लेखक: Admin
उपशीर्षक: तनाव हमारी जीवनशैली का एक हिस्सा सा बन गया है। तमाम तरह की बीमारियों के पीछे तनाव बड़ी वजह बन कर सामने आ रहा है। जानकारों का कहना है कि तनाव से पैदा हुई रुमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) रोगों से रक्षा करने के बजाए उल्टे ही शरीर पर हमला करने लग जाता है।
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रुमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) एक विचित्र प्रकार की स्थिति होती है जिसमें तनाव अपना काम कर बड़ा नुकसान कर चुका होता है और लोगों को यह समझ भी नहीं आता कि तनाव के कारण ऐसा भी हो सकता है। तनाव और चिंता से उत्पन्न हुई रुमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) व्यक्ति को जीवन भर के लिए परेशानी में डाल सकती है।
रक्षा की बजाय हमलावर हो जाता रोग प्रतिरोधक तंत्र:
जानकारों का कहना है कि तनाव से पैदा हुई रुमेटाइड आर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) रोगों से रक्षा करने के बजाए उल्टे ही शरीर पर हमला करने लग जाता है। यह अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला शुरु कर देता है।
ये होते हैं नुकसान:
रुमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) सबसे ज्यादा जोड़ों की परतों को नुकसान पहुंचाता है। इस वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन होने लग जाती है। तनाव सूजन का सबसे आम और सामान्य कारण है, जो गठिया की समस्या की ओर ले जाता है इसके अलावा दर्द भी तनाव का आम लक्षण है, लेकिन, अत्याधिक तनाव होने पर यह गंभीर रूप धारण कर सकता है।
रुमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) के साथ भी ऐसा ही है। अमूमन लोग इसे हल्के में लेते हैं और सामान्य जोड़ों का दर्द समझ इसके आदि होने लगते हैं लेकिन ये बढ़ते-बढ़ते गंभीर रूप ले लेती है और आखिर में इसके परिणामस्वरूप हड्डियों का घिसना या जोड़ों में विकृति होने जैसी बड़ी समस्याएं खड़ी हो जाती है। तनाव के चलते रोग प्रतिरोधक तंत्र संक्रमण जब रोगों से लड़ने के बजाय शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देता है तो इससे दर्द, कठोरता और सूजन होने लग जाती है। ऐसे में बहुत सावधान रहने की जरूरत है अगर लक्षण उजागर होने पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो जोड़ों में स्थायी क्षति भी हो सकती है। लक्षणों को नियंत्रित कर काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।
रुमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया) के लक्षण:
रुमेटाइड आर्थराइटिस से पीड़ित होने पर भी आप अन्य प्रकार की गठिया जैसे लक्षणों का ही अनुभव करेंगे जो कि गठिया के दौरान सामान्य हैं। इनमें शामिल हैं:
- जोड़ों में अकड़न, दर्द और कठोरता
- सुबह उठने पर जोड़ों में विशेष रूप से अकड़न महसूस होना
- बार-बार बुखार आना और थोड़ा काम करते ही थक जाना
- भूख कम हो जाना, वजन का घटना
- अंगों का सुन्न पड़ना और झुनझुनी सी महसूस होना
- नींद ना आना, तनाव, बेचैनी और सांस लेने में कठिनाई होना
- एंग्जाइटी अटैक आना
बचाव के उपाय:
- तनाव मुक्त और शांत रहने की कोशिश करें। इसके लिए योग और ध्यान का सहारा लें। तनाव को नियंत्रित करने से स्थिति में आएगा सुधार
- नियमित रूप से व्यायाम करें, पैदल चलें, तैराकी, योग या एरोबिक्स जैसे व्यायाम करने की कोशिश करें इससे आर्थराइटिस के दर्द से राहत मिलेगी साथ ही जोड़ों में लचीलापन बेहतर होगा
- मोटापा कम करने का प्रयास करें, वजन न बढ़ने दें
- पौष्टिक खाने को दें वरीयता, ताजे फल और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें। प्रोसेस्ड फूड्स, फ्राइड फूड और फास्ट फूड से बनाएं दूरी
- मधुमेह की स्थिति भी न आने दें