Mental Health

मुक्ताक्षर

तनाव चयापचय (मेटाबॉलिज्म) की रफ्तार कम कर छीन लेता है ऊर्जा

लेखक: Admin

उपशीर्षक: तनाव आपके दिमाग को तो नुकसान पहुंचाता ही है, साथ ही यह शरीर के चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को भी प्रभावित कर सकता है। और यह तो हम सभी जानते हैं कि चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को नुकसान पहुंचने से हमारे शरीर की ऊर्जा कम हो जाती है और तमाम तरह की बीमारियां हमें घेर लेती हैं।

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आज हम गहराई में जाएं तो पाएंगे कि लगभग हर मर्ज का कारण कहीं न कहीं तनाव ही है। यह धीरे-धीरे हमें बुरी तरह प्रभावित कर देता है यह बात कम ही लोग समझ पाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तनाव नाम सुनते ही केवल मानसिक बीमारियों और व्यक्ति के व्यवहार में आए बदलाव को ही हम देख पाते हैं, लेकिन शरीर की कई बीमारियों की वजह तनाव ही है ये बहुत बाद में पता चलता है। ऐसा ही कुछ है शरीर के चयापचय (मेटाबॉलिज्म) के साथ भी, जो तनाव के कारण अपनी रफ्तार धीमी कर देता है। चयापचय (मेटाबॉलिज्म) की रफ्तार धीमी होने से वजन बढ़ना, सुस्ती आना आदि के साथ-साथ और भी कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं। इसलिए तनाव को बहुत दूर रखने की जरूरत है।

जानकारों का कहना है कि इस प्रकार की तमाम दिक्कतों से बचे रहना है तो प्रभावी तनाव प्रबंधन विधियों को अपनाना ही पड़ेगा। क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए शरीर और दिमाग दोनों को पर्याप्त मात्रा में आराम मिलना जरूरी है।

चयापचय धीमा मतलब ऊर्जा का ह्रास

यह तो हम सभी जानते हैं कि शरीर का सुचारू रूप से काम करते रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हमें यह भी पता है कि पर्याप्त ऊर्जा के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, पर भोजन से ऊर्जा दिलाने का काम कौन करता है यह कम लोगों को पता है। इसका जवाब है चयापचय (मेटाबॉलिक) गतिविधि।

चयापचय शरीर में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं की एक ऐसी श्रृंखला है जो शरीर को दिए जाने वाले भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करती है। इसके अलावा चयापचय गतिविधि शरीर की कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए भी आवश्यक होती है। वसा को जलाने के अलावा भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने में चयापचय की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। तो अब जरा सोचिए चयापचय गड़बड़ाने से ऊर्जा का क्या हाल होगा और इससे हमारा सामान्य जीवन कितना कठिन हो जाएगा।

 

तनाव बढ़ना खतरनाक है

शारीरिक रूप से सक्रिय न होना चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को कम करता है। जब व्यक्ति तनावित होता है तो वह शारीरिक गतिविधियों के प्रति भी उदासीन होने लगता है। उसकी जीवनशैली गतिहीन हो जाती है, इससे चयापचय से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। तनाव के कारण लोगों में अनिद्रा की समस्या बढ़ रही है, वो देर से सोते हैं और कभी-कभी देर रात तक जागते हैं और थोड़ी सी ही नींद के बाद उनकी आंख फिर खुल जाती है। विज्ञान के अनुसार, देर से सोना और फिर जल्दी उठ जाना चयापचय समस्याओं का कारण बन सकता है। बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए सभी को रोजाना 6 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। नींद-संबंधी समस्याओं के कारण चयापचय (मेटाबॉलिज्म) की दर कम हो सकती है और इससे वजन भी बढ़ जाता है। बढ़ते वजन और चयापचय की समस्या को कई प्रकार के गंभीर रोगों का कारण माना जाता है।

क्या करना होगा?

  • अस्वस्थ आहार के सेवन से बनाएं दूरी
  • तनाव दूर करने की विधियों को न करें अपनाएं
  • मोटापा बढ़ने पर हो जाएं सावधान
  • योग और व्यायाम को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा
  • (मेडिटेशन) ध्यान का लें सहारा
  • पर्याप्त नींद जरूर लें, रोजाना 6 से 8 घंटे की नींद अवश्य लेने का प्रयास करें

रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए

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