लेखक: Admin
उपशीर्षक: सैपियन लैब्स के इस अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि और सामाजिक अलगाव में वृद्धि का खास संबंध है।
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आपने फाइव स्टार चॉकलेट का एक विज्ञापन देखा होगा जिसमें एक वृद्ध महिला की छड़ी गिर जाती है और वो एक नवयुवक से इसे उठाने का आग्रह करती है। लेकिन वह युवक छड़ी उठाने की अनदेखी कर चॉकलेट खाता रहता है। खैर यह तो एक विज्ञापन है जो अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। मगर इस प्रकार के युवाओं, जिनको दूसरों की मदद से कोई सरोकार नहीं रह गया, की संख्या अब दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वजह है उनकी गिरती मानसिक अवस्था।
वर्तमान में इस मानसिक गिरावट का सबसे बड़ा कारण स्मार्टफोन की लत है। इस बारे में कई अध्ययन पहले भी सामने आ चुके हैं लेकिन इस बार एक नया अध्ययन सामने आया है जिसमें बताया गया है कि यदि आप एक युवा हैं और स्मार्टफोन से बहुत देर तक चिपके रहते हैं तो यह आदत आपके मानसिक स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट का कारण बन सकती है। सैपियन लैब्स के इस अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि और सामाजिक अलगाव में वृद्धि का खास संबंध है। यह 18-24 आयु वर्ग के युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट की ओर इशारा करती है।
कल्याणकारी भावना घटी
अगर 2010 से पहले के अध्ययनों पर नजर डालें तो देख सकते हैं कि युवा वयस्कों में मनोवैज्ञानिक कल्याण का स्तर शीर्ष पर था, लेकिन तब से उनकी प्रवृत्ति विपरीत दिशा में जा रही है। अध्ययन में उन प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डाला गया है जो 18-24 आयु वर्ग के अधिकांश युवा वयस्कों को प्रभावित करते हैं। ऐसे लोग पहले के युवा वयस्कों की तुलना में अब बिगड़ चुके हैं।
नहीं रहा सामाजिक जुड़ाव
सैपियन लैब्स के मुख्य वैज्ञानिक तारा त्यागराजन के अनुसार, आंकड़े बताते हैं कि लोग अब रोजाना 7 से 10 घंटे ऑनलाइन बिताते हैं। इससे व्यक्तिगत रूप से उनके पास सामाजिक जुड़ाव के लिए बहुत कम समय बचता है। वो कहते हैं इंटरनेट से पहले के समय में जब कोई 18 वर्ष का हो जाता था तब हम अनुमान लगा सकते थे कि उन्होंने अपने करीबियों और परिवार के साथ व्यक्तिगत रूप से 15,000 से 25,000 घंटे तक बिताए होंगे। इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता था। अब की शोध बताती है कि इंटरनेट युग में यह संभावना कम होकर 1,500 से 5,000 घंटे तक सिमट गई है।
बेकार हुईं मन की भावनाएं
उन्होंने बताया कि सामाजिक संपर्क लोगों को उचित भावनात्मक प्रतिक्रिया, संघर्ष समाधान और जीवन कौशल सिखाता है। जो कि किसी व्यक्ति के सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। इन कौशलों के बिना, लोग समाज से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं और उनकी भावनाएं भी विपरीत दिशा पकड़ लेती हैं। जैसे कि किसी की मदद नहीं करना, अपने ही बारे में सोचना, अकल्याणकारी प्रवृत्ति आदि इसके दुष्परिणाम होते हैं।
प्रवृत्ति भी बिगड़ी
34 देशों में हुई इस शोध के दौरान लिए गए आंकड़े विशेष रूप से युवा वयस्कों (18-24 आयु वर्ग) के लिए स्मार्टफोन के उपयोग में वृद्धि के साथ इस प्रकार की खराब प्रवृत्ति को बढ़ा देने की ओर इशारा करते हैं। 2010 के बाद जैसे-जैसे स्मार्टफोन का प्रयोग बढ़ता गया युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ और आगे जाकर इस प्रकार की प्रवृत्ति में और ही बढ़ोतरी होती गई।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)