लेखक: Admin
उपशीर्षक: रमजान का महीना केवल रोजा और इबादत तक ही नहीं सिमटा है बल्कि यह महीना बुरी आदतों और लतों को छोड़ने का एक आदर्श समय भी है। इनसे पीछा छुड़ा न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बीमारियों को भी दूर किया जा सकता है।
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प्रतिवर्ष लाखों मुस्लिम लोग रमजान के महीने में 30 दिनों तक रोजा (उपवास) रखते हैं। इस दौरान लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं। इस तरह का अल्पकालिक उपवास शारीरिक स्वास्थ्य को कई तरह का लाभ प्रदान करता है। अल्पकालिक उपवास वास्तव में आपकी चयापचय दर को बढ़ाता है, जिससे आपको और भी अधिक कैलोरी जलाने में मदद मिलती है। इससे आपको वसा जलाने और वजन कम करने में मदद मिलती है। अल्पकालिक उपवास इंसुलिन प्रतिरोध और रक्त शर्करा के स्तर में प्रभावशाली कमी लाता है। यह शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम कर सकता है। अल्पकालिक उपवास हृदय रोग के कई जोखिम कारक जैसे रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का स्तर, ट्राइग्लिसराइड्स को भी काम कर देता है
किसी भी धर्म के पर्व और त्योहारों में आध्यात्मिक बल के आधार पर आंतरिक शक्ति बढ़ाने की सीख मिलती है। रमजान के महीने में व्यक्ति रोजा रखकर धैर्य, अनुशासन और संयम के पथ पर चलता है जिससे उसका आध्यात्मिक बल बढ़ता है।
21 दिन में बदलती आदत… रमजान देता पूरे 30 दिन:
दरअसल, हमारा अवचेतन मन जो कि 24 घंटे कार्य करता रहता है वो 21 दिन में हमारी किसी आदत को स्वीकार कर लेता है और अवचेतन मन की शक्ति चेतन मन की शक्ति से बड़ी होती है।
रमजान एक ऐसा त्योहार है जिसमें बुरी आदतों और लतों से भी छुटकारा पाया जा सकता है क्योंकि रमजान में एक लंबी अवधि तक आध्यात्मिक और सात्विक जीवन शैली का पालन करने का मौका मिलता है जिसमें व्यक्ति की जैविक घड़ी (बायोलोजिकल क्लॉक) पूरी तरह से उस अनुरूप ढ़ल सकती है।
विज्ञान में भी कहा गया है कि अगर 21 दिनों तक किसी भी कार्य को नियमपूर्वक किया जाए तो उसके बाद हमारा अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेता है। ऐसे में रमजान में तो पूरे 30 दिनों तक आध्यात्मिक मौका हमारे हाथ लगता है जिसका फायदा उठा बुरी आदतों से पीछा छुड़ाया जा सकता है।
मानसिक बीमारियां देती हैं ये बुरी आदतें:
यह सब जानते हैं कि बुरी आदतें जैसे नशा, धूम्रपान, गुस्सा, शराब आदि कहीं न कहीं हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं। रमजान में इनको छोड़ हमेशा के लिए बुरी आदतों के कारण हुए मानसिक बीमारियों से दूर हुआ जा सकता है। रोजा रखने से मस्तिष्क में कोशिकाएं अधिक मात्रा में बनती हैं जिससे दिमाग बेहतर तरीके से काम कर पाता है। इसका भी फायदा हमें बुरी आदतों को छोड़ने में मिल सकता है क्योंकि मन भी यहां हमारा साथ देने के लिए मजबूत हो जाता है।
जितना अधिक संयम, उतना अधिक लाभ:
यह पहले ही बता दिया गया है की विज्ञान मानता है कि किसी भी आदत को 21 दिन में बदला जा सकता है। मस्तिष्क में 21 दिन में कोई भी बदलाव किया जा सकता है। इसलिए अगर किसी भी कार्य को 21 दिन तक किया जाए तो 22वें दिन आपको स्वयं ही अपने जीवन में ऐसा अनुभव होने लगेगा कि वास्तव में आप अपने लक्ष्य को पाने में सक्षम हैं। इसी आदत को अगर 90 दिन तक कायम रखा जाए तो फिर वो आपके जीवन का हिस्सा बन जाती है।