लेखक: Admin
उपशीर्षक: ध्यान आकर्षित करने और भावनात्मक सहानुभूति पाने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया पर ‘सैडफिशिंग’ नाम का एक नया हथियार खोजा है जो तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। जानकारों का कहना है कि यह बेहद खतरनाक है और लोगों को मानसिक समस्याऐं दे सकता है।
————————————————-
सोशल मीडिया की असीमित दुनिया में हर वक्त अजीबोगरीब आविष्कार होते रहते हैं। इसी कड़ी में एक नया शब्द “सैडफिशिंग” का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। “सैडफिशिंग” का प्रादुर्भाव 2019 में हुआ जब लेखिका रेबिका रेड ने पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल ऐसी स्थिति को बताने के लिए किया जिसमें लोग सोशल मीडिया पर अत्यधिक ध्यान आकर्षित करने और भावनात्मक सहानुभूति पाने की इच्छा से अनर्गल और असामान्य सामग्री पोस्ट करते हैं।
वैसे तो भावनात्मक सहानुभूति पाने की इच्छा से अपनी बुरी परिस्थिति को बढ़ा-चढ़ा कर बताना कोई नई बात नहीं है। इस तरह का व्यवहार बच्चे या बड़े अपने परिवार के लोगों और परिचितों से सहानुभूति पाने के लिए कभी-कभी करते हैं। लेकिन अपरिचितों से ऐसी भावनात्मक सहानुभूति की आशा करना और इसके लिए अपनी परिस्थिति में मिर्च- मसाला लगाकर वर्चुअल वर्ल्ड पर पेश करना एक तरह का मानसिक रोग है। कई बार तो ऐसा होता है ऐसी समस्या जो वर्चुअल वर्ल्ड पर दिखाई गई है वह सिर्फ मन का भ्रम होता है।
सैडफिशिंग का एक दूसरा पहलू भी है। इसमें ऐसे मानसिक समस्या से पीड़ित लोग खुद के लिए ध्यान आकर्षित करने के अलावा, दूसरों को नीचा दिखाने के लिए वर्चुअल वर्ल्ड का सहारा लेते हैं। खुद को वर्चुअल वर्ल्ड में बने रहना की परम इच्छा और इसके लिए झूठ का सहारा लेना एक मानसिक रोग नहीं तो और क्या है?
फायदा कम, खतरा अधिक:
कुछ लोग बिना सोचे-समझे अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी लिख देते हैं और फिर दूसरे उसमें मिर्च-मसाला लगाते रहते हैं। सैडफिशिंग की इस गंभीर समस्या को लेकर बुद्धिजीवियों ने चिंता जताई है।
कई बार ऐसा भी होता है कि तनाव या अवसाद जैसे मुद्दों पर चर्चा को भी सैडफिशिंग करार दिया जाता है। हताशा से जूझ रहे लोगों पर सैडफिशिंग का आरोप लगता है तो वे और ज्यादा तनाव में आ जाते हैं। जिस वक्त उन्हें सबसे ज्यादा मदद की जरूरत होती है, उन्हें अपनों का साथ नहीं मिलता है और वो हाशिए पर चले जाते हैं।
ऐसा भी हो सकता है कि सैडफिशिंग करने वाले असल में किसी समस्या से घिरे हों। ऐसे लोग तारीफ पाने के लिए कई तरह के नाटक करने से भी नहीं कतराते हैं, लेकिन जब उन्हें सहानुभूति नहीं मिलती है तो वो और मानसिक समस्याओं से ग्रस्त होने लगते हैं। इसलिए मानसिक समस्या से पीड़ित लोगों को अपनी समस्या कभी भी सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करना चाहिए।
बुद्धिजीवियों का कहना है कि सोशल मीडिया पर सैडफिशिंग का चलन मानसिक रूप से स्वस्थ लोगों के लिए भी कई प्रकार की मानसिक समस्याएं खड़ी कर सकता है।