Mental Health

मुक्ताक्षर

धूम्रपान करने वालों को मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का खतरा अधिक

लेखक: Admin

उपशीर्षक: अभी तक धूम्रपान को हृदय और फेफड़ों के लिए ही नुकसानदायक माना जाता रहा है, लेकिन नई शोध बता रही है कि धूम्रपान करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है।

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धूम्रपान की लत देश-दुनिया में बढ़ती ही जा रही है। युवाओं में तो धूम्रपान एक फैशन जैसा हो गया है। लड़कियां भी धड़ल्ले से धुंए के कश उड़ा रही हैं। लेकिन धूम्रपान आपके मानसिक स्वास्थ्य को कितना खोखला बना रहा है ये जान कर शायद आप इससे तौबा कर लें।

युवाओं को हो सकती बुजुर्गों वाली बीमारी:
एक शोध में बताया गया है कि धूम्रपान आपके दिमाग को इतनी क्षति पहुंचाता है कि युवाओं को भी बुजुर्गों वाली बीमारी की सौगात मिल सकती है। जी हां, शोध के अनुसार, धूम्रपान के आदि लोगों में भूलने वाली बीमारी मनोभ्रंश (डिमेंशिया) और अल्जाइमर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। 2015 में पीएलओएस वन पत्रिका में 37 विभिन्न अध्ययनों के विश्लेषण पर आधारित एक शोध प्रकाशित हुई। अध्ययनों की समीक्षा में पाया गया कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में, धूम्रपान करने वालों में मनोभ्रंश विकसित होने की आशंका 30 फीसदी और अल्जाइमर रोग विकसित होने की आशंका 40 फीसदी अधिक होती है।

मनोभ्रंश से होने वाली मौतों का भी खतरा अधिक:
यूनिवर्सिटी ऑफ विन्कोन्सिन सेंटर फॉर टोबैको रिसर्च एंड इंटरवेंशन में कार्यरत सहायक वैज्ञानिक एड्रिएन जॉनसन कहते हैं कि धूम्रपान हमारे शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है ये दिमाग को भी नहीं बख्शता। उन्होंने बताया कि धूम्रपान करने वालों में मनोभ्रंश (डिमेंशिया) और मनोभ्रंश संबंधित मौतों का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2014 में अनुमान लगाया था कि दुनिया भर में मनोभ्रंश के 14 प्रतिशत मामले धूम्रपान के कारण हो सकते हैं।

जितने ज्यादा कश उतना ज्यादा दिमाग को नुकसान:
व्यक्ति जितना अधिक कश लगाता है मनोभ्रंश होने का खतरा उतना ही अधिक बढ़ता जाता है। शोध के अनुसार, प्रतिदिन प्रत्येक 20 सिगरेट (पीने) पर मनोभ्रंश का जोखिम 34 प्रतिशत बढ़ जाता है। इसलिए चैनस्मोकर्स को बहुत सावधान रहने की जरूरत है।

हताश हों, प्रयास करें:
अगर आप भी धूम्रपान के आदी हैं तो समय रहते सचेत हो जाइए क्योंकि अभी भी बचने का मौका आपके पास है। अध्ययन ये भी बताते हैं कि धूम्रपान छोड़ने से मस्तिष्क को होने वाले जोखिम से बचाया जा सकता है। शोधकर्ता जेनिफर डील कहते हैं कि वैसे तो किसी भी समय धूम्रपान छोड़ने से मदद मिल सकती है लेकिन फिर भी जितना जल्दी आप धूम्रपान छोड़ दें उतना बेहतर है। डील उस शोध के अग्रणी थे जिसमें पाया गया कि धूम्रपान करने वालों में मनोभ्रंश विकसित होने के खतरे में वृद्धि समय के साथ तब कम हो गई जब उन्होंने धूम्रपान छोड़ दिया।
इसके अलावा 11 अध्ययनों के परिणाम के आधार पर एक शोध प्रस्तुत की गई थी जिसमें बताया गया था कि नियमित व्यायाम से मनोभ्रंश विकसित होने के खतरे को करीब 30 प्रतिशत और अल्जाइमर के जोखिम को 45 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। ऐसे में धूम्रपान छोड़ने के साथ-साथ व्यायाम करने से भी आप दिमाग की इन खतरनाक बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं।

मानसिक रोगी जल्दी बन जाते हैं धूम्रपान के आदि:
जिन लोगों को मानसिक रोग होता है उनमें धूम्रपान करने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। इनके लिए बिना किसी सहायता के धूम्रपान छोड़ना बहुत मुश्किल होता है। किसी भी प्रकार के मनोविकारों से ग्रसित लोगों में धूम्रपान की दर सामान्य आबादी की तुलना में दो से पांच गुना अधिक है। धूम्रपान इनकी समस्या को और बढ़ा देता है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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