लेखक: Admin
उपशीर्षक: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट की मानें तो भारत में 30 प्रतिशत समय से पहले मौत का कारण वायु प्रदूषण है।
—————————————————————-
गंदी और जहरीली हवा ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाला अध्ययन पेश किया है। जिसके मुताबिक गंदी हवा एक बार फिर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की दुश्मन बन कर उभरी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की यह शोध चौंकाने वाली है। इसमें बताया गया है कि दुनिया की 99 फीसदी आबादी गंदी हवा में सांस ले रही है। यानी कि धरती पर मौजूद 797 करोड़ लोग वायु प्रदूषण में जीवन जीने को मजबूर हैं। शोध के अनुसार, लोगों के शरीर में सांस लेने पर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और बहुत ही छोटे कण का प्रवेश हो रहा है और भी कई जहरीले कण शरीर में जा रहे हैं जिसके कारण लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है। हवा में मौजूद कण इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी जहर से कम नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस शोध में पीएम 10 और पीएम 2.5 की जांच की। यह हवा में मौजूद वो कण हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर या उससे कम अथवा 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इनकी वजह से समय से पहले ही मौत हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने 117 देशों के 6,000 से भी ज्यादा शहरों की वायु गुणवत्ता पर नजर रखी और अध्ययन किया। अध्ययन में यह भी सामने आया कि वायु प्रदूषण को लेकर देश पहले से ज्यादा सचेत ही हुए हैं और वायु गुणवत्ता पर नजर भी रख रहे हैं लेकिन फिर भी हवा में जहर घुल रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक रूप से कम या मध्यम सक्षम देशों में हो रही है। मालूम हो कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड एक जहरीली गैस है जो जीवाश्म ईंधन जलने से निकलती है। यह आमतौर पर गाड़ी चलाते वक्त, पावर प्लांट्स या खेती-बाड़ी से निकलती है। इससे अस्थमा जैसी बीमारियां होने का खतरा तो बढ़ता ही है लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
दिल और दिमाग को बड़ा खतरा:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण की स्थिति बहुत खतरनाक होती है। पीएम 2.5 के कण फेफड़ों के अंदर घुसकर खून में बह सकते हैं। इससे दिल और दिमाग दोनों को ही खतरा होता है। ये मस्तिष्क आघात (ब्रेन स्ट्रोक) और हृदयाघात की वजह बन सकते हैं।
यह है देश का हाल:
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट मानें तो भारत में 30 प्रतिशत समय से पहले मौत का कारण वायु प्रदूषण है। इसके अलावा मानसिक रोग बढ़ाने का भी यही बड़ा कारण है। देश में आरएसपीएम का स्तर लगातार बढ़ रहा है
ऐसे करता मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित
- वायु प्रदूषण भय को बढ़ाता है जिससे चिंता भी बढ़ती है।
- शोध बताती हैं कि ऐसी जगहों पर जहां वायु प्रदूषण का प्रभाव ज्यादा है वंहा रहने वाले लोगों का मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। जो तनाव का कारण बनता है।
- वायु प्रदूषण लोगों के सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करता है।
- लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने से लोग अवसाद का शिकार भी हो जाते हैं।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)