Mental Health

मुक्ताक्षर

आंखों की क्या खता जो तनाव की मिली सजा

लेखक: Admin

उपशीर्षक: तनाव के कारण दृष्टि दोष हो सकता है। आरोग्य हॉस्पिटल, दिल्ली, की नेत्र विशेषज्ञ डॉ शालिनी गुप्ता बताती हैं कि तनाव आंखों की मांसपेशियों पर प्रतिकूल असर डालता है।

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तनाव का शरीर के लगभग हर हिस्से पर ही बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारी आंखें भी इससे अछूती नहीं हैं। हमें लगता है कि तनाव और अवसाद से भला आंखों का क्या संबंध हो सकता है, लेकिन थोड़ा बहुत नहीं, तनाव, चिंता और अवसाद का हमारी आंखों से गहरा संबंध है। तनाव से आंखों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। यह सौ फीसदी साबित होता जा रहा है कि तनाव मन के साथ शरीर के हर भाग को बुरी तरह प्रभावित करता है। हम यह कह सकते हैं कि तनाव ठीक उसी तरह है जिस तरह किसी मशीन के मुख्य कार्यप्रणाली में खराबी आने पर उसके पुर्जे-पुर्जे बेकार होते जाते हैं। ऐसे में आंखें भी तनाव की मार से अछूती नहीं हैं।

एक अध्ययन में पता चला है कि तनाव आंखों से जुड़ी कई समस्याओं के खतरे को बढ़ाता है। कुछ अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति की आंखों का इलाज चल रहा है और इस दौरान वह अत्याधिक तनाव लेता है या चिंतित रहता है तो उसकी आंखें देर में ठीक हो पाती हैं। तनाव रिफ्रैक्टिव एरर यानी कि दृष्टि दोष का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा तनाव से ग्लूकोमा, मधुमेह द्वारा दृष्टि हानि के अलावा आंखों से जुड़ी और भी कई समस्याएं हो सकती हैं।

आरोग्य हॉस्पिटल, दिल्ली, की नेत्र विशेषज्ञ डॉ शालिनी गुप्ता बताती हैं कि तनाव आंखों की मांसपेशियों पर प्रतिकूल असर डालता है। लगातार तनाव के कारण आंखों की मांसपेशियां आराम नहीं कर पातीं जिससे आंखों में दर्द और सिर दर्द हो जाता है। अत्याधिक चिंता और तनाव की आदत पर काबू नहीं पाया गया तो आगे जाकर आंखों को और भी अधिक नुकसान पहुंच सकता है। डॉ शालिनी आगे कहती हैं समय रहते तनाव को नियंत्रित करने से और कुछ बातें ध्यान में रखकर तनाव के कारण आंखों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

क्यों तनाव से प्रभावित होती हैं आंखें?

हमारी आंखें बहुत ज्यादा नाजुक और संवेदनशील होती हैं इसीलिए इनको खतरा ज्यादा ही रहता है इसलिए तनाव, चिंता और अवसाद जैसी तमाम मानसिक बीमारियों की वजह से आंखें जल्दी प्रभावित हो जाती हैं। आंखों की नर्व और रक्त कोशिकाओं पर तनाव देने वाले कोर्टिसोल नाम के हार्मोन का बुरा प्रभाव पड़ता है। यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में मौजूद मांसपेशियों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित करने में सक्षम होता है। आंखें अति संवेदनशील होती है ऐसे में यह जल्दी इस हार्मोन का शिकार बन जाती हैं।

आंखों के भीतर मौजूद द्रव में तनाव बढ़ने के साथ दबाव बढ़ने लग जाता है, जिससे रक्त कोशिकाओं के सूखने का खतरा रहता है इससे आंखों में होने वाली कई तरह की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।

संभव है बचाव यदि अपनाएं यह उपाय:

  • तनाव, अवसाद और चिंता को दूर करने के हर संभव प्रयास करें
  • आंखों में खिंचाव या किसी दूसरी बीमारी के विकसित हो रहे लक्षणों पर नजर रखें
  • समय-समय पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से मिलें और परामर्श के आधार पर आंखों की जांच करवाते रहें
  • तनाव के कारण आंखों पर पड़ रहे प्रारंभिक प्रभाव की शुरुआत में ही योगा, व्यायाम और प्राकृतिक तरीकों से आंखों की देखभाल करना शुरू करें। इससे बीमारी की शुरुआत में ही इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकेगा
  • हालांकि, योगा, व्यायाम और प्राकृतिक तरीकों को किसी योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें
  • स्क्रीन टाइम को निर्धारित करें। कंप्यूटर, टीवी और मोबाइल पर कार्य करते वक्त थोड़ा-थोड़ा ब्रेक अवश्य लेते रहें और आंखों को विश्राम देने की कोशिश करें
  • खानपान का भी ख्याल रखें; कैफीन, शराब, और निकोटीन जैसे तनाव बढ़ाने वाली चीजों से परहेज करें
  • फल, सब्जियों और मल्टी-ग्रेन अनाज को ज्यादा से ज्यादा खाएं, फास्ट फूड, जंक फूड आदि न खाएं
  • हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें इसके अलावा जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालें

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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