लेखक: Admin
उपशीर्षक: वैज्ञानिक मानव शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले दिमागी हिस्सों की पहचान तो कर चुके हैं, लेकिन अब एक शोध में वैज्ञानिकों ने दिमाग के उस हिस्से की पहचान कर ली है जो दर्द के अहसास को खत्म कर देता है।
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विज्ञान के लिए मानव मस्तिष्क आज भी एक पहेली है। दिमाग से जुड़े कई रहस्यों को जानने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक हमेशा उतावले होते हैं। इसी उतावलेपन में वैज्ञानिकों ने दिमाग से जुड़ा एक बड़ा रहस्य ढूंढ लिया है।
वैज्ञानिक मानव शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले दिमागी हिस्सों की पहचान तो कर चुके हैं, लेकिन अब एक शोध में वैज्ञानिकों ने दिमाग के उस हिस्से की पहचान कर ली है जो दर्द के अहसास को खत्म कर देता है। स्कूल ऑफ मेडिसिन की यह शोध नेचर न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुई है।
एक तरह का दर्द रोधी केंद्र:
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग का अमिग्डाला नामक यह क्षेत्र एक तरह का दर्दरोधी केंद्र है। इस क्षेत्र को नकारात्मक भावों और बेचैनी जैसी प्रतिक्रिया देने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शोध के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर फैन वांग कहते हैं दिमाग में दर्द से राहत दिलाने वाली भी कोई जगह है यह मानने के लिए लोग तैयार ही नहीं होते। इसीलिए प्लेसबो जैसी दवाएं काम करती हैं।
दिए अलग-अलग संदेश:
शोधकर्ताओं ने पाया कि एनेस्थीसिया अमिग्डाला के केंद्र में कुछ दमनकारी न्यूरॉन्स सीऐजा को सक्रिय करते हैं। शोधकर्ताओं ने चूहों के दिमाग के सक्रिय न्यूरॉन्स का अध्ययन किया और पाया कि सीऐजा मस्तिष्क के कई हिस्सों से जुड़ता है। वैज्ञानिकों ने चूहों को हल्का दर्द दिया। इसके बाद दिमाग के उन हिस्सों का पता लगाया जो दर्द से सक्रिय हुए। देखा गया कि कम से कम 16 मस्तिष्क केंद्रों, जो दर्द के संवेदक और भावनात्मक पहलुओं को संसाधित करते हैं, को सीऐजा से दमनकारी संकेत मिले।
इस दौरान शोधकर्ताओं ने ऑप्टो जेनेटिक्स नामक तकनीक का प्रयोग किया। जिससे चूहे हल्के दर्द के कारण असहज महसूस करने लगे और उनका खुद की रक्षा करने वाला बर्ताव शुरू हो गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सीऐजा न्यूरॉन्स सक्रिय करने से चूहे इस बर्ताव को बंद कर सकते हैं। जब वैज्ञानिकों ने एंटी-पेन सेंटर को सक्रिय करने के लिए लाइट जलाई तो चूहों का खुद की रक्षा करने वाला बर्ताव पूरी तरह से बंद हो गया। जब शोधकर्ताओं ने सीऐजा की सक्रियता कम की तो उनका दर्द वाला बर्ताव फिर लौट आया।
अपने आप में पहला अध्ययन:
वांग के मुताबिक, अब तक हुए अध्ययनों का केंद्र बिंदु उन क्षेत्रों पर था जो दर्द को शुरू करते थे। लेकिन, कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जो दर्द को संसाधित करते हैं, यह जानकारी नहीं थी। दर्द रोकने के लिए ऐसे सभी केंद्रों को बंद करना होगा। यह केंद्र बंद करने से दर्द ही बंद हो जाता है। यह शोध उस शोध को आगे बढ़ाती है जिसमें उन न्यूरॉन्स को ढूंढने का प्रयास किया गया था जो आम एनेस्थीसिया से निष्क्रिय होने के बजाए सक्रिय होते हैं। 3 साल पहले हुए एक अध्ययन में पाया गया था कि आम एनेस्थीसिया दिमाग के सुप्राऑप्टिक न्यूक्लियस को सक्रिय कर धीमी नींद को प्रोत्साहित करता है। इससे शोधकर्ताओं को दर्द वाले हिस्से की जानकारी हासिल करने में मदद मिली। शोधकर्ताओं के मुताबिक दर्द एक जटिल मस्तिष्क प्रतिक्रिया होती है। इसमें संवेदक और ऑटोनॉमिक प्रतिक्रियाएं शामिल होती हैं। कई बार इनको रोककर दर्द का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसमें प्रमुख हिस्से को सक्रिय कर और दूसरे हिस्सों में भी स्वतः ही दमनकारी संकेत भेजा जाए तो परिणाम ज्यादा बेहतर आएंगे। शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी यह शोध भविष्य में दर्द निवारण और इससे जुड़ी दवा बनाने में मददगार साबित होगी।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)