लेखक: Admin
उपशीर्षक: यूं तो तनाव उम्र के हर पड़ाव पर ही दिमाग और शरीर को नुकसान पहुंचाता है लेकिन महिलाओं के मामले में अधेड़ उम्र में तनाव का बुरा असर चरम पर होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
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अमेरिका में हुए एक शोध के मुताबिक, जो महिलाएं अधेड़ उम्र, जैसे 44 साल के आसपास, एक ऐसा जीवन जीती हैं जिसमें तनाव बहुत अधिक होता है तो आगे चलकर उनको मानसिक विकार होने की बहुत अधिक संभावना बन जाती है। अधेड़ उम्र की तनावपूर्ण स्थितियां उनकी याददाश्त तक को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। जिसके कारणवश कई गंभीर मानसिक बीमारियां जैसे डिमेंशिया, अल्जाइमर, ब्रेन स्ट्रोक, गंभीर अवसाद का भी वो शिकार हो सकती हैं।
शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में 47 साल की औसत आयु वाले करीब 338 पुरुषों और 575 महिलाओं को शामिल किया। जिनकी 1982 और 2004 के मध्य लगातार कई बार जांचें हुईं और कई सवाल-जवाब होते रहे। इसमें पाया गया कि अधेड़ उम्र में अधिक तनावपूर्ण जीवन के अनुभव ने महिलाओं की याददाश्त को प्रभावित किया उनके स्मृति परीक्षण में भी अधिक गिरावट देखने को मिली।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जेरिएट्रिक साइकियाट्री में प्रकाशित निष्कर्षों में यह भी पता चला कि अधेड़ उम्र में हुए कटु अनुभवों का उनके दिमाग पर अधिक बुरा असर पड़ा। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से पिछले साल में उनके साथ हुई किसी एक दर्दनाक घटना के बारे में सवाल किए जैसे बलात्कार, शारीरिक हमला, धमकी या किसी व्यक्ति के कारण असहनीय परिस्थितियों से गुजरना, तलाक, किसी प्रियजन की मौत, आदि दुख भरी घटनाएं। बाद में शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को कुछ सीखने और याद करने के लिए कहा। जिसमें महिलाओं का प्रदर्शन बेकार रहा।
पुरुषों पर ज्यादा असर नहीं:
शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन महिला और पुरुष के मस्तिष्क पर अलग-अलग असर डालते हैं। महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य की तुलना में पुरुषों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता। अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे रोग की दर भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि हम भले ही तनाव देने वाले कारकों से पीछा नहीं छुड़ा सकते लेकिन, तनाव पर प्रतिक्रिया देने के तरीकों को काफी हद तक समायोजित कर सकते हैं। ऐसा करके हम मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर अच्छा प्रभाव डाल सकते हैं।
इस बारे में स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ अंजू सिकंदर कहती हैं अत्याधिक तनाव लेने से दुखी करने वाला कॉर्टिसोल बढ़ जाता है और खुशी का हार्मोन घट जाता है। अधेड़ उम्र में महिलाओं के शरीर में कई बदलाव हो रहे होते हैं, रजोनिवृत्ति के लक्षण भी शुरू हो जाते हैं जिससे और भी ज्यादा हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसे में इस उम्र में तनाव उनके मस्तिष्क पर बहुत ही बुरा असर डाल सकता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)