Mental Health

मुक्ताक्षर

रैपिड आई मूवमेंट वाली नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है

लेखक: Admin

उपशीर्षक: नींद दिल और दिमाग दोनों के लिए ही फायदेमंद है। यह हमारे फैसले लेने की क्षमता पर भी असर डालती है

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यह तो सभी जानते हैं कि नींद की हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसकी कमी या अधिकता तन और मन दोनों पर बुरा असर डालती है। विशेष रूप से मन पर नींद का बहुत ही ज्यादा असर पड़ता है। वैज्ञानिक यह सिद्ध कर चुके हैं कि दिमाग के ठीक तरह से काम करने में नींद की बड़ी भूमिका है।

इस बार जो अध्ययन सामने आया है वो जरा हट के है। इसमें कहा गया है कि एक आम इंसान रैपिड आई मूवमेंट (आरइएम) वाली नींद से अपनी भावनात्मक क्षमता को भी मजबूत कर सकता है। साथ ही इससे उसके फैसले लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

रैपिड आई मूवमेंट वाली नींद के बारे में जानिए:

नींद के 45-45 मिनट के दो चरण हैं: रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) और नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (एनआरईएम)। रैपिड आई मूवमेंट नींद के दौरान आंखें हमेशा घूमती रहती हैं। जबकि एनआरईएम में आंखें स्थिर रहती हैं। रैपिड आई मूवमेंट नींद के दौरान हमारी मांसपेशियां पूरी तरह से विश्राम करती है। इसी चरण के दौरान हमें सपने भी आते हैं।

शांत रहते हैं न्यूरॉन्स

दिमाग का एक भाग होता है जिसे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स कहते हैं। इसी हिस्से में ज्यादातर भावनात्मक प्रक्रिया होती हैं। शोध में कहा गया है, रैपिड आई मूवमेंट के साथ सोने पर दिमाग के पिरामिड न्यूरॉन्स अजीब तरह से शांत रहते हैं। हमारी भावनाएं नियंत्रण में रहती हैं। हम निर्णय भी सही प्रकार से ले पाते हैं। यह देखा गया कि रैपिड आई मूवमेंट के दौरान दिमाग को संदेश जरूर मिलता है, लेकिन न्यूरॉन्स उसे आगे नहीं बढ़ाते हैं यानी की वह संदेश न्यूरॉन के ही दूसरे हिस्से तक नहीं जाता है।

सोते और जागते दिमाग में है बड़ा अंतर:

हालांकि, वैज्ञानिक पहले इस बात से सहमत नहीं थे कि आखिर मस्तिष्क का कोई हिस्सा नींद के दौरान कैसे हमारी भावनाओं को नियंत्रित कर सकता है। उनका मानना था कि इस दौरान तो यह सक्रिय ही नहीं रहता है। लेकिन अब अध्ययन मानने पर मजबूर कर रहे हैं। शोध में सामने आया है कि एक सोते और जागते हुए दिमाग में बहुत बड़ा अंतर है। रैपिड आई मूवमेंट के तहत जब नींद ली जाती है तब शरीर वैसी स्थिति में होती है जब हमारी भावनाओं को नए ढंग से रूप दिया जा सके। और मानसिक तनाव को भी काम किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि अच्छी नींद से सही और गलत को परखने की समझ बढ़ती है और निर्णय क्षमता बेहतर हो जाती है। यह अध्ययन उन अध्ययनों को भी मजबूती देता है, जिनमें कहा गया है कि नींद दिमाग की न्यूरोनल एक्टिविटी को शांत रखती है। फिलहाल यह शोध शुरुआती स्तर पर चूहों पर की गई है इसके परिणामों से इंसान की नींद को समझने का प्रयास किया जा रहा है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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