लेखक: Admin
उपशीर्षक: कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि थायराइड का सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव है।
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कई अध्ययन बताते हैं कि तनाव और थायरॉयड असंतुलन में गहरा संबंध है। हम थायरॉयड को एक साधारण बीमारी समझते हैं लेकिन इसकी शुरुआत तनाव से होती है जो आगे जाकर हमें बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। कैलिफोर्निया में कई साल पहले हुई एक शोध के अनुसार, जब तनाव का स्तर बढ़ता है, तो इसका सर्वाधिक असर हमारी थायरॉयड ग्रंथि पर पड़ता है। इस शोध के अनुसार, तनाव शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने लगता है।
यदि आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो हार्मोन के स्राव पर प्रतिकूल असर पड़ता है। तनाव थायरॉयड ग्रंथि से हार्मोन के स्राव को बढ़ा देता है। इस हार्मोन का कम या ज्यादा होना दोनों ही बीमारी को निमंत्रण देते हैं। यदि हार्मोन कम होने लगे तो शरीर का चयापचय (मेटाबॉलिज्म) बहुत तेज हो जाता है जिससे ऊर्जा जल्दी-जल्दी खर्च होने लगती है। वहीं, अगर ये बढ़ जाए, तो चयापचय प्रक्रिया धीमी हो जाती है जिससे शरीर में कम ऊर्जा बनती है। ट्राईआयोडोथायरोनिन और थायरोक्सिन के स्तर में बहुत ज्यादा कमी हाइपोथायरायडिज्म को जन्म देती है।
थायराइड के रोगी में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, सुस्ती, सिरदर्द जैसी परेशानियां बढ़ जाती हैं। थायरॉयड प्रोटीन संश्लेषण में भी मदद करता है। यदि आप ग्रेविस रोग और हाशिमोटो के थायरॉयडिटिस जैसे ऑटोइम्यून रोग से पीड़ित हैं तो तनाव थायरॉयड की स्थिति को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है। वैसे तो थायरॉयड महिलाओं में होने वाला सबसे आम हार्मोन असंतुलन है लेकिन अब पुरुषों में भी यह बीमारी बढ़ती जा रही है और तनाव इसकी मुख्य वजह है। हाइपरथायरॉयडिज्म की शिकार महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से तीन गुना अधिक हैं।
क्या होता है थायराइड?
थायरॉयड गर्दन के सामने वाले हिस्से में एक तितली के आकार की गृंथि होती है जो कि शरीर के एंडोक्राइन तंत्र का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। थायराइड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर के कई अंगों के कार्यों को प्रभावित करते हैं। थायरॉयड हार्मोन शरीर के चयापचय (मेटाबॉलिक) दर पर नियंत्रण बनाए रखता है।
थायराइड असंतुलन होने के लक्षण:
- मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना।
- थकान, सुस्ती और आलस की अधिकता
- वजन बढ़ना
- त्वचा का रूखा-सूखा हो जाना
- कब्ज
थायराइड असंतुलन से बचने के उपाय:
- पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें
- योग और ध्यान को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं
- खानपान में लाएं बदलाव
- खाने में आयोडीन की मात्रा बढ़ाएं
- नियमित रूप से व्यायाम के लिए समय निकालें
- तनाव लेने से बचें
- हाइपोथायरॉइड के मरीज को रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए, इससे शरीर का चयापचय (मेटाबॉलिक) दर संतुलित रहता है।