Mental Health

मुक्ताक्षर

नींद पूरी न हुई तो आप स्वार्थी बन सकते हैं

लेखक: Admin

उपशीर्षक: नींद में कमी हमारे मन में दया का भाव कम कर हमें स्वार्थी बना देती है। वैज्ञानिकों की नई शोध में इस बात का खुलासा हुआ है।

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नींद हमारे जीवन में बहुत आवश्यक है। नींद की कमी से विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियां पैदा होती है। चाहे बच्चे हों या बड़े, नींद पूरी न होने पर कई तरह की परेशानियों से रूबरू होते हैं। विशेष रूप से नींद का मन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इतना कि नींद पूरी न होने पर व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है और उसमें दया का भाव भी नहीं रहता। जी हां, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में इस चौंकाने वाली बात का उजागर किया है।

नींद जीवन की सबसे अहम प्रक्रियाओं में से एक है जो कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अलावा लंबी और निरोगी आयु के लिए भी फायदेमंद है। नींद की कमी का हमारे जीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे हमारे रोजमर्रा का जीवन भी प्रभावित हो जाता है। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, गुस्सा, थकान, अवसाद आदि होने की बात तो आपने सुनी ही होगी। लेकिन हाल ही में पीएलओएस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में कहा गया है कि नींद पूरी न होने से लोगों में दया भाव समाप्त हो सकता है जिस कारण वे स्वार्थी बन सकते हैं।

तीन अध्ययनों में जांचा ‘सेल्फिश इफेक्ट’:

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कली के शोधकर्ताओं ने नींद और स्वार्थ का संबंध जानने के लिए तीन अध्ययन किए और ‘सेल्फिश इफेक्ट’ की जांच की। शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद में थोड़ी सी भी कमी होने पर लोगों की न्यूरल एक्टिविटी और बर्ताव पर असर पड़ने लगता है। पहले अध्ययन में 2001 से 2016 तक के बीच 30 लाख चैरिटेबल डोनेशंस के आंकड़ों पर गौर किया गया। शोधकर्ताओं को डे-लाइट सेविंग टाइम के तुरंत बाद डोनेशंस में 10 प्रतिशत की गिरावट दिखी। आपको बता दें कि गर्मियों में बड़े दिन और सर्दियों में छोटे दिन की परेशानी से निजाद पाने के लिए अमेरिका सहित विश्व के कई देश अपनी घड़ी में कुछ बदलाव करते हैं, जिसे डे-लाइट सेविंग टाइम कहा जाता है। डे-लाइट सेविंग टाइम में लोगों की नींद में गड़बड़ी होती है।

दूसरों के बारे में सोचने वाला दिमाग का हिस्सा रहा कम सक्रिय:

दूसरे अध्ययन में शोधकर्ताओं  ने करीब 25 लोगों के दिमाग की गतिविधियों पर गौर किया। इसमें प्रतिभागियों ने पहली बार में 8 घंटे और दूसरी बार में जरा भी नींद नहीं ली। जब इन लोगों की ब्रेन स्कैनिंग की गई तो पता चला कि दिमाग का वो हिस्सा जो दूसरों के लिए सोचता है, नींद की कमी के कारण कम सक्रिय था।

तीसरा अध्ययन:

तीसरे अध्ययन में 100 से ज्यादा प्रतिभागियों की 3 से 4 रातों तक की नींद को जांचा गया। इसमें पाया गया कि नींद की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता जरूरी है। और अगर ऐसा नहीं होता है तो इंसान ज्यादा स्वार्थी बन जाता है। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि हालांकि दोनों की ही कमी से लोगों का भावनात्मक और सोशल बिहेवियर बदलता है। शोध में शामिल प्रोफेसर बेन साइमन ने कहा कि नींद में सिर्फ एक घंटे की कमी भी आपकी पसंद पर असर डालती है। नींद की कमी के चलते लोगों के अंदर दया भाव और दूसरों की मदद करने के भाव में कमी आती है और वह स्वार्थी बन सकते हैं।

विकसित देशों में परेशानी ज्यादा:

शोध में यह भी सामने आया कि विकसित देशों में काम के दिनों में आधे से ज्यादा लोगों की नींद पूरी नहीं हो पा रही है। नींद की कमी को “ग्लोबल स्लीप लॉस एपिडेमिक” के नाम से जाना जा रहा है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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