Mental Health

मुक्ताक्षर

इस तकनीक से दिमाग हो जाएगा सम्मोहित

लेखक: Admin

उपशीर्षक: एक ऐसी तकनीक की खोज की गई है जो हमारे दिमाग को नियंत्रित कर सकेगी। इसे एक प्रकार से सम्मोहन कहा जा सकता है।

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माना जाता है कि हमारे शरीर में होने वाली हर प्रतिक्रिया या अहसास दिमाग ही महसूस कराता है। यानी कि यह दिमाग ही है जो हमारे शरीर और मन को नियंत्रित करता है। इसलिए कहा जाता है कि किसी को कितना भी समझा लो लेकिन जब तक उसके दिमाग को नहीं समझ आता वो किसी की नहीं सुनता। लेकिन अब कहानी बदलने वाली है। जल्द ही वह दिन देखने को मिल सकता है जब एक तकनीक के माध्यम से दिमाग को ही वश में कर लिया जाएगा। यानी कि दिमाग को नियंत्रित कर लिया जाएगा।

दूर से दिमाग होगा कंट्रोल:

वूत्साई न्यूरोसाइंस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जो दूर से किसी रिमोट की तरह दिमाग को नियंत्रित कर सकती है। हालांकि, अभी जानवरों पर इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। यह तकनीक काफी हद तक किसी को सम्मोहित करने जैसी है जो दूर से जानवरों में लगे ब्रेन सर्किट को कंट्रोल कर सकती है। ऐसे में उनसे फिर कोई भी काम कराया जा सकता है। तो हुआ न ये सम्मोहन जैसा। इसमें जानवरों के दिमाग में लगी चिप को तकनीक के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

ऐसे काम करेगी तकनीक:

तकनीक की नींव ऑप्टोजेनेटिक्स न्यूरोसाइंस पर रखी गई है। जिसमें एक ट्रांसफॉर्मेटिव टूल है। शोधकर्ता होंग ने बताया कि दिमाग विजुअल लाइट को ठीक से समझ नहीं पाता है इसलिए इंफ्रारेड लाइट का इस्तेमाल किया। इसके लिए एक टीआरपीवी1 का प्रयोग किया गया जो कि एक मॉलिक्यूलर हीट सेंसर है। टीआरपीवी1 के कारण किसी हीट से जुड़े दर्द का एहसास होता है। इस तकनीक के माध्यम से दिमाग को संदेश पहुंचाया जा सकता है। इंफ्रारेड लाइट की मदद से दिमाग को नियंत्रित किया जा सकता है।

हालांकि, इस तकनीक को अभी चूहे पर टेस्ट किया जा रहा है। फिलहाल इंसान पर इसके इस्तेमाल को लेकर कोई जानकारी नहीं है शोधकर्ताओं ने यह जरूर कहा है कि जानवरों पर इसके सफल परीक्षण के बाद इंसान पर इसके प्रयोग को परखने की भी योजना है और इससे न्यूरोसाइंस को काफी मदद मिलेगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि मानव मस्तिष्क दुनिया की सबसे मुश्किल संरचनाओं में से एक है। जो भावना और यादों से भी घिरा रहता है। अगर तकनीक रंग लाई तो हर प्रकार से दिमाग को नियंत्रित किया जा सकेगा। इस टेक्नोलॉजी पर हुई शोध को नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में प्रकाशित किया गया है।

(The report is sponsored by SBI cards. Courtesy: MHFI)

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