवसाद हो रहा होता है।
  • हार्मोन थेरेपी का सहारा लें
  • अनिद्रा के लिए व्यायाम करें और वजन को कंट्रोल में रखें
  • घर के सदस्यों, दोस्तों और करीबियों से अपनी समस्या का जिक्र करने से न झिझकें। इससे समय रहते आपको मदद मिल सकती है।
  • तनाव, अनिद्रा, अवसाद और थकान जैसे समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सकों की सलाह पर कैल्शियम, विटामिन बी-12, विटामिन डी, मैग्निशियम आदि के सप्लीमेंट अवश्य लें।
  • नशीली वस्तुओं का सेवन न करें
  • पौष्टिक खाद्य पदार्थों को खानपान में शामिल करें
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