Mental Health

मुक्ताक्षर

तनाव लिया तो चली जाएगी खूबसूरती

लेखक: Admin

उपशीर्षक: त्वचा के बारे में यह समझा जाता है कि खराब आहार और जीवनशैली त्वचा को खराब कर रही है, लेकिन तनाव का त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, इसे कम ही लोग समझते हैं।

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तनाव और त्वचा संबंधी समस्याओं के बीच सीधा संबंध है। यानी अगर हम तनाव लेते हैं और उसे लेते रहते हैं तो इसका सीधा असर हमारी त्वचा पर पड़ सकता है। इससे हमारे चेहरे की त्वचा भी अछूती नहीं रहती है। त्वचा के बारे में यह समझा जाता है कि खराब आहार और जीवनशैली त्वचा को खराब कर रही है, लेकिन तनाव का त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, इसे कम ही लोग समझते हैं।

तनाव विभिन्न तरह की त्वचा संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके अलावा  अगर आप पहले से ही त्वचा से जुड़ी किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो तनाव उसे और भी अधिक गंभीर बना सकता है। विज्ञान के अनुसार, तनाव आपकी त्वचा को कठोर बनाता है। तनाव के कारण दुखी करने वाला कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इसके बढ़ने से चेहरे की सुंदरता भी फीकी पड़ने लग जाती है। तनाव के कारण चेहरे पर महीन रेखाएं और बहुत सारी त्वचा से जुड़ी परेशानियां बढ़ने लगती है।

मुंहासों का बढ़ता खतरा:

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ अपर्णा गर्ग बताती हैं कि तनाव से आपके शरीर में कई तरह के हार्मोन का असंतुलन होता है। स्ट्रेस हार्मोन  शरीर में अंदरूनी सूजन (इन्फ्लेमेशन) पैदा करता है। अगर त्वचा तैलीय (ऑयली) है तो मुंहासे निकल आते हैं। जिन लोगों को मुंहासे पहले भी हो चुके हैं, तनाव उनमें  दोबारा मुंहासे बढ़ा देता है।

झुर्रियों को निमंत्रण:

अध्ययनों के मुताबिक, तनाव से त्वचा पर झुर्रियों जल्दी आ सकती हैं।  अत्याधिक तनाव के कारण त्वचा पर मौजूद कोलाजेन टूटने लगते हैं जिसके कारण झुर्रियां आनी शुरू हो जाती हैं।

तनाव प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ता है:

तनाव त्वचा के प्राकृतिक संतुलन  (नैचुरल बैलेंस) को खराब कर देता है। इस कारण किसी की त्वचा तनाव के कारण ज्यादा ही सूखी तो किसी की जरूरत से ज्यादा तैलीय (ऑयली) हो सकती है। इसका मुख्य कारण भी शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन ही है।

एक्जिमा का खतरा भी बढ़ जाता:

तनाव के कारण त्वचा पर  एक्जिमा रोग हो सकता है। इस रोग में शरीर पर लाल या सफेद रंग के चकत्ते हो जाते हैं, जिनमें बहुत तेज खुजली होती है। एक्जिमा संक्रामक रोग नहीं है। लेकिन एक्जिमा अक्सर त्वचा में दरारें पैदा करता है, जिससे यह किसी दूसरे संक्रमण की चपेट में आ जाता है। यह द्वितीयक संक्रमण संक्रामक हो सकता है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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