लेखक: Admin
उपशीर्षक: एस्ट्रोफोबिया बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन इसका शिकार अधिकतर बच्चे ही होते हैं। इन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कभी-कभी बादल के गरजने का इतना गंभीर प्रभाव पड़ जाता है कि आगे जाकर वह गंभीर अवसाद में तब्दील हो जाता है
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मानसून दस्तक दे चुका है। भीषण गर्मी में सभी बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे थे। वैसे तो काले-काले बादल देख ज्यादातर लोग प्रसन्न होते हैं; सभी को उम्मीद रहती है कि कब ये बादल बरसात करें। लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि ये बादल एक ऐसी अजीब मानसिक बीमारी की भी सौगात दे सकते हैं जिसका समय पर इलाज न करवाया गया तो पीड़ित गंभीर अवसाद का शिकार भी हो सकता है।
इस अजीबो-गरीब मानसिक समस्या को एस्ट्रोफोबिया के नाम से जाना जाता है जो बादलों के कड़कने से होती है। वैसे तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन इसका शिकार अधिकतर बच्चे ही होते हैं। इन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर कभी-कभी बादल के गरजने का इतना गंभीर प्रभाव पड़ जाता है कि आगे जाकर वह गंभीर अवसाद में तब्दील हो जाता है। जानकारों का मानना है कि एस्ट्रोफोबिया के लक्षणों को समय पर पहचानना बहुत जरूरी है अन्यथा मामला गंभीर हो सकता है।
क्या है होता है इस बीमारी में:
एस्ट्रोफोबिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है जिसमें पीड़ित को बादल की गड़गड़ाहट आकाशीय बिजली की चमक, आंधी तूफान, चक्रवात, सितारों और अन्य खगोलीय पिंडों से जरूरत से ज्यादा डर लगता है। जब भी वो ऐसा होते देखते हैं उनके मानसिक स्वभाव में काफी परिवर्तन आता है और यह एक प्रकार के फोबिया में भी तब्दील हो सकता है। इसके कारण एस्ट्रोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति काफी अजीब हरकतें करने लगते हैं।
(See also: http://mentalhealthcare.in/monsoon-makes-you-sad-and-anxious-due-to-seasonal-affective-disorder/)
समझें लक्षणों को:
एस्ट्रोफोबिया से पीड़ित लोगों और बच्चों में शारीरिक और संज्ञानात्मक दो प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। शारीरिक लक्षणों में दिल की धड़कनें तेज होना, हाथ-पैरों में झनझनाहट और अजीब सी सनसनी होना, श्वासों का तेज हो जाना, अत्यधिक पसीना आना, मांसपेशियों में तनाव, गैस्ट्रिक परिवर्तन, सिर में दर्द होना, उल्टी आना, जी घबराना, चक्कर आना, बेहोशी और चेतना को नुकसान होना आदि शामिल हैं।
संज्ञानात्मक लक्षणों में खगोलीय घटनाओं, आकाश, चांद और सितारों के बारे में विकृत और डरावने विचार रखना, अचानक से ऐसे विचार आ जाना जो दिमाग को अशांत करते हैं, सितारों और बादलों से जुड़े जुनूनी अटकलें और अनुमान, भयावह कल्पना करना, अपने आप पर नियंत्रण खोने का डर और स्थिति को अनुकूल तरीके से प्रबंधित करने में सक्षम नहीं हो पाना जैसे लक्षण शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर अगर इन लक्षणों को पहचान कर इलाज न करवाया जाए तो मामला बिगड़ सकता है। मानसून में अधिक समय तक मौसम खराब होने के कारण बच्चों की शारीरिक और मानसिक स्थिति काफी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
उपचार के तरीके:
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ रेनू शर्मा बताती हैं कि एस्ट्रोफोबिया का इलाज मनोवैज्ञानिक कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए किया जाता है। इस स्थिति में मरीजों को काल्पनिक तरीके से फोबिया से संबंधित स्थितियों की एक श्रृंखला से अवगत कराया जाता है। इससे धीरे-धीरे रोगी के भय को कम किया जाता है। इसके अलावा, चिंता और तनाव के स्तर को कम करने के तरीकों को भी काम में लाया जाता है। बच्चे को प्यार और विश्वास में लेने के बाद उनके डर को खत्म करने का काम किया जाता है।
(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)