लेखक: Admin
उपशीर्षक: सपनों का सीधा संबंध दिमाग से होता है और अगर लम्बे समय से लगातार बुरे सपने आते हैं तो यह एक गंभीर मानसिक बीमारी का कारण भी बन सकते हैं। हाल ही में की गई एक शोध यही तस्दीक दे रही है।
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बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में सपनों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है जो कि बुजुर्गों की बीमारी से जुड़ा हुआ है। इसके अनुसार 65 साल से अधिक आयु के बुजुर्गों को अगर लंबे समय से बुरे सपने आ रहे हैं तो वह पार्किंसंस जैसी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
पार्किंसंस के एक चौथाई रोगियों को आते हैं बुरे सपने
अध्ययन में बताया गया है कि पार्किंसंस के एक चौथाई रोगी बुरे सपनों के शिकार होते हैं। यानी कि बुरे सपनों और पार्किंसंस बीमारी का आपस में गहरा संबंध है। शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ रोगी तो ऐसे भी हैं जिन्हें 10 साल से भी अधिक समय से बुरे सपने आ रहे हैं। निष्कर्ष में पाया गया कि बुरे सपने आने से पार्किंसंस बीमारी बढ़ने की संभावना 2 गुना बढ़ जाती है।
पुरुषों को बुरे सपने आने की संभावना ज्यादा:
शोध में यह भी कहा गया है कि पार्किंसंस से पीड़ित पुरुषों को पीड़ित महिलाओं की तुलना में ज्यादा परेशान करने वाले सपने आते हैं। पुरुषों में बुरे सपनों की शुरुआत न्यूरो डीजेनरेशन का भी संकेत होता है। तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं को शुरुआती जीवन से ही बुरे सपनों के आने की संभावना पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है।
राहत की बात भी:
शोध के मुताबिक, जब तक इस बीमारी का पता लगता है, तब तक इंसान अपने दिमाग से 60 से 80 प्रतिशत तक डोपामाइन का स्त्राव करने वाले न्यूरॉन को खो चुका होता है। लिहाजा, इससे बचने के लिए 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों से उनके सपनों के बारे में पूछकर या उनके शरीर के हिस्सों की हलचल को देखकर पार्किंसंस के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने इस बात पर संतुष्टि जताई कि बुरे सपनों से पार्किंसंस जैसी बीमारी का पता चल जाता है, अन्यथा पार्किंसन का पता लगाने वाली प्रक्रिया काफी ज्यादा महंगी होती है।
सभी को रहना होगा सावधान:
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट आबिदेमी की यह शोध सच में चौंकाने वाली है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि जिस तरह नकारात्मक विचार लोगों में बढ़ते जा रहे हैं उससे लोगों की नींद उड़ रही है और नतीजा वो कुछ अच्छा सोच भी नहीं पा रहे हैं जिससे बुरे सपने आने की शिकायत भी बढ़ रही है। ऐसे में अब सभी के सावधान होने का वक्त आ चुका है। भले ही यह शोध अभी बुजुर्गों को लेकर है लेकिन बुरे सपने किसी न किसी प्रकार से मानसिक विकार लोगों को दे सकते हैं। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में करीब 40 लाख से भी ज्यादा लोग पार्किंसंस बीमारी से जूझ रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग एक लाख में से 14 लोगों को यह बीमारी होती है।
मानसिक रोग का जोखिम भी दोगुना:
12 साल तक की गई इस शोध में 3,818 बुजुर्ग पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर नजर रखी गई। देखा गया जिन्हें बार-बार बुरे सपने आते हैं, उनमें पार्किंसंस की बीमारी की संभावना तो 2 गुना बढ़ ही जाती है मानसिक रोगों का खतरा भी दोगुना हो जाता है। रोग से पीड़ित लोग अपने हाथ, पैर और जबड़े में झटके महसूस करते हैं साथ ही उनके शरीर में हलचल भी नहीं हो पाता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)