लेखक: Admin
उपशीर्षक: मन का तन पर और तन का मन पर प्रभाव पड़ता है। कुछ ऐसा ही मधुमेह (डायबिटीज) रोगियों के साथ है। तनाव-अवसाद और टाइप 2 मधुमेह में एक खास संबंध पाया गया है। अध्ययनों में शोधकर्ता ये बता चुके हैं कि तनाव से राहत, मधुमेह के प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण घटक है।
—————————————————–
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन किया था जिसमें टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों में तनाव (स्ट्रेस) हार्मोन कोर्टिसोल और रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) की अधिकता के बीच एक स्पष्ट संबंध पाया गया। इस शोध से सामने आया कि तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) ‘कोर्टिसोल प्रोफाइल’ में गड़बड़ी की वजह से होता है। जर्नल साइकोन्यूरो एंडोक्रिनोलॉजी ने इस अध्ययन को प्रकाशित किया था। इसके अलावा कई अध्ययनों में यह पाया गया कि तनाव शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। साथ ही यह हृदय स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।
कुछ अन्य अध्ययनों में शोधकर्ता ये बता चुके हैं कि तनाव से राहत, मधुमेह के प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण घटक है। यानी अगर मधुमेह से राहत चाहिए तो तनाव से छुटकारा पाना होगा, अन्यथा मधुमेह सुधरने की बजाय और ही ज्यादा बढ़ सकता है और इसके उपचार के लिए जो विधियां आप अपना रहे हैं वो भी शायद उतना काम न करें जितना की वो कर सकती हैं।
शोध के मुताबिक, जो लोग स्वस्थ होते हैं उनमें कोर्टिसोल का स्तर दिनभर में प्राकृतिक रूप से ऊपर-नीचे होता रहता है। यह सुबह बढ़ जाता है और रात में गिर जाता है। लेकिन, टाइप 2 मधुमेह वालों के साथ ऐसा नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लोगों का कोर्टिसोल प्रोफाइल दिनभर में एक समान रहा। इसके अलावा उनमें ग्लूकोज का स्तर भी बहुत ज्यादा था। इन लोगों में कोर्टिसोल का स्तर एक समान होने के कारण रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और बीमारी के प्रबंधन में कठिनाई आती है। ग्लूकोज के स्तर के साथ कोर्टिसोल का संबंध सिर्फ मधुमेह वाले लोगों में देखा गया था।
तनाव कम करना बहुत जरूरी
ऐसे अध्ययनों के बाद मधुमेह रोगियों को अब सचेत रहना होगा। विशेष रूप से टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों को अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। इन लोगों को तनाव को कम करने के उपाय खोजना बहुत आवश्यक है।
खुश रहने की कोशिश करें:
कोर्टिसोल को तनाव प्रतिक्रिया से संबंधित होने के कारण ‘स्ट्रेस हार्मोन’ भी कहा जाता है। कई सारे वैज्ञानिकों का मानना है कि स्ट्रेस हार्मोन मधुमेह की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अब यह जांचने के लिए नए-नए अध्ययन भी किये जा रहे हैं कि क्या माइंडफुलनेस प्रैक्टिस यानी कि हमेशा खुश रहना टाइप 2 मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को कम कर सकती है?
जब वैज्ञानिक माइंडफुलनेस प्रैक्टिस को इतनी तवज्जो दे रहे हैं तो क्यों न मधुमेह रोगी खुद ही इस पर प्रयोग करके देखें। इसलिए ऐसी चीजें, जिनसे खुशी मिलती हो उन्हें रोजमर्रा का हिस्सा बनाएं। इसके अलावा योग, व्यायाम, टहलने को दिनचर्या में शामिल करें क्योंकि यह शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन, जिसे अच्छा महसूस करवाने वाला हार्मोन भी कहा जाता है, का स्त्राव करता है। इसके अलावा सकारात्मक साहित्य या किताबें पढ़ें। अपने शौक के लिए समय निकालें। साथ ही अच्छी नींद का भी ख्याल रखें जो शरीर और मन को आराम देने के लिए बहुत जरूरी है।